उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के छतरी थाने में दर्ज एक मामले में, फेसबुक पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ की पोस्ट साझा करने के आरोप में 62 वर्षीय अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने इस मामले में कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रतीक बताया और कहा कि न्यायपालिका की सहनशीलता से इस तरह के मामलों में वृद्धि हो रही है।
कोर्ट की टिप्पणियाँ और जमानत याचिका का खारिज होना
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि इस तरह के अपराध देश में आम हो गए हैं और अदालतें राष्ट्रविरोधी मानसिकता वाले व्यक्तियों के कृत्यों के प्रति उदार और सहनशील हो रही हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता का यह कार्य संविधान का अपमान है और भारत विरोधी पोस्ट साझा करना देश की संप्रभुता को चुनौती देने जैसा है, जिससे देश की अखंडता को गंभीर क्षति पहुंचती है।
आरोप और सरकारी वकील की दलीलें
अंसार अहमद सिद्दीकी के खिलाफ बीएनएस की धारा 197 और 152 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले की सुनवाई के दौरान, अंसार अहमद के वकील ने दलील दी थी कि 3 मई 2025 को याचिकाकर्ता ने फेसबुक पर केवल वीडियो साझा किया था और वह वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि, सरकारी वकील ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का आचरण देश के हित के खिलाफ है और वह जमानत पर रिहा होने के पात्र नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह वीडियो पहलगाम में आतंकियों द्वारा 26 लोगों की निर्मम हत्या किए जाने के बाद पोस्ट किया गया था, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि याचिकाकर्ता ने धार्मिक आधार पर आतंकियों के कृत्य का समर्थन किया है।
कोर्ट का आदेश और संविधान के प्रति कर्तव्य
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, हाईकोर्ट ने 26 जून को आदेश जारी किया कि भारत के हर नागरिक का यह पवित्र कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और देश की संप्रभुता, एकता तथा अखंडता का सम्मान करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्र विरोधी कृत्यों के प्रति सहनशीलता बढ़ने से देश में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ सकती है, इसलिए न्यायपालिका को इस पर कड़ा रुख अपनाना आवश्यक है ताकि संविधान और देश की सुरक्षा बनी रहे।
न्यायपालिका की भूमिका और संदेश
इस निर्णय से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि न्यायपालिका राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को गंभीरता से लेती है और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करती है। यह कदम देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक है, ताकि भविष्य में इस तरह के कृत्यों को रोका जा सके।