सेतुबंध योजना: अब गुरुकुल विद्यार्थी भी करेंगे IIT में रिसर्च

IITs में गुरुकुल छात्रों को मिलेगा रिसर्च का मंच

सेतुबंध योजना: अब गुरुकुल विद्यार्थी भी करेंगे IIT में रिसर्च

शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU) की भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ (IKS) शाखा के साथ मिलकर सेतुबंध विद्वान योजना शुरू की है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसका मकसद पारंपरिक गुरुकुल प्रणाली से पढ़े-लिखे विद्वानों को आधुनिक शिक्षा संस्थानों जैसे IITs में शोध के मौके देना है।

इस योजना के तहत ऐसे छात्र आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने गुरु या गुरुकुल के तहत कम से कम पाँच साल तक पढ़ाई की हो, भले ही उनके पास कोई औपचारिक डिग्री न हो। इन्हें सीधे स्नातकोत्तर (PG) या पीएचडी स्तर पर शोध करने का मौका मिलेगा और उनकी डिग्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा मान्य होगी।

आर्थिक सहायता और छात्रवृत्ति

PG (पोस्टग्रेजुएट) के छात्रों को हर महीने ₹40,000 मिलेंगे और हर साल रिसर्च (शोध) के लिए ₹1 लाख दिए जाएंगे।

PhD के छात्रों को हर महीने ₹65,000 मिलेंगे और हर साल रिसर्च के लिए ₹2 लाख दिए जाएंगे।

ये मदद “सेतुबंध” नाम के चुने हुए विद्वानों को दी जाएगी। साथ ही, इन छात्रों को रिसर्च में मदद IIT और देश के दूसरे बड़े-बड़े संस्थान देंगे।

 किस क्षेत्र में शोध संभव है?

इस योजना में शामिल 18 विषयों में हैं:

पात्रता की मुख्य शर्तें

 यह पहल क्यों खास है?

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वर्खेड़ी के अनुसार, यह योजना प्राचीन गुरुकुल परंपरा और आधुनिक शोध की बीच एक ऐतिहासिक सेतुबंध है। इससे पारंपरिक विद्वानों को मान्यता मिलेगी और प्रशासकीय रूप से नए पहलुओं में योगदान मिलेगा।

यह कदम NEP 2020 की दिशा में भी सार्थक है, क्योंकि यह भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा में आत्मसात करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ता है।

 उज्जवल भविष्य के संकेत

सेतुबंध विद्वान योजना एक महान बदलाव की दिशा में पहला कदम है, जहां हम अपने अतीत को सम्मान देते हुए, भविष्य की शिक्षा को नए आयाम दे रहे हैं।

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