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‘प्रोजेक्ट’, ‘काजल’ से लेकर ‘मिट्टी पलटना’ तक: छांगुर बाबा के वो कोड जिनके ज़रिए चल रहा था धर्मांतरण का धंधा

करोड़ों रुपये के इस्लामी धर्मांतरण रैकेट के कथित सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 5 जुलाई को किया था गिरफ्तार

Vibhuti Ranjan द्वारा Vibhuti Ranjan
12 July 2025
in क्राइम, धर्म
छांगुर बाबा का कोड उजागर: हिंदू महिलाओं को धर्मांतरण की साजिश में 'प्रोजेक्ट' बताया

छांगुर बाबा

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उत्तर प्रदेश के शांत जिलों से धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग और सोशल इंजीनियरिंग के भयावह नेटवर्क उभरा का खुलासा हुआ है। इसका केंद्र बलरामपुर है। करोड़ों रुपये के इस्लामी धर्मांतरण रैकेट के कथित सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 5 जुलाई को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि वह धोखे, जबरदस्ती और कट्टरपंथी विचारधारा में गहराई से निहित उसका धंधा विशेष रूप से जाति और आर्थिक सीमाओं से अलग कमजोर हिंदू महिलाओं को निशाना बनाता था।

अधिकारियों ने पाया है कि रैकेट ने धर्मांतरण कराने के लिए अधिकतर कोड भाषा का इस्तेमाल किया। पीड़ितों को भावनात्मक हेरफेर, वित्तीय प्रलोभन और धार्मिक ब्रेनवॉश के माध्यम से लुभाया। इस अभियान का भयावह पैमाना और दुस्साहस न केवल व्यक्तिगत आस्थाओं पर, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने पर भी सुनियोजित हमले को दर्शाता है।

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कोड वर्ड और जाति आधारित इनाम

कथित तौर पर जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने एक भयावह और अमानवीय व्यवस्था बनाई थी, जहाँ हिंदू महिलाओं को केवल “प्रोजेक्ट” बनाकर रख दिया गया। धर्म परिवर्तन के लिए “मिट्टी पलटना” और मानसिक आघात पहुंचाने के लिए “काजल” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए वह अपने आकाओं और गुर्गों के नेटवर्क से गुप्त रूप से संवाद करता था। “दर्शन” का अर्थ जमालुद्दीन से मुलाक़ात होता था, जो उसके अपराध में एक अर्ध आध्यात्मिक परत जोड़ता था।

धर्मांतरण के लिए देता था इनाम

यह रैकेट मुस्लिम पुरुषों को उनकी जाति के आधार पर हिंदू महिलाओं को निशाना बनाने के लिए प्रोत्साहित करता था। प्रत्येक सफल धर्मांतरण के लिए उन्हें नकद इनाम देता था। विधवाएं, आर्थिक रूप से संकटग्रस्त महिलाएं और सामाजिक रूप से अलग-थलग व्यक्ति विशेष रूप से असुरक्षित थे। आकाओं ने पीड़ितों को भावनात्मक रूप से लुभाने के लिए सोशल मीडिया पर नकली हिंदू पहचान बनाई और बाद में उन्हें धर्मांतरण के लिए शादी की शर्त पर मजबूर किया।

सोशल मीडिया के जाल और झूठे वादे

छांगुर बाबा के धर्मांतरण नेटवर्क ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का सबसे अधिक उपयोग किया। महिलाओं से दोस्ती करने और उन्हें भावनात्मक रूप से फंसाने के लिए हिंदू जैसे नामों से फ़र्ज़ी प्रोफ़ाइल बनाई। एक बार विश्वास स्थापित हो जाने पर, धर्मांतरण विवाह की “शर्त” बन गया। दूसरों के लिए, नौकरी, छात्रवृत्ति और विदेश यात्रा के झूठे वादे प्रलोभन के रूप में पेश किए गए।

