उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद से राजनीतिक गलियारों में बयानों घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रेणुका चौधरी ने बीजेपी को टारगेट करते हुए कहा कि ये अजीब वायरस बीजेपी में घूमता रहता है। उन्होंने कहा कि अगर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की तबीयत खराब होती तो उन्हें एम्स में भर्ती कराया जा सकता था। उन्होंने कहा कि वे जाट हैं। सब ठीक है, लेकिन भाजपा में ये अजीब वायरस चल रहा है।
“ये सरकारी बीमारी है”
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि बीजेपी ने कभी ठीक से काम किया है। व्यक्ति का स्वास्थ्य कभी भी खराब हो सकता है। ऐसे में हमारे पास एम्स जैसे बहुत ही बढ़िया अस्पताल हैं। उनका इलाज हम करवा देंगे। उपराष्ट्रपति का और ऐसा कौन सा बड़ा स्वास्थ्य का मुद्दा है। वो लंबे-चौड़े जाट हैं, हट्टे-कट्टे हैं। सब ठीक-ठाक है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, यह सरकारी बीमारी है, ये अजीब वायरस भाजपा में घूमता रहता है तो अब आगे भी इनको ऐसे लग गया हैं।
धनखड़ को जाट समुदाय से जोड़ने के मायने
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल खड़ा करने के दौरान उन्हें जाट बताया है। अब उनके इस कदम के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे अधिक यह कि कांग्रेस को इसके बहाने जाट समुदाय को अपनी ओर खींचने का मौका मिल गया है, सो उन्होंने लगे हाथ अपना यह दांव भी खेल दिया। अब चलते हैं जाट समुदाय के राजनीतिक प्रभाव की ओर। यह बात तो सर्वविदित है कि देश के तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय एक प्रभावशाली और बड़ी आबादी है। इसमें भी तुर्रा यह कि जगदीप धनखड़ राजस्थान के हैं और जाट समुदाय से आते हैं। उन्हें जाट बताना वहां के जाट मतदाताओं को लुभाने की कोशिश हो सकती है। जगदीप धनखड़ को “जाट” बताना केवल उनकी सामाजिक पहचान की बात नहीं है, बल्कि एक राजनीतिक संदेश और रणनीति भी हो सकती है, जो वोट बैंक, प्रतिनिधित्व और जातीय समीकरण को साधने के लिए प्रयुक्त होती है।
अकल्पनीय है इस्तीफा: जयराम रमेश
इधर, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, लेकिन स्पष्ट रूप से उनके अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है। उन्होंने कल बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक तय की थी। अब उन्हें न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं।”
कपिल सिब्बल ने बताया राष्ट्रवादी देशभक्त
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, “मुझे अफसोस है, क्योंकि मेरे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। मैं उन्हें 30-40 सालों से जानता हूं… वे हमारे कुछ पारिवारिक समारोहों में शामिल हुए हैं… मुझे उम्मीद है कि वे स्वस्थ होंगे और दीर्घायु होंगे, और मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। हमें इसे स्वीकार करना होगा और आगे बढ़ना होगा। व्यक्तिगत रूप से, मुझे अच्छा नहीं लगा। हालांकि, हमारी विचारधाराएं मेल नहीं खाती थीं। लेकिन, वे कभी भी किसी बात को अपने दिल में नहीं रखते थे। वे एक राष्ट्रवादी और देशभक्त हैं। वे चाहते थे कि विपक्ष और सरकार मिलकर दुनिया में भारत की स्थिति को बेहतर बनाएं।”
राजनीतिक अस्वस्थता का मामला: मल्लू रवि
कांग्रेस सांसद मल्लू रवि ने पूरे मामले पर चिंता जतायी है। उन्होंने कहा, “भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिना किसी हेल्थ प्रोब्लम के दो दिन राज्यसभा सत्र का संचालन ठीक से किया। उनके त्यागपत्र में लिखा है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन हमें लगता है कि यह उनके शारीरिक अस्वस्थता से ज़्यादा उनके राजनीतिक अस्वस्थता का मामला है। संभवतः भाजपा बिहार चुनाव से पहले किसी ऐसे व्यक्ति को लाना चाहती है, जो उनकी मदद कर सके।”
अचानक सम्मान क्यों करने लगे कांग्रेसी?
इन सबके बीच एक बात अहम है। वह यह है कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद तमाम विपक्षी नेता उनके सम्मान में कसीदे कढ़ने लगे हैं। इनमें कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश समेत अन्य नेता शामिल हैं। लेकिन यही लोग कभी उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का मन बना रहे थे। इतना ही नहीं, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के नेताओं ने संसद परिसर में उनकी मिमिक्री करते हुए अपमानजनक वीडियो भी बनाए थे, जिससे धनखड़ खूब आहत हुए थे। कई दूसरे मौकों पर भी विपक्ष के नेता उनके खिलाफ टिप्पणी करने से नहीं चूकते थे। सवाल यह है कि अब अचानक से कांग्रेसी नेता उनके सम्मान में आगे क्यों आने लगे हैं?