पाकिस्तान में इन दिनों कुछ भी सामान्य नहीं चल रहा है। अब एक बार फिर से बड़ी राजनीतिक साजिश और तख्तापलट हो सकता है। इन सबके पीछे है राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर की पर्दे के पीछे चल रही आपसी खींचतान को बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि आर्मी चीफ असीम मुनीर ने जरदारी को राष्ट्रपति पद से हटाने की तैयारी भी कर ली है। अगर सबकुछ अर्मी चीफ के हिसाब से चला तो जल्द ही वे राष्ट्रपति का पद संभाल सकते हैं। बात इतनी ही नहीं है, असीम मुनीर अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पाकिस्तान के संविधान में भी बदलाव कर सकते हैं।
जानकारी हो कि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो ने हाल ही में असीम मुनीर की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। इसने पाकिस्तानी सियासत में नई अटकलों को जन्म दे दिया है। माना जा रहा है कि पर्दे के पीछे से पाक सेना राष्ट्रपति के खिलाफ साजिशें कर रही है। शायद इसीलिए बिलावल भुट्टो का डर और गुस्सा असीम मुनीर के लिए सामने आया है।
शहबाज की भी जाएगी कुर्सी!
जानकारी के अनुसार, असीम मुनीर इस समय पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं। वह अपनी ताकत को और ज्यादा बढ़ाने के लिए यह कदम उठा सकते हैं। ये सवाल भी उठ रहा है कि मुनीर सिर्फ जरदारी तक रुकेंगे या शहबाज शरीफ को भी पीएम पद से हाटते हुए पूरी तरह सत्ता अपने हाथ में ले लेंगे। जानकारी हो कि पाकिस्तान में सैन्य प्रमुख पहले भी सरकारों का तख्तालपट करते रहे हैं। ऐसे में मुनीर भी उन्हीं की राह पर आगे बढ़ सकते हैं। पाकिस्तानी पत्रकार सैयद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि असीम मुनीर राष्ट्रपति जरदारी की जगह लेने के लिए चालें चल रहे हैं। अब सवाल ये है कि जरदारी स्वेच्छा से पद छोड़ेंगे या उन्हें जबरन हटाया जाएगा। इस सबमें शरीफ परिवार की चिंता यह है कि मुनीर खुद को सिर्फ अगला राष्ट्रपति बनाएंगे या सत्ता का व्यापक हस्तांतरण होगा, जिसमें शहबाज की कुर्सी भी जाएगी।
दोहरा सकता है जुलाई का इतिहास
पाकिस्तान में जरदारी को हटाने की चर्चा से राजनीतिक परिदृश्य में भी हलचल है। देश में एक बार फिर सैन्य तानाशाही की आशंकाओं ने लोकतंत्र समर्थकों की बेचैनी को बढ़ा दिया है। पाकिस्तान के कई लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा है कि जुलाई में ही जिया उल हक ने इस्लामाबाद की सत्ता पर कब्जा किया था। ऐसे में जुलाई का महीना एक बार फिर पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में अहम मोड़ आ सकता है।
पाकिस्तान में कितने दिन रहा सेना का शासन
पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ के वक्त सेना द्वारा तख्तापलट करने की कोई पहली घटना नहीं थी। इससे पहले भी कई बार सेना ने चुनी हुई सरकार को गिराकर देश की कमान अपने हाथों में ली थी। भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान में 77 साल में 33 साल से ज्यादा समय सेना ने हुकूमत की है।
पाकिस्तान में कब-कब और किसने किए तख्तापलट?
1. जनरल अय्यूब खान (1958-1969)
बंटवारे के बाद नये बने पाकिस्तान में तख्तापलट की यह पहली घटना थी। पाक के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को भंग कर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंप दी थी। ठीक 13 दिन बाद ही अयूब खान ने तख्तापलट करते उठाते हुए देश के राष्ट्रपति को पद से हटा दिया था और खुद राष्ट्रपति बन गए। साल 1969 तक अयूब खान ही राष्ट्रपति रहे।
1969 में अय्यूब खान के इस्तीफे के बाद जनरल याह्या खान ने सत्ता संभाली। उनका शासन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तक चला। इस युद्ध के बाद पाकिस्तान का विभाजन हो गया और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इसके बाद याह्या खान को इस्तीफा देना पड़ा।
2. जनरल जिया उल हक (1977-1988)
पाकिस्तान में दूसरा तख्तापलट आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक ने किया था। 4 जून 1977 को जिया उल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को पद से हटा दिया था। खुद सत्ता पर कब्जा कर लिया। भुट्टो को गिरफ्तार किया और 1979 में फांसी दे दी गई। इस तख्तापलट को ‘ऑपरेशन फेयर प्ले’ के नाम से भी जाना जाता है। 1988 में उनकी एक विमान हादसे में मौत हुई। इसके बाद चुनाव हुए।
3. जनरल परवेज मुशर्रफ (1999-2008)
जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की निर्वाचित सरकार को तख्तापलट के जरिए हटाकर पाकिस्तान पर शासन किया। मुशर्रफ का शासन 2008 तक चला।