रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) और यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ईरान में पत्रकारों की डराने-धमकाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, खासकर इज़राइल–ईरान तनातनी के बीच। RSF के अनुसार, पत्रकारों और फ़ारसी-भाषी मीडिया संस्थानों पर इस्लामिक गणराज्य के क्रूर दमन का असर बढ़ रहा है, और उन्हें इजरायली हमलों को लेकर धमकियों के बीच काम करने को मजबूर किया जा रहा है।
चेतावनी मिली, हमला हुआ
29 मार्च को लंदन में Iran International के पत्रकार पौरिया ज़ेरात पर हमला हुआ, जब अज्ञात हमलावरों ने चाकू से उन्हें लहूलुहान कर दिया। उनकी यह वारदात इमरानी अधिकारियों द्वारा धमकियों की एक कड़ी थी। UN के विशेषज्ञों ने इस घटना को पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, धमकियाँ और डराने-धमकाने की एक सामूहिक रणनीति का हिस्सा बताया।
लंदन स्थित BBC Persian सेवा के पत्रकारों को भी धमकियां मिल रही हैं। BBC DG Tim Davie ने बताया कि परिवार के सदस्यों पर पासपोर्ट जब्ती, यात्रा प्रतिबंध, पुलिस पूछताछ और संपत्ति जब्ती जैसी धमकियाँ ज्यादा हो गई हैं। उन्होंने इसे गंभीर और चिंताजनक वृद्धि कहा है।
ट्रांसनेशनल दमन की बढ़ती रणनीति
IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स) की ओर से पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों और उनके परिवारों को निशाना बनाने के कई प्रयास दर्ज हुए हैं। सिर्फ विदेशी धरती पर ही नहीं, बल्कि व्यक्तियों के सामने प्रत्यक्ष हमलों के साथ साथ उनके परिवारों के खिलाफ भी कवायद चल रही है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से दंडित हों।
- RSF ने अत्यंत चिंताजनक कहा है कि यह हमला पत्रकारों पर दमन की बढ़ती लकीर है।
- यूनाइटेड नेशंस के रिपोर्ट्स ने ट्रांसनेशनल दमन को “व्यापक और सुनियोजित” बताया और तुरंत रोक की अपील की।
- बीबीसी, ईरान इंटरनेशनल और अन्य फारसी मीडिया घरानों ने सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं, कुछ ने तो अस्थायी रूप से स्थानांतरण या स्टूडियो बंद किए हैं।
निष्कर्ष
ईरान में पत्रकारों के खिलाफ यह निरंतर डराने-धमकाने और हिंसा का सिलसिला केवल स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्विक लोकतंत्र और प्रेस स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। यह ट्रांसनेशनल दमन के सबसे खतरनाक रूप का प्रतिबिंब है, जिसमें आलोचना को दबाने और स्वतंत्र आवाज़ को रोकने की रणनीति शामिल है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय प्रतिक्रिया और सुरक्षा प्रयास ही इस खतरे से निपटने का एकमात्र रास्ता है।