भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा पर यमन में लगी रोक

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया

भारतीय नर्स निमिषा प्रिया

यमन में मौत की सज़ा भुगत रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी। उनके वकील ने न्यूज़18 से इस बात की पुष्टि की है कि यमन के अधिकारियों ने उनकी मौत की सज़ा को रोक दिया है। हालांकि, उनकी सज़ा की नई तारीख अभी तक निर्धारित नहीं हुई है। सीएनएन-न्यूज़18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि यमन के स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में पुनर्विचार का निर्णय लिया है और अधिकारियों ने उसकी मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है।

निमिषा प्रिया के मामले में भारत सरकार ने शुरू से ही हर संभव सहायता प्रदान की है। हाल के दिनों में सरकार ने परिवार को और अधिक समय देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं ताकि निमिषा प्रिया और उनके व्यवसायिक साझेदार की परिवार के बीच आपसी सहमति बन सके।

भारतीय अधिकारियों ने स्थानीय जेल प्रशासन और अभियोजन कार्यालय के साथ नियमित संपर्क बनाए रखा है। केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी निमिषा प्रिया को 2020 में अपने यमनी व्यवसायी साझेदार महदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। उनका अंतिम अपील 2023 में खारिज हो गया था और वे वर्तमान में यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं।

आज की रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतिम समय पर निमिषा प्रिया की फांसी रोकने के लिए प्रयास जारी थे। इन प्रयासों का नेतृत्व सूफी विद्वान और भारत के ग्रैंड मुफ्ती, 94 वर्षीय शेख अबुबकर अहमद (जानकारी के अनुसार कांथापुरम एपी अबूबकर मूसलियार) कर रहे थे। उनके सुझाव पर यमन के प्रमुख सूफी नेता शेख हबीब उमर बिन हाफिज के प्रतिनिधि और तलाल अब्दो महदी के परिवार के बीच मंगलवार को धमार में एक बैठक होने की संभावना है। तलाल महदी वही यमनी नागरिक हैं जिनकी हत्या के आरोप में निमिषा प्रिया को दोषी ठहराया गया है।

कांथापुरम कार्यालय ने पीटीआई को बताया कि मृतक तलाल के एक करीबी रिश्तेदार, जो होदेदा स्टेट कोर्ट के चीफ जस्टिस और यमनी शूरा काउंसिल के सदस्य भी हैं, धमार में आज की बैठक में भाग लेने के लिए आए हैं। यह कदम धार्मिक नेतृत्व की सलाह पर उठाया गया है, जो मामले के निपटान में सहायक हो सकता है।

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