उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सोमवार शाम अचानक दिए गए इस्तीफे के बाद देश की संसदीय राजनीति में हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने अब अगले उप-राष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। आयोग ने कहा है कि जैसे ही आवश्यक पूर्व-प्रक्रियाएं पूरी हो जाएंगी, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा जल्द से जल्द कर दी जाएगी। नए उप-राष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया आगामी एक महीने के भीतर पूरी किए जाने की संभावना है।
संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, उप-राष्ट्रपति जैसे उच्च संवैधानिक पद पर किसी भी रिक्ति की स्थिति में निर्वाचन आयोग को ‘जल्द से जल्द’ चुनाव संपन्न कराने होते हैं। चुनावों के मद्देनज़र आगामी सप्ताहों में राजनीतिक समीकरण तेज़ी से बदल सकते हैं। धनखड़ ने सोमवार शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजते हुए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। उनके पत्र में उल्लेख किया गया है कि वह ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता’ देने के उद्देश्य से तत्काल प्रभाव से उपराष्ट्रपति पद से मुक्त हो रहे हैं। हालांकि, इस कदम को राजनीतिक हलकों में महज स्वास्थ्य के मामले के तौर पर नहीं देखा जा रहा है।
उप-राष्ट्रपति का पद
उप-राष्ट्रपति भारत का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है और उसका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार, उप-राष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा। साथ ही, अनुच्छेद 65 के अनुसार, राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उप-राष्ट्रपति बतौर राष्ट्रपति भी काम करता है।
उप-राष्ट्रपति की पदावधि
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उप-राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से 5 साल तक पद पर बना रहता है। लेकिन वह कुछ खास स्थितियों में पहले भी पद छोड़ सकता है। अनुच्छेद 67 (क) के मुताबिक, उपराष्ट्रपति अगर चाहे तो अपने हस्ताक्षर वाला इस्तीफा राष्ट्रपति को देकर पद छोड़ सकता है। वहीं, अनुच्छेद 67 (ख) के मुताबिक, अगर राज्यसभा के सभी मौजूदा सदस्यों के बहुमत से कोई प्रस्ताव पारित हो और लोकसभा भी उस पर सहमत हो, तो उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पहले लिखित सूचना देना जरूरी है। साथ ही, अनुच्छेद 67 (ग) के मुताबिक, अगर 5 साल की अवधि पूरी हो जाती है, फिर भी जब तक नया उपराष्ट्रपति पदभार नहीं संभाल लेता तब तक मौजूदा उपराष्ट्रपति पद पर बना रहता है।
संविधान के अनुच्छेद 68 के मुताबिक, उप-राष्ट्रपति की कार्यकाल समाप्ति से पद रिक्त हो रहा हो, तो उसका चुनाव समय से पहले पूरा कर लिया जाएगा ताकि कार्यकाल खत्म होते ही नया उप-राष्ट्रपति पद संभाल सके। वहीं, अगर उप-राष्ट्रपति की मृत्यु, इस्तीफा, हटाए जाने या अन्य कारणों से पद रिक्त होता है तो रिक्ति के बाद यथाशीघ्र चुनाव कराया जाएगा।
उप-राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया
संविधान के अनुच्छेद 66 में उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया की निर्वाचन का ज़िक्र किया गया है। अनुच्छेद 66 (1) के मुताबिक, उप-राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्यों मिलकर करते हैं। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। इस चुनाव में मतदान गुप्त होता है यानी कौन किसे वोट दे रहा है यह सार्वजनिक नहीं किया जाता है। क्योंकि, यह निर्वाचन केवल संसद के सदस्यों तक सीमित होता है, इसलिए हर संसद सदस्य का मत समान मूल्य रखता है, अर्थात् प्रत्येक वोट का मूल्य ‘1′ होता है।
भारतीय संविधान के अनुसार, उप-राष्ट्रपति संसद या किसी राज्य की विधानसभा/विधान परिषद का सदस्य नहीं हो सकता है। संविधान के अनुच्छेद 71 के मुताबिक, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न या संसक्त सभी शंकाओं और विवादों की जांच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा। संविधान के अनुच्छेद 324 के मुताबिक, राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण निर्वाचन आयोग में निहित होता है।
The Presidential and Vice-Presidential Elections Act, 1952 और The Presidential and Vice-Presidential Elections Rules, 1974 में राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव से जुड़े नियम बताए गए हैं। The Presidential and Vice-Presidential Elections Act, 1952 के भाग 2 धारा 5 और 5 (A) के मुताबिक, अधिसूचना जारी होने पर चुनाव के लिए नियुक्त रिटर्निंग अधिकारी द्वारा उस प्रस्तावित चुनाव की सार्वजनिक सूचना दी जाएगी। साथ ही, इसमें कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार के रूप में नामांकित किया जा सकता है। वहीं, 5 (B) के मुताबिक, उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामाकंन पत्र दाखिल करते समय कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक जरूरी हैं।