अयोध्या एक बार फिर आध्यात्मिक और राष्ट्रीय गौरव के क्षण का गवाह बनने के लिए तैयार है। 22 जनवरी, 2024 को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पवित्र शहर एक और भव्य अवसर राम मंदिर में ध्वजारोहण के लिए तैयार हो रहा है। नवंबर में होने वाला यह कार्यक्रम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को समर्पित भव्य मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की उम्मीद है, जो इस कार्यक्रम के राष्ट्रीय महत्व को रेखांकित करता है।
रामध्वज आरोहण: धर्म की विजय का प्रतीक
आगामी समारोह में राम मंदिर के 161 फुट ऊंचे शिखर पर ‘रामध्वज’ फहराया जाएगा, जो सनातन धर्म की आध्यात्मिक संप्रभुता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है। मुख्य शिखर के अलावा, परिसर के भीतर अन्य मंदिर व शिखरों पर भी ध्वज फहराए जाएंगे। इसके साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार, संगीत, अनुष्ठान और सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होंगे, जो अयोध्या को परंपरा और भक्ति के दिव्य संगम में बदल देंगे।
युद्ध स्तर पर चल रहीं तैयारियां
इस कार्यक्रम के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट युद्धस्तर पर तैयारियां कर रहा है। इसमें हजारों आमंत्रित लोगों के आने की उम्मीद है, जिनमें दुनिया भर से पूज्य संत, वैश्विक हिंदू नेता, मशहूर हस्तियां और राम भक्त शामिल हैं। अयोध्या एक बार फिर आध्यात्मिक राजधानी में तब्दील हो जाएगी, जहां भगवान राम का नाम गूंजेगा। जैसा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान देखा गया था। समारोह के लिए 16 और 25 नवंबर की दो शुभ तिथियों पर विचार किया जा रहा है। ज्योतिषियों से सबसे दिव्य समय को अंतिम रूप देने के लिए परामर्श किया जा रहा है।
शिखर का निर्माण अंतिम चरण में
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के अनुसार, मंदिर का 161 फुट ऊंचा शिखर निर्माण के अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। राम मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि प्राचीन स्थापत्य सिद्धांतों और आधुनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण वाला सभ्यता का प्रतीक है। मुख्य संरचना के साथ-साथ, बड़े परिसर में पूज्य संतों को समर्पित सात अतिरिक्त मंदिर बनाए जा रहे हैं। इन तीर्थस्थलों का निर्माण कार्य एक साथ चल रहा है और इन्हें एक ही समय-सीमा में पूरा करने की योजना है। साथ में, ये संरचनाएं भारत के ऋषियों और उनके द्वारा आगे बढ़ाई गई धार्मिक विरासत को श्रद्धांजलि के रूप में खड़ी होंगी। बलुआ पत्थर से नक्काशीदार मंदिर का भव्य डिज़ाइन भारत की वास्तुकला की चमक और आध्यात्मिक निरंतरता को दर्शाता है।
पवित्र शहर से वैश्विक तीर्थस्थल तक
राम मंदिर के केंद्र में होने के कारण, अयोध्या तेज़ी से परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। पिछले साल जनवरी में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से 3 करोड़ से ज़्यादा भक्त अब तक मंदिर का दौरा कर चुके हैं। जिससे इस क्षेत्र में पर्यटन राजस्व में अनुमानित ₹1,400 करोड़ की वृद्धि हुई। शहर को वैश्विक आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में बदलने के लिए ₹30,000 करोड़ की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल रही हैं।
अयोध्या के विकास के प्रमुख कार्य
अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का अत्याधुनिक निर्माण
महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो पहले से ही आंशिक रूप से चालू है
बढ़ी हुई सड़क संपर्क और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली
होटल, धर्मशाला और टेंट सिटी सहित बेहतर आवास सुविधाएं
शहर की अर्थव्यवस्था में काफ़ी उछाल आया है, आतिथ्य, रसद और पर्यटन में रोज़गार सृजन हुआ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में अयोध्या को वह बुनियादी ढांचा और पवित्रता मिले, जिसकी वह हकदार है।
भावनात्मक आयोजन था प्राण प्रतिष्ठा समारोह
22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भारत की आध्यात्मिक यात्रा में एक यादगार पल थी। दुनिया भर में लाखों लोगों ने वैदिक मंत्रों और पवित्र अनुष्ठानों के बीच राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा देखी। प्रधानमंत्री ने भक्ति और राष्ट्रीय एकता की भावना का आह्वान करते हुए खुद अनुष्ठान किए। यह आयोजन न केवल धार्मिक था, बल्कि पूरी दुनिया में हिंदुओं को एकजुट करने वाला एक भावनात्मक आयोजन था। भारत के हर कोने में राम भक्त रोए, नाचे और जय श्री राम के नारे लगाए। इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह ने आधिकारिक तौर पर तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर के दरवाजे भी खोल दिए, जिससे आने वाले महीनों में भक्तों की अभूतपूर्व भीड़
उमड़ पड़ी।
भारत की प्राचीन पहचान का पुनर्जागरण
नवंबर में ध्वजारोहण समारोह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि यह भारत के आध्यात्मिक पुनरुत्थान की निरंतरता होगी। अदालती लड़ाई से लेकर भव्य प्रतिष्ठा तक और अब मंदिर निर्माण के पूर्ण होने तक, राम मंदिर धर्म, एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और लोगों के समर्थन से अयोध्या आस्था, अर्थव्यवस्था और वैश्विक ध्यान का केंद्र बनकर उभर रहा है। 161 फीट ऊंचे शिखर पर लहराता रामध्वज न केवल भगवान राम की विजय का प्रतीक होगा, बल्कि भारत की प्राचीन पहचान का पुनर्जागरण भी होगा। जैसे-जैसे अयोध्या गौरव के एक और अध्याय की तैयारी कर रही है, दुनिया भक्ति, दृढ़ संकल्प और ईश्वरीय कृपा से भगवा आकाश को ऊंचा उड़ता हुआ देखेगी।