कांग्रेस को साल 2018-19 से लंबित पार्टी फंड में 199 करोड़ रुपये की आयकर छूट मांग में कोई राहत नहीं मिलने वाली है। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने आयकर रिटर्न देर से दाखिल करने और नकद दान सीमा के उल्लंघन के कारण पार्टी के छूट के दावे को खारिज कर दिया है। आईटीएटी ने कहा, ‘करदाता ने 2.02.2019 को रिटर्न दाखिल किया था। यह रिटर्न उसे लिए पात्र बनाने की नियत तिथि के भीतर नहीं है।’
तारीख के बाद रिटर्न
कांग्रेस ने 2 फरवरी, 2019 को अपना आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जो 31 दिसंबर, 2018 की नियत तिथि से काफी आगे था, और उसने जीरो इनकम घोषित की थी। कांग्रेस ने 199.15 करोड़ रुपये की छूट का भी दावा किया था। लेकिन सितंबर 2019 में, कर निर्धारण अधिकारी को जांच के दौरान पता चला कि पार्टी ने 14.49 लाख रुपये नकद दान स्वीकार किए थे। इनमें से कई दान कानून के तहत प्रति दानदाता 2,000 रुपये की सीमा से अधिक थे।
पिछले साल भी राहत नहीं
नियमों के तहत 2000 रुपये से अधिक के दान का भुगतान चेक या बैंक हस्तांतरण जैसे बैंकिंग माध्यमों से किया जाना है। इसके बाद पूरी राशि पर कर लगाया गया। जब कांग्रेस ने छूट मांगी, तो आयकर विभाग ने 2021 में दावे को अस्वीकार कर दिया। मार्च 2023 में, आयकर आयुक्त (अपील) ने इस निर्णय को बरकरार रखा। अपीलीय न्यायाधिकरण ने पिछले वर्ष कोई भी अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
ITAT ने अपने आदेश में ये कहा
“करदाता के इन सभी जोरदार तर्कों से हमारी सहमति नहीं मिलती। इसका सटीक कारण यह है कि जहां तक किसी राजकोषीय क़ानून में इस तरह के छूट प्रावधान की व्याख्या का संबंध है, न केवल करदाता के मामले में कर निर्धारण वर्ष 1994-95 के पैरा 95 में माननीय हाईकोर्ट के 23 मार्च, 2016 के निर्णय ने यह स्पष्ट किया कि धारा 13ए का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए, बल्कि कमिश्नर बनाम दिलीप कुमार एंड कंपनी (2018) 9 एससीसी 1 (एससी) (एफबी) में माननीय सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय ने भी इस मुद्दे को सुलझा दिया कि यह उदार नहीं बल्कि केवल कर निर्धारण क़ानून में कठोर व्याख्या है, जिसका उपयोग छूट के दावे में किया जाना है। ऐसा होने पर और इस तथ्य के आलोक में कि धारा 139(4बी) में भी धारा 139(1) के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करने की निर्धारित तिथि अर्थात रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होने के बावजूद, हमारा यह सुविचारित मत है कि उपरोक्त पूर्व खंड वास्तव में इसमें आगे किसी भी प्रकार की उदारता को प्रतिबंधित करता है, क्योंकि इसमें स्पष्ट रूप से “देय” तिथि की अभिव्यक्ति शामिल है। इसलिए जैसे ही ऐसी “देय” तिथि का उल्लंघन होता है, धारा 13ए का तीसरा प्रावधान लागू हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित राजनीतिक दल को छूट से वंचित कर दिया जाता है। इस प्रकार हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 02.02.2019 को दाखिल किया गया करदाता का रिटर्न विवादित छूट के लिए पात्र बनाने हेतु “देय” तिथि के भीतर नहीं है।