सतत ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपनी कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% हिस्सा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त कर लिया है। यह लक्ष्य पेरिस समझौते के तहत निर्धारित 2030 की समयसीमा से पाँच साल पहले ही पूरा हो गया है। यह उपलब्धि देश के हरित ऊर्जा भविष्य की ओर तेज़ी से बढ़ते कदमों को दर्शाती है और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करती है।
ऊर्जा और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता अब 484.82 गीगावाट (GW) हो गई है। इसमें से 242.78 GW, यानी ठीक 50%, गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। जिनमें 184.62 GW नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन आदि), 49.38 GW बड़े पनबिजली परियोजनाएं, 8.78 GW परमाणु ऊर्जा शामिल है।
ऊर्जा क्षेत्र में भारत का निर्णायक मोड़
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने इस उपलब्धि को देश के लिए गर्व का क्षण बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत का यह समय से पहले का लक्ष्य-प्राप्ति प्रयास, देश की जलवायु परिवर्तन से निपटने की प्रतिबद्धता और सतत आर्थिक विकास की दिशा में उसके दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “एक ऐसी दुनिया जो जलवायु समाधान की खोज में है, उसमें भारत रास्ता दिखा रहा है। 2030 के लक्ष्य से पाँच वर्ष पूर्व 50% गैर-जीवाश्म क्षमता प्राप्त करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आत्मनिर्भर और सतत भविष्य की ओर बढ़ रहा है।” MNRE ने कहा कि यह बदलाव भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक मूलभूत परिवर्तन को दर्शाता है, जो विकास की आकांक्षाओं को पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करता है।
क्या है उपलब्धि के पीछे मुख्य सरकारी पहलें?
भारत की इस हरित ऊर्जा क्रांति के पीछे कई सरकारी योजनाओं और प्रयासों की अहम भूमिका रही है, जिनमें ये मुख्य योजना शामिल है
पीएम-कुसुम योजना– इस योजना ने किसानों को सौर ऊर्जा चालित पंप प्रदान करके ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच बढ़ाई है। इससे टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा मिला है और एग्रोवोल्टैक्स (कृषि + सौर ऊर्जा) जैसी नवीन अवधारणाओं को भी बल मिला है।
पीएम सूर्य घर योजना– 2024 में शुरू हुई इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य है एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाना। यह योजना विकेंद्रीकृत ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा दे रही है और घरेलू स्तर पर सौर ऊर्जा को भी सुलभ बना रही है।
सोलर पार्क परियोजनाएं– राज्य स्तर पर बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से ऊर्जा लागत में कमी आई है। ऐतिहासिक रूप से कम टैरिफ के कारण सौर ऊर्जा अब पहले से कहीं अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है।
पवन ऊर्जा का विस्तार– गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पवन ऊर्जा, विशेष रूप से शाम की पीक डिमांड को पूरा करने में मदद कर रही है, जिससे ग्रिड की विश्वसनीयता बनी रहती है और उत्सर्जन में भी कटौती होती है।
बायोएनेर्जी विकास– भारत का बायोएनेर्जी क्षेत्र अब एक सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, जहां कचरे को ऊर्जा में बदला जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
हरित प्रगति का वैश्विक आदर्श
भारत की स्वच्छ ऊर्जा में यह प्रगति उसे सतत विकास के क्षेत्र में एक वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित कर रही है। भारत न केवल अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है, बल्कि वह अन्य विकासशील देशों के लिए एक ऐसा मॉडल भी प्रस्तुत कर रहा है, जो आर्थिक प्रगति के साथ-साथ हरित ऊर्जा की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ रहा है, यह उपलब्धि स्पष्ट संदेश देती है- उचित नीति, नवाचार और जनभागीदारी के संतुलन से महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई संभव है।