लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी लगातार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की आलोचना करते रहे हैं। लेकिन अब कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे राहुल गांधी से भी एक कदम आगे निकल गए हैं। प्रियांक खरगे ने RSS पर बैन लगाने की बात तक कह दी है। इतिहास से आज तक देखें तो कांग्रेस की सरकारों के कई ऐसे फैसले सामने आते हैं जो यह दिखाते हैं कि यह पार्टी किस हद तक एक विशेष वोटबैंक को खुश करने के लिए देश की बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं को कुचलती रही है। अब प्रियांक खरगे के इस बयान को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है कि कांग्रेस की आत्मा में हिंदू विरोधी मानसिकता कितनी गहराई तक बसी हुई है।
खरगे के इस बयान को मुस्लिम लीग से कांग्रेस की दोस्ती, शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने, राम मंदिर निर्माण का विरोध करने और सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को गाली देने की उसी लंबी कड़ी में देखा जाना चाहिए जहां पार्टी की प्राथमिकता हमेशा ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की रही है। कांग्रेस द्वारा बार-बार बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्था को अपमानित किया गया है। साथ ही, हिंदुओं के संगठनों, धर्मगुरुओं पर भी कांग्रेस की टेढ़ी नज़र रही है।
RSS से क्यों परेशान है कांग्रेस?
RSS भारत छोड़िए विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक संगठन है, जिसने करोड़ों युवाओं को सेवा, अनुशासन और राष्ट्रभक्ति का सबक दिया है। जब कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो RSS के स्वयंसेवक बिना किसी राजनीतिक झंडे के राहत कार्यों में सबसे पहले पहुंचते हैं। कोरोना काल हो, केदारनाथ की आपदा हो या भारत में कहीं भी बाढ़ में डूबे गांव हों, RSS के कार्यकर्ता हर मोर्चे पर मौजूद मिलते हैं। करोड़ों युवाओं को राष्ट्रवाद और देश सेवा की प्रेरणा देने वाला यह संगठन क्या सच में बैन किए जाने के लायक है?
कांग्रेस को संघ से परेशानी इसीलिए है क्योंकि संघ उस भारत की बात करता है जो सनातन परंपरा में रचा-बसा है। वहीं, कांग्रेस जिस सेक्युलरिज्म की दुहाई देती है, वह वास्तव में ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का चोला है। इस सेक्युलरिज्म में मदरसे को अनुदान है, लेकिन संस्कृत स्कूलों को बंद करने की सिफारिशें हैं। इस सेक्युलरिज्म में ‘हज सब्सिडी’ है लेकिन कांवड़ यात्रियों को मिलने वाली सहायता ‘धर्म का दिखावा’ करार दी जाती है।
अब जरा कांग्रेस की दोस्तियों पर नजर डालें। एक ओर तो कांग्रेस ने केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से गठबंधन किया हुआ है, जो खुलेआम मुस्लिम हितों की बात करती है। विभाजनकारी राजनीति को हवा देने वाली मुस्लिम लीग में कांग्रेस को सेक्युलरिज्म नज़र आता है जबकि RSS उसे सांप्रदायिक दिखता है। कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी विदेश में जाकर यह दावा तक कर देते हैं कि मुस्लिम लीग सेक्युलर दल है लेकिन कांग्रेस को संघ बुरा लगता है क्योंकि संघ राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक गौरव की बात करता है।
कभी कांग्रेस के नेताओं ने हिंदुओं को आतंकवादी बताया था, भगवा आतंकवाद की थ्योरी दी गई लेकिन जब वोट बैंक खिसकता दिखा तो राहुल गांधी खुद को ‘जनेऊधारी ब्राह्मण’ बताकर हिंदू विरोधी नीतियों को छुपाने की कोशिश करने लगे। आज जब भारत वैश्विक मंच पर सिर ऊंचा करके खड़ा है, तब कांग्रेस एक बार फिर अपनी पुरानी नीति की तरफ लौट आई है कि ‘डर फैलाओ और बहुसंख्यक को खलनायक बना दो’। वही पार्टी है जिसने कभी ‘भगवा आतंकवाद’ जैसी भ्रामक और अपमानजनक थ्योरी को जन्म दिया था और बाद में अदालतों से उन मामलों में सभी को बरी होते देखना पड़ा। लेकिन कांग्रेस ने आज तक उन झूठे आरोपों के लिए माफी नहीं मांगी।
प्रियांक खड़गे का बयान यह नहीं बताता कि कांग्रेस सत्ता में आने पर क्या नया करेगी, बल्कि यह बताता है कि वह किनसे बदला लेगी। एक सामाजिक संगठन को बैन करने की धमकी देकर वह देश के करोड़ों उन नागरिकों का अपमान कर रहे हैं जो संघ के स्वयंसेवक नहीं भी हैं लेकिन उसकी सेवा भावना का सम्मान करते हैं। कांग्रेस की समस्या यह है कि वह अब एक विचारधारा से नहीं, सिर्फ घृणा से प्रेरित राजनीति कर रही है। संघ पर बैन लगाने की बात दरअसल उन करोड़ों हिंदुओं की आवाज को चुप कराने की साजिश है, जो आज गर्व से अपने धर्म, संस्कृति और इतिहास की बात कर रहे हैं। अगर कांग्रेस को हिंदुओं की भावना समझनी है, तो उसे पहले यह स्वीकार करना होगा कि हिंदू होना कोई अपराध नहीं है, और हिंदू संगठन देश की नींव को मजबूत करते हैं, न कि कमजोर।