भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज अपना 67वां जन्मदिन मना रही हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई प्रमुख राजनेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षों और दृढ़ संकल्प की एक प्रेरणादायक गाथा है। गरीबी और सामाजिक बाधाओं का सामना करते हुए, उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक का सफर तय किया।
राष्ट्रपति मुर्मू इस बार अपना जन्मदिन उत्तराखंड में मना रही हैं, जहां वह कुछ महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगी। उनके जीवन की यात्रा, एक शिक्षिका से लेकर भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने तक, उनकी अटूट प्रतिबद्धता और जनसेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
पीएम मोदी समेत नेताओं ने दी बधाई
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख राजनेताओं ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि उनका जीवन और नेतृत्व करोड़ों लोगों को प्रेरित करता है। पीएम मोदी ने उनके सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की है। साथ ही उन्हें गरीबों व वंचितों को सशक्त बनाने वाली शख्सियत बताया। प्रधानमंत्री ने उनके लंबे, स्वस्थ और यशस्वी जीवन की कामना की।
वही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से अपनी शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी बुद्धिमत्ता और राष्ट्र की प्रगति, कल्याण और न्याय के प्रति अटूट समर्पण देश को सत्य और सदाचार के मार्ग पर आगे बढ़ाता रहे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनके जमीनी स्तर से सर्वोच्च संवैधानिक पद तक के सफर को भारत के लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बताया। उन्होंने सामाजिक न्याय, गरीबों के सशक्तिकरण और समावेशी विकास के प्रति राष्ट्रपति की दृढ़ प्रतिबद्धता की सराहना की और राष्ट्र की सेवा में उनके दीर्घ, स्वस्थ और परिपूर्ण जीवन की कामना की।
इनके अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी राष्ट्रपति मुर्मू को जन्मदिन की बधाई दी। योगी आदित्यनाथ ने उन्हें ‘सेवा और सादगी का प्रतीक’बताया है। जबकि पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें ‘सहजता, सरलता, सौम्यता और महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति’ बताया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्षों की एक प्रेरणादायक गाथा है। ओडिशा के मयूरभंज जिले के एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं, उन्होंने गरीबी और सामाजिक बाधाओं का सामना किया। उनके जीवन में व्यक्तिगत त्रासदियां भी कम नहीं थीं। उन्होंने अपने पति और दो बेटों को खो दिया। इसके बाद भी हार नहीं मानीं। शिक्षा और सामाजिक कार्य के प्रति उनकी लगन ने उन्हें एक शिक्षिका से लेकर राजनीति तक का सफर तय करने में मदद की। स्थानीय स्तर पर पार्षद के रूप में शुरुआत करने वाली मुर्मू ने कठिनाइयों को अवसर में बदला और अपनी मेहनत और दृढ़ता से भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने तक का रास्ता तय किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपलब्धियां
द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति और पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 2022 को कार्यभार संभाला था। उन्होंने ओडिशा में स्थानीय निकायों में पार्षद और उपाध्यक्ष के रूप में अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद 2000 में विधायक बनीं और ओडिशा सरकार में मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 2007 में उन्हें ओडिशा विधानसभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2015 में झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने के बाद उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा दिया। राष्ट्रपति के रूप में, वह आदिवासी समुदायों और महिलाओं के उत्थान के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं।
उत्तराखंड में जन्मदिन और कार्यक्रम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपना जन्मदिन उत्तराखंड के राजपुर रोड स्थित राष्ट्रपति निकेतन में मना रही हैं। इस अवसर पर वह 132 एकड़ भूमि पर बनने वाले एक आधुनिक सार्वजनिक पार्क की आधारशिला भी रखेंगी। वह 21 जून तक उत्तराखंड में ही रहेंगी, जहां वह विभिन्न विकास कार्यों की नींव रखेंगी और उद्घाटन करेंगी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर वह पुलिस लाइन मैदान में आयोजित योग कार्यक्रम में भी शामिल होंगी। उन्होंने अपने जन्मदिन की शुरुआत राजपुर रोड स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ की। पिछले साल भी उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन करके अपना जन्मदिन मनाया था।