दिल्ली के गृह और शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने एससी/एसटी कल्याण मंत्री रविंदर इंद्राज सिंह के साथ मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप सरकार पर सीधा हमला बोला है।सूद का कहना है कि यह योजना वंचित तबकों के छात्रों को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई थी लेकिन कोविड के दौरान ये योजना घोटाले का अड्डा बन गई। उन्होंने बताया कि कोचिंग सेंटरों ने करीब ₹145 करोड़ के बिल सरकार को थमा दिए जबकि योजना का असली बजट केवल ₹15 करोड़ था।
मंत्रियों के मुताबिक, 13,000 छात्रों के नाम पर बिल बनाए गए लेकिन जब जांच हुई तो इनमें से केवल 3,000 छात्रों की ही पुष्टि हो सकी। बाकियों के नाम पर न पहचान पत्र मिला, ना अटेंडेंस शीट और ना ही छात्रों के हस्ताक्षर। यानी हजारों फर्जी छात्रों के नाम पर पैसा वसूला गया। आशीष सूद ने सवाल उठाया कि अगर 3,000 छात्रों को भी IAS कोचिंग की सबसे महंगी कैटेगरी ₹1 लाख प्रति छात्र वाली कोचिंग मिली हो, तब भी कुल खर्च ₹30 करोड़ ही होता। तो फिर ये ₹145 करोड़ कहां और कैसे खर्च हो गए?
अब ये मामला ACB यानी भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास है और जांच जारी है। लेकिन ये साफ है कि केजरीवाल सरकार के दौरान बच्चों की मदद के नाम पर बड़ी रकम डकारने का मामला सामने आया है और आने वाले दिनों में इस पर दिल्ली की सियासत और गरमाने वाली है।
35 कोचिंग सेंटर्स पर फोकस
दिल्ली की चर्चित जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना की जांच अब सीधे 35 ऐसे निजी कोचिंग सेंटरों पर फोकस करेगी, जो 100 छात्रों के भी सही दस्तावेज़ या रिकॉर्ड दिखाने में नाकाम रहे। एससी/एसटी कल्याण मंत्री रविंदर इंद्राज सिंह ने कहा कि योजना का उद्देश्य था वंचित वर्गों को आगे बढ़ने का मौका देना लेकिन कुछ लोगों ने इसे पैसा कमाने की स्कीम बना लिया।
सिंह ने कहा, “यह योजना उन लोगों को संघर्ष का मौका देने के लिए थी जो व्यवस्थागत बाधाओं का सामना कर रहे हैं। इसके बजाय, यह पैसा कमाने का एक गिरोह बन गया है। इन छात्रों और उनके परिवारों के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।” सिंह का साफ आरोप है कि जो योजना संघर्ष कर रहे छात्रों के लिए सहारा बननी चाहिए थी, वही भ्रष्टाचारियों का धंधा बन गई। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पूरे मामले की गहन जांच की सिफ़ारिश की थी, जिसे अब हरी झंडी मिल गई है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसके बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) को जांच सौंप दी है।
CM गुप्ता ने केजरीवाल को घेरा?
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे लेकर केजरीवाल सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ‘X’ पर एक पोस्ट में लिखा, “‘आप’ सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना’ में वर्ष 2021-22 में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं। इस योजना का बजट सिर्फ ₹15 करोड़ था, लेकिन ‘आप’ सरकार ने लगभग ₹145 करोड़ के फर्ज़ी बिलों वाली फाइलों को आगे बढ़ा दिया।”
उन्होंने आगे लिखा, “आम आदमी पार्टी ने दलितों के नाम पर सत्ता हथिया कर दलित बच्चों के भविष्य को लूटा है। इन्होंने बाबा साहेब के आदर्शों का अपमान किया है और शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र को भी अपनी भ्रष्ट नीतियों से गंदा किया है। जिन दलित बच्चों को कोचिंग मिलनी थी, उनके नाम पर बिना दस्तावेज़ के दावे, बिना हस्ताक्षर के आवेदन और कई संस्थानों के तो 100% दावे ही फर्जी पाए गए।”
गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोलते हुए आगे लिखा, “भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) अब इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच करेगी। बहुत जल्द दूध का दूध और पानी का पानी होगा। बाबा साहब के नाम पर भ्रष्टाचार करने वाली आम आदमी पार्टी को पाई-पाई का हिसाब देना होगा। ‘आप’ की राजनीति हमेशा दलितों के नाम पर दिखावा करती रही है लेकिन जब जिम्मेदारी निभाने की बारी आई तो उन्हीं के हक़ पर डाका डालने से भी नहीं चूकी।”
आगे की राह
अब मामला पूरी तरह भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) के हाथों में है। एसीबी जल्द ही पैसों के दुरुपयोग की गहराई से जांच शुरू करेगा। फोकस रहेगा – कोचिंग संस्थानों को किए गए भुगतान, उनके दस्तावेज़ों की वैधता, छात्रों की उपस्थिति और संस्थानों के पंजीकरण की स्थिति पर। अगर जांच में आपराधिक गड़बड़ी सामने आती है, तो इसके गंभीर राजनीतिक और कानूनी नतीजे हो सकते हैं।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, कई सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी मांग कर रहे हैं कि जांच पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष हो, ताकि जिन छात्रों ने वाकई योजना का फायदा उठाया, वो इस सियासी तूफान में न कुचले जाएं। फिलहाल, ये योजना जो कभी समावेशी शिक्षा मॉडल की मिसाल मानी जाती थी, अब एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई है जहाँ उसका भविष्य संदेह और विवादों में उलझ गया है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, साफ होगा कि ये योजना सच में वंचितों की ताक़त बनी, या फिर किसी ने उनके नाम पर करोड़ों का खेल खेल लिया।