गोकर्ण के पास स्थित रामतीर्थ की पहाड़ियों में एक गुफा में दो हफ्ते तक अपनी दो छोटी बेटियों के साथ रहने वाली रूसी महिला निना कुटिना ने अब अपनी चुप्पी तोड़ी है। 40 वर्षीय कुटिना का कहना है कि उन्होंने और उनकी बेटियों ने शांति, कला और प्रकृति के करीब एक साधारण जीवन को चुना था। उनका कहना है कि जैसा मीडिया में दिखाया गया उनकी जिंदगी वैसी बिल्कुल नहीं थी। 11 जुलाई को पुलिस ने उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा तालुक स्थित रामतीर्थ की पहाड़ियों में एक गुफा में निना कुटिना और उनकी बेटियां प्रेया (6) और अमा (4) को खोजा था। ये परिवार करीब दो हफ्ते से पूरी तरह एकांत में रह रहा था।
15 साल से चल रही है यात्रा
न्यूज एजेंसी PTI से बातचीत में कुटिना ने बताया, “हम सूरज के साथ उठते थे, नदियों में तैरते थे और प्रकृति के बीच रहते थे। मौसम के अनुसार लकड़ी या गैस सिलेंडर पर खाना बनाती थी। पास के गांव से किराना लाकर काम चलाती थी। हम पेंटिंग करते थे, गाना गाते थे, किताबें पढ़ते थे और शांति से रहते थे।” कुटिना ने बताया कि वे रूस की रहने वाली हैं और पिछले 15 सालों से लगातार यात्रा कर रही हैं। अब तक करीब 20 देशों का भ्रमण कर चुकी हैं। वह चार बच्चों की मां हैं और दावा करती हैं कि उनके हर बच्चे का जन्म अलग-अलग देश में हुआ।
उन्होंने कहा, “मैंने सभी बच्चों को अस्पताल या डॉक्टर के बिना खुद ही जन्म दिया है। मुझे पता है ये कैसे करना है। किसी ने मेरी मदद नहीं की, सब कुछ अकेले किया।” कला और रूसी साहित्य में रुचि रखने वाली कुटिना अपनी बेटियों को खुद पढ़ाती हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटियां कभी औपचारिक स्कूल नहीं गईं, लेकिन अब वे औपचारिक होम-स्कूलिंग शुरू करने की योजना बना रही हैं।
कलाकारी, म्यूजिक वीडियो और पढ़ाने से चलती है रोज़ी-रोटी
अपने और परिवार के खर्चों के बारे में बताते हुए कुटिना ने कहा कि वह कलाकृतियां बनाती हैं, म्यूजिक वीडियो बनाती हैं, पढ़ाने और बच्चों की देखभाल का काम करती हैं। कुटीना ने कहा, “मैं इन सब चीजों से पैसे कमाती हूं। अगर कोई काम न मिले या मेरी सेवाओं की किसी को ज़रूरत न हो, तो मेरा भाई, मेरे पिता या मेरा बेटा मेरी मदद कर देते हैं। हमें ज़रूरत भर का पैसा हमेशा मिल जाता है।“
गुफा में ध्यान और राम पूजा
स्थानीय पुलिस ने एक नियमित गश्त के दौरान इस परिवार को गुफा में देखा था। गोकर्ण पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर श्रीधर SR और उनकी टीम को गुफा के पास हलचल दिखी और जब वे भीतर पहुंचे तो उन्हें कुटिना और उनकी बेटियां कुछ जरूरी सामान के साथ वहां रह रही मिलीं। कुटिना ने पुलिस को बताया कि वे ध्यान के लिए वहां आई थीं और गुफा में स्थापित भगवान राम की मूर्ति की नियमित पूजा करती थीं।
हालांकि, पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों ने गुफा के खतरनाक और ढलान भरे इलाके, जंगली जानवरों के खतरे और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए चिंता जताई था। बाद में उन्हें वहां से हटाकर एक सुरक्षित स्थान पर भेजा गया लेकिन कुटिना का कहना है कि अब जो जगह उन्हें दी गई है, वह बेहद गंदी और असुविधाजनक है।
‘मेरे बेटे की अस्थियां ले ली गईं’
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “अब जहां रखा गया है, वह जगह गंदी है, वहां कोई प्राइवेसी नहीं है और हमें केवल सादा चावल खाने को दिया जाता है। हमारे कई सामान ले लिए गए, यहां तक कि मेरे बेटे की अस्थियां भी ले ली गईं, जिसकी मौत नौ महीने पहले हुई थी।” उन्होंने मीडिया कवरेज पर भी नाराजगी जताई और कहा कि टीवी पर जो भी दिखाया जा रहा है, वो सब झूठ है। उन्होंने कहा, “मेरे पास वीडियो और तस्वीरें हैं जो दिखाती हैं कि हमारी जिंदगी कितनी साफ-सुथरी और खुशहाल थी।”
वीजा समाप्त, अब भेजे जाएंगे रूस
पुलिस और वन विभाग की संयुक्त जांच में पाया गया कि कुटिना का पासपोर्ट और वीजा 17 अप्रैल 2017 को ही समाप्त हो चुका है। वह भारत बिजनेस वीजा पर आई थीं और गोवा से होते हुए गोकर्ण पहुंचीं। अब यह मामला बेंगलुरु स्थित विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) को सौंप दिया गया है, जिसने कुटिना और उनकी बेटियों को रूस वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कुटिना ने कहा कि अब वे रूसी दूतावास के संपर्क में हैं और वहां से उन्हें सहायता मिल रही है।
कुटिना से मिलने आया पूर्व पिता
गुफा में रहने की खबर सामने आने के बाद कुटिना के पूर्व पति द्रोर, तुमकुर स्थित डिटेंशन सेंटर पहुंचे जहां कुटिना और उनकी बेटियां फिलहाल रह रही हैं। लेकिन उन्हें मिलने की इजाज़त नहीं दी गई। द्रोर ने कहा कि वह अपनी बेटियों से नहीं मिल सके। अधिकारियों ने उनसे FRRO से लिखित अनुमति लाने को कहा है और तभी उन्हें मिलने की इजाज़त दी जाएगी।
भारत में बस गया कुटिना का मन
जब कुटिना से पूछा गया कि उन्होंने रूस वापसी क्यों नहीं की, तो उन्होंने कहा, “कई मुश्किल वजह थीं। पहले तो कई व्यक्तिगत नुकसान हुए और सिर्फ मेरे बेटे की नहीं, कुछ और करीबियों की भी मौत हुई। हम लगातार दुख, कागज़ी कार्यवाही और दूसरी समस्याओं से जूझ रहे थे।” उन्होंने कहा कि हाल ही में वे चार और देशों में गई थीं लेकिन उनका मन हमेशा भारत में ही बसता रहा।