‘संवाद से सौहार्द’ की ओर ‘विश्व संवाद केंद्र’ की भूमिका

सार्थक संवाद और स्वस्थ विमर्श ही वह आधार है, जिससे समाज संगठित रहता है और उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। इसलिए संवाद का माध्यम चाहे पारंपरिक हो या डिजिटल, लेकिन उसकी सही दिशा और विवेकपूर्ण उपयोग अनिवार्य है।

विश्व संवाद केंद्र, भारत

‘संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्’, ऋग्वेद की ऋचा की यह पंक्ति अधिकांश लोगों ने सुनी या पढ़ी होगी । यह ऋचा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सहस्त्राब्दियों पूर्व थी। इसका अर्थ है ‘हम सब एक साथ चलें; एक साथ बोलें और हमारे मन एक हों’। इसका भावार्थ यह है कि मनुष्य को हर काम मिलकर करना चाहिए । आध्यात्मिक दृष्टि से कहें तो ‘योगमय होकर हर काम यज्ञ रूप’ में करना चाहिए । यही भाव आज के सामाजिक, राजनीतिक और डिजिटल युग में भी अपरिहार्य है। आधुनिक संदर्भ में यह संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से और अधिक प्रभावी हो सकता है, यदि उसका सही दिशा में उपयोग हो। ऐसे में प्रश्न उठता है कि ‘कुछ भी मिलकर करने का जो भाव है’ उसके लिए क्या जरूरी है? थोड़ा सा विचार करेंगे तो ध्यान आएगा कि इसके लिए ‘संवाद’ का होना बहुत जरूरी है । इस बात को कोई नकार नहीं सकता है कि बातचीत (संवाद) करने से बड़े बड़े युद्ध रुक जाते हैं और बातचीत (विवाद) करने से ही बड़े बड़े युद्ध हो जाते हैं । लड़ाई-झगड़ा या युद्ध का होना या न होना हमारे बातचीत के तरीके (संवाद या विवाद) पर निर्भर करता है ।

आज का युग सोशल मीडिया का युग है और ‘ट्वीट’ की गति से चलता है । सोशल मीडिया की ताकत इतनी है कि आज क्षणभर में लोग हीरो बन जाते हैं और क्षणभर में ही जीरो हो जाते हैं । सोशल मीडिया की ताकत से बड़ी बड़ी सरकारें घुटनों पर आ जाती है । सोशल मीडिया पर चलने वाले ट्रेंड्स, हैशटैग्स और कैंपेन जनमत तैयार करने में भूमिका निभाते हैं। चुनाव प्रचार, जन संपर्क, राजनीतिक विमर्श आदि में यह एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। इसके साथ ही डिजिटल मार्केटिंग का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म भी है। इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि फेक न्यूज़, अफवाहें, ट्रोलिंग, साइबर बुलिंग, नकली या दिखावटी जीवनशैली का प्रचार भी सोशल मीडिया से ही होता है और अब यह ‘मेंटल हेल्थ’ को भी प्रभावित करती है । सोशल मीडिया के कारण अनेक सकारात्मक कार्य समाज में होते हैं । सोशल मीडिया के लाभ के साथ-साथ नुक्सान भी बहुत है और ये सब हम सोशल मीडिया का उपयोग कैसे करते हैं उस पर निर्भर करता है ।

हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुए ‘वारफेयर’ में हमने सोशल मीडिया की ताकत देखी है । आज शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो किसी न किसी सोशल मीडिया मंच पर न हो । इसके माध्यम से लोग अपने मन की बात खुलकर करते हैं । खुलकर बात करने की इस वृत्ति से अनेक ‘विवाद’ भी जन्म लेते हैं, इस बात को नकारा नहीं जा सकता है । इसी सोशल मीडिया ने एक नए वर्ग को जन्म दिया है जिसे ‘इनफ्लुएंसर्स’ अथवा ‘प्रभावक’ कहा जाता है । ये इन्फ़्लुएन्सर वर्ग जहाँ सकारात्मक काम कर रहा है वहाँ नकारात्मक या देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त भी पाया जा रहा है । शत्रु देश पाकिस्तान अक्सर ऐसे इनफ्लुएंसर्स के पोस्ट अपने पक्ष में उपयोग करता रहता है ।

इस सत्य को भी नहीं नकारा जा सकता कि अनेक इनफ्लुएंसर्स निजी ब्रांडिंग अर्थात् यश और धन कमाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं । सोशल मीडिया और इनफ्लुएंसर्स की दिशाहीनता को भी नकारा नहीं जा सकता है । यदि समाज के लोग दिशाहीन होकर काम करते रहेंगे तो समाज को बिखरने में ज्यादा देर नहीं लगेगी । देश विरोधी शक्तियों को देश तोड़ने में भी देर नहीं लगेगी । ऐसे में जागरूक नागरिकों और देश धर्म की चिंता करने वाले संगठनों का दायित्व बहुत अहम हो जाता है । सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स को हल्की सी दिशा देकर उनके सामर्थ्य का उपयोग समाज और देश हित में भी किया जा सकता है ।