छांगुर बाबा ने लोगों की आस्था और हताशा का फ़ायदा उठाते हुए खुद को एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में पेश किया। अपनी बयानबाज़ी के ज़रिए, उसने हिंदू प्रथाओं और मान्यताओं का अपमान किया, जिससे धीरे-धीरे उसके पीड़ितों का मनोवैज्ञानिक प्रतिरोध कमज़ोर हो गया। वह पिछड़ी जाति के समूहों को निशाना बनाने में विशेष रूप से सक्रिय था और जातिगत विभाजन कर उनकी कमज़ोरियों को और गहरा करता था।

नेपाल से गठजोड़ और विदेशी धन

छांगुर बाबा के नेटवर्क की जांच से पता चला कि उसका रैकेट बलरामपुर से कहीं आगे तक फैला हुआ था, जो भारत-नेपाल सीमा से लगे झरझरा ज़िलों में भी फैला था। उसने इन क्षेत्रों में कई मदरसे और धार्मिक संस्थान स्थापित किए, जिन्हें कथित तौर पर विदेशी स्रोतों से धन मिलता था। ये संस्थान मुख्य रूप से वंचित हिंदू परिवारों के बच्चों को निशाना बनाते थे और उन्हें शिक्षा की आड़ में बहकाते थे।

जांच के दौरान अधिकारियों को नेपाल में अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के साथ छांगुर बाबा के घनिष्ठ संबंधों का पता चला। यह भी पता चला कि वह नेटवर्क को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से सीमा पार जाता था। खाड़ी देशों से कथित तौर पर भेजे गए ₹100 करोड़ से अधिक के विदेशी धन का पता 40 बैंक खातों से लगाया गया। इन पैसों का इस्तेमाल न केवल धर्मांतरण के लिए बल्कि कई राज्यों में लग्जरी गाड़ियों और संपत्ति खरीदने के लिए भी किया गया। उसका धंधा एक वैचारिक रूप से संचालित, सुनियोजित सिंडिकेट की निशानी था।

छांगुर बाबा का रहा है आपराधिक इतिहास

बलरामपुर के रेहरा माफ़ी गांव का मूल निवासी जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पहले खुद को रत्न व्यापारी बताता था। दिसंबर 2022 में एक दलित हिंदू परिवार के जबरन धर्मांतरण के सिलसिले में उसका नाम सामने आने पर उसका आपराधिक इतिहास और गहरा हो गया। अपने ज्ञात सहयोगियों नीतू (उर्फ नसरीन) और नवीन के साथ उस पर शारीरिक उत्पीड़न और धार्मिक दबाव बनाने का आरोप लगाया गया था।

विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की सहायता से एटीएस की जांच में 10 आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। गौरतलब हो कि जमालुद्दीन के कुख्यात गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के आपराधिक नेटवर्क से संबंध होने का अनुमान है, जो आपराधिक और वैचारिक उद्देश्यों के मेलजोल का संकेत देता है। उसके बेटे महबूब को अप्रैल की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था, जिससे पता चलता है कि यह रैकेट कई पीढ़ियों से चला आ रहा था।

देश के लिए चेतावनी

जानकारी हो कि बलरामपुर का धर्मांतरण रैकेट केवल धार्मिक हेरफेर की कहानी नहीं है, बल्कि विचारधारा, अपराध और विदेशी हस्तक्षेप का खतरनाक मिश्रण है। हिंदू महिलाओं को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाने के लिए जाति, भावनात्मक कमजोरी और झूठी पहचान का इस्तेमाल बेहद परेशान करने वाली प्रवृत्ति को दर्शाता है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। जमालुद्दीन के मुकदमे का इंतज़ार करते हुए, जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानूनों, विदेशी फंडिंग की जांच और वंचित समुदायों की सुरक्षा की जरूरत जरूरी हो जाती है। यह मामला सतर्क पुलिसिंग के महत्व को भी बताता है।

Tags: balrampurchangur babaforeign fundingislamic conversion racketUPइस्लामी धर्मांतरण रैकेटछांगुर बाबाबलरामपुरयूपीविदेशी फंडिंग
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गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र
इतिहास

श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

22 October 2025

भारत की हर परंपरा की जड़ में कोई गहरी कथा होती है। कहीं विश्वास, कहीं भय, कहीं प्रेम और कहीं उन तीनों का सम्मिश्रण। भाई...

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