भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस सप्ताह नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच ‘वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन’ (WMCC) की बैठक हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर मौजूदा स्थिति की समीक्षा करना और सीमा विवाद पर लंबित विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की अगली बातचीत के लिए रास्ता तैयार करना।
यह बैठक इस बात के करीब नौ महीने बाद हुई है जब दोनों देशों ने डेमचोक और डेपसांग जैसे प्रमुख विवादित इलाकों से सेना वापसी पूरी की थी, जो मई 2020 में शुरू हुए सैन्य तनाव के बाद का एक बड़ा कदम था। हालांकि, सीमा से पूरी तरह सैनिक हटाव (de-escalation) अभी बाकी है, लेकिन हाल की कूटनीतिक कोशिशें इस बात का संकेत देती हैं कि दोनों देश सीमा को स्थिर करने और रिश्ते सामान्य करने के लिए गंभीर हैं।
WMCC बैठक: स्थिरता और संवाद पर फोकस
नई दिल्ली में हुई WMCC बैठक में भारत और चीन के बड़े अधिकारी शामिल हुए। भारत की टीम की अगुवाई विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव गौरंगलाल दास ने की, जबकि चीन की तरफ से इस बैठक का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्रालय के सीमा और समुद्री मामलों के विभाग के प्रमुख होंग लियांग ने किया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने सीमा पर बनी शांति और स्थिरता से खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह माहौल दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने में मदद कर रहा है और वे आगे भी नियमित सैन्य और कूटनीतिक बातचीत जारी रखेंगे।
बैठक में दोनों देशों ने पहले हुई 23वीं SR बातचीत में जो सैनिक वापस लेने के फैसले हुए थे, उनकी समीक्षा की और सीमा को अच्छे से संभालने का अपना वादा दोहराया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस WMCC बैठक से अगली SR बातचीत के लिए रास्ता साफ हुआ है, जो इस साल भारत में होगी।
अजीत डोभाल और वांग यी फिर से शुरू करेंगे SR वार्ता
अगली SR वार्ता का नेतृत्व भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी करेंगे। खास बात यह है कि वांग यी भारत दौरे पर भी आएंगे ताकि यह महत्वपूर्ण बातचीत हो सके। पिछली SR बैठक दिसंबर 2023 में बीजिंग में हुई थी, जिसमें विश्वास बढ़ाने और विवाद समाधान के तरीकों पर चर्चा हुई थी। विदेश मंत्रालय का बयान बताता है कि दोनों देश सीमा विवाद से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने के लिए आम सहमति बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि LAC पर भविष्य में तनाव को कम किया जा सके।
यह संवाद और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो गया है क्योंकि यह विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया चीन दौरे के बाद हो रहा है, जहां उन्होंने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की बैठक में हिस्सा लिया था। इन लगातार हो रही बैठकों से यह साफ होता है कि दोनों देश 2020 के गलवान संघर्ष के बाद रिश्तों को सुधारने और एक नई शुरुआत करने का मन बना रहे हैं।
सैन्य वापसी हुई पूरी, लेकिन डी-एस्केलेशन अभी बाकी है
जहां दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग त्सो, गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक और डेपसांग जैसे विवादित इलाकों से वापस आ गई हैं, वहीं अभी सीमा से सैनिकों की पूरी वापसी (डी-एस्केलेशन) नहीं हुई है। अब भी लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक दोनों तरफ से पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं, जो अभी भी सीमा पर तनाव के बने रहने का संकेत है।
यह टकराव मई 2020 में शुरू हुआ था और इससे दोनों देशों के रिश्ते सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। गलवान घाटी की हिंसक झड़प में दशकों बाद पहली बार दोनों तरफ़ सैनिकों की मौत हुई थी। तब से दोनों देशों के बीच भरोसा कमजोर रहा, लेकिन अक्टूबर 2024 में डेमचोक-डेपसांग समझौता और बाद की कूटनीतिक बातचीत से धीरे-धीरे रिश्तों में सुधार की उम्मीद बनी है।
मोदी-शी मुलाकात ने फिर से शुरू किया संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में SCO सम्मेलन के दौरान हुई मुलाकात के बाद WMCC और SR वार्ता जैसे संवाद तंत्र फिर सक्रिय हुए। इस बैठक से कुछ दिन पहले डेमचोक और डेपसांग से सेना वापसी पर सहमति बनी थी, जिसने द्विपक्षीय बातचीत के नए दौर की शुरुआत की।
चीनी प्रतिनिधिमंडल के नेता होंग लियांग ने दिल्ली में विदेश सचिव विक्रम मिस्री से भी मुलाकात की, जिससे यह संकेत मिला कि चीन विभिन्न स्तरों पर बातचीत जारी रखने के इच्छुक हैं। यदि यह कूटनीतिक संवाद जारी रहता है, तो दोनों पड़ोसी देशों के बीच अधिक स्थिर और पूर्वानुमान योग्य संबंध बन सकते हैं, हालांकि सीमा पर निर्माण कार्य और रणनीतिक हितों के चलते चुनौतियां अभी भी बनी हैं।
नाजुक लेकिन सकारात्मक शांति की ओर बढ़त
हालांकि सीमा पर सैनिकों की तैनाती बनी हुई है और भरोसे की कमी भी जारी है, फिर भी हाल की WMCC बैठक और SR वार्ता की तैयारियां दिखाती हैं कि भारत और चीन शांति की दिशा में कूटनीतिक रास्ता अपनाने के लिए तैयार हैं। महीनों की खामोशी के बाद बातचीत की वापसी से यह स्पष्ट होता है कि दोनों देश तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
फिर भी, जब तक सीमा से पूरी तरह सैनिक वापस नहीं आते और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के सवाल पर स्पष्टता नहीं आती, तब तक यह शांति नाजुक ही रहेगी। आने वाली SR बैठक तय करेगी कि यह प्रारंभिक शांति स्थायी स्थिरता में बदलेगी या केवल रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच एक अस्थायी समझौता बनी रहेगी।