यही अपरिहार्य काम देश में कर रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेरित ‘विश्व संवाद केंद्र’ ।  राष्ट्रीय विचारों के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विश्व संवाद केंद्र का ध्येय वाक्य है ‘संवादात् सौहार्दम्’ अर्थात्  बातचीत (संवाद) के माध्यम से सौहार्द । विश्व संवाद केंद्र, भारत नाम से राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है और हर राज्य में इसकी अलग-अलग शाखा काम करती हैं। यह एक राष्ट्रीय तन्त्र है जो राष्ट्रीय हित और महत्व के समाचारों को मीडिया सहित जनता तक विविध रूपों में पहुँचाने के लिए काम करता है। विश्व संवाद केंद्र के माध्यम से लेखकों, स्तंभकारों एवं पत्रकारों का सम्मान, सत्यान्वेषण, मीडिया संवाद, संगोष्ठी आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । इसके पीछे मूल भाव यही रहता है कि राष्ट्र के उत्थान के कार्यों में सबका सहयोग और मिलकर कार्य करना जरूरी है । देश हित में अपनी पत्रकारिता का उपयोग करने वाले पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए विश्व संवाद केंद्र देशभर में प्रतिवर्ष ‘नारद पुरस्कार’ सम्मान देता है ।

इसी तरह, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स निजी ब्रांडिंग या मनोरंजन का माध्यम मात्र न बनकर, देश और समाज के प्रति जागरूकता, सकारात्मक परिवर्तन और स्वस्थ सृजन का सशक्त माध्यम बनें और उनकी ऊर्जा देशहित, समृद्ध संस्कृति तथा सामाजिक मूल्यों के संरक्षण की दिशा में लगे, इस उद्देश्य से विश्व संवाद केंद्र समय-समय पर ‘सोशल मीडिया मीट’ भी आयोजित करता है। सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स भी सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के वाहक हो सकते हैं, इस बात को ध्यान में रखते हुए अभी हाल ही विश्व संवाद केंद्र, शिमला द्वारा शिमला में ‘सोशल मीडिया मीट’ आयोजित की थी, जिसमें प्रदेश भर के लगभग 150 इनफ्लुएंसर्स ने भाग लिया । इस ‘मीट’ में सकारात्मक रूप से समाज परिवर्तन के लिए पांच बिन्दुओं अर्थात् सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वत्व का भाव एवं नागरिक कर्त्तव्य के बारे में विमर्श हुआ।  ऐसा ही एक बड़ा ‘सोशल मीडिया मीट’ कार्यक्रम बिलासपुर जिला में भी आयोजित किया गया था, जिसमें प्रदेश भर के 400 से अधिक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने भाग लिया था । अभी हाल ही में हिमाचल के मंडी जिला में आई प्राकृतिक आपदा में भी सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स राहत कार्य में अपनी भूमिका निभा रहे रहे हैं । कुछ इन्फ़्लुएन्केर्स ने धन संग्रह और राहत सामग्री एकत्र करने के लिए भी सराहनीय कार्य किया और अभी भी कार्य कर रहे हैं ।

‘विश्व संवाद केंद्र’ संचार माध्यमों, सोशल मीडिया और मीडिया की ताकत को राष्ट्र हित में उचित दिशा देने के लिए प्रयासरत है । देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’ यह एक परिवर्तनकारी विचार है, जिसे विश्व संवाद केंद्र धरातल पर चरितार्थ करने के लिए उद्यमरत है । इसके साथ ही वेदवाक्य या वेदों के निर्देश कि ‘संवाद करते हुए मिलकर काम करो’ को भी धरातल पर उतारने के लिए कार्यरत है । सार्थक संवाद और स्वस्थ विमर्श ही वह आधार है, जिससे समाज संगठित रहता है और उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सकता है। इसलिए संवाद का माध्यम चाहे पारंपरिक हो या डिजिटल, लेकिन उसकी सही दिशा और विवेकपूर्ण उपयोग अनिवार्य है। क्योंकि जब ‘संवाद’ का उपयोग ‘सौहार्द’ के लिए होगा, तभी ‘संगच्छध्वं..’ का वैदिक संदेश साकार होगा और विश्व संवाद केंद्र इसी भाव का निर्माण करने के लिए सतत कार्यरत है। अपनी निजी जिम्मेदारियों को पालन करते हुए जो  सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स, स्तम्भकार, लेखक, ब्लॉगिंग करने वाले और पत्रकार समाज और देश हित में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाना चाहते हैं, उनके लिए ‘विश्व संवाद केंद्र’ उचित मंच या माध्यम हो सकता है। नारायणायेती समर्पयामि…

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