28 जुलाई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ने मालदा के चांचल इलाके की एक बंगाली महिला और उसके बच्चे के साथ बर्बरता की है। उन्होंने इसे “भयानक और अत्यंत अपमानजनक” बताया और कहा कि बच्चे को भी पीटा गया है।
ममता ने इसे बीजेपी की बंगालियों के खिलाफ “भाषाई आतंकवाद” बताया। वीडियो में महिला, संजनू परवीन, ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने 26 जुलाई की रात 10:30 बजे उन्हें जबरन एक सुनसान जगह ले जाकर ₹25,000 की मांग करते हुए पीटा। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और खासकर विपक्षी समूहों ने इसे फैलाकर सांप्रदायिक और क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने की कोशिश की।
दिल्ली पुलिस ने CCTV और महिला के कबूलनामे से सच सामने ला दिया
वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों में दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू कर दी। पूर्वी दिल्ली के डीसीपी अभिषेक धानिया की टीम ने पूरा मामला जांचा। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज देखा, तकनीकी जानकारी जुटाई और महिला से पूछताछ की। जांच में मिले सबूतों से साफ हो गया कि महिला की कहानी झूठी थी।
धानिया ने ANI से कहा, “तकनीकी और स्थानीय खुफिया जानकारी के आधार पर और CCTV फुटेज के अनुसार हमने पाया कि महिला द्वारा कही गई पूरी कहानी निराधार है।” महिला ने पूछताछ में बताया कि उसका एक रिश्तेदार, जो मालदा का एक राजनीतिक कार्यकर्ता है, उसे यह झूठा वीडियो बनाने के लिए कहा था। यह वीडियो बाद में स्थानीय मीडिया में भी फैलाया गया। दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले को पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचाने और राजनीतिक माहौल को सांप्रदायिक बनाने की साजिश बताया।
डीसीपी धानिया ने कहा कि सच्चाई तक तेजी से पहुंचने के लिए कई टीमें बनाई गईं। उन्होंने साफ कहा, “पूरी जांच के बाद हमने निष्कर्ष निकाला कि यह वीडियो पूरी तरह से गढ़ा हुआ है और जानबूझकर पुलिस की छवि खराब करने के लिए फैलाया गया है।” अब पुलिस इस मामले में गलत सूचना फैलाने के लिए कानूनी कार्रवाई भी करने पर विचार कर रही है।
अमित मालवीय ने ममता की झूठी कहानी की निंदा की
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया दी और ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उन्होंने झूठी बात फैलाकर लोगों की भावनाएं भड़काने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यह घटना ममता बनर्जी की तरफ से झूठी खबर फैलाने का एक शर्मनाक उदाहरण है। मालवीय ने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है जब ममता बनर्जी ने कानून-व्यवस्था से जुड़ी बात को राजनीतिक फायदा उठाने के लिए सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की है। उन्होंने ममता के ट्वीट को गैरजिम्मेदार और खतरनाक बताया क्योंकि इससे समाज में नफरत और अविश्वास फैलता है। मालवीय ने ममता से माफी की मांग की और मीडिया से कहा कि ऐसे गंभीर आरोपों को बिना जांचे-परखे नहीं दिखाना चाहिए।
सच्चाई के ऊपर राजनीति फिर एक बार
यह पूरा मामला साफ दिखाता है कि किस तरह राजनीतिक नेता ममता बनर्जी जैसे लोग झूठी कहानियों के जरिए संस्थानों को निशाना बनाकर जनता की भावनाओं को भड़काते हैं। कुछ ही घंटों में झूठ पकड़ में आ गया लेकिन उसका नुकसान पहले ही हो चुका था। दिल्ली पुलिस की पेशेवर जांच और सबूतों ने इस दावे की पोल खोल दी। जहां महिला केवल एक मोहरा थी, वहीं ममता ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया। आज के दौर में ऐसे राजनीतिक झूठ न केवल अनैतिक हैं बल्कि खतरनाक भी हैं। जांच जारी है, लेकिन यह बात याद रखने वाली है कि सच को पकड़ना देर-सबेर जरूर होता है।