₹58 करोड़ का खेल! गुरुग्राम लैंड स्कैम में रॉबर्ट वाड्रा पर कसा शिकंजा, हो सकती है यह सजा

इडी ने प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ दायर की चार्जशीट

₹58 करोड़ का खेल! गुरुग्राम लैंड स्कैम में रॉबर्ट वाड्रा पर कसा शिकंजा

रॉबर्ट वाड्रा के कार्यालय में ने इडी के दावों को किया खारिज।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी है। इसमें उन पर गुरुग्राम में ज़मीन के फर्जी सौदे के ज़रिए अवैध रूप से 58 करोड़ कमाने का आरोप लगाया गया है। गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में एक संदिग्ध लेन-देन से जुड़े इस मामले में वाड्रा के दो करीबी सहयोगियों, सत्यानंद याजी और केवल सिंह विर्क के साथ-साथ उनसे जुड़ी कई कंपनियों का भी नाम हैं।

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर इस मामले में ईडी ने आरोपियों के लिए तीन से सात साल की जेल की सजा और अपराध से अर्जित सभी संपत्तियों को ज़ब्त करने की मांग की है। अब विशेष पीएमएलए अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी।

मामले के केंद्र में ज़मीन का सौदा

इस मामले की शुरुआत हरियाणा पुलिस द्वारा 2018 में दर्ज की गई प्राथमिकी से हुई है। इसमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ लिमिटेड का भी नाम था। ईडी के अनुसार, वाड्रा की कंपनी मेसर्स स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (एसएलएचपीएल) ने सेल डीड के अनुसार ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 3.5 एकड़ ज़मीन 7.5 करोड़ में खरीदी थी, जबकि वास्तविक तय कीमत 15 करोड़ थी।

इडी ने किये ये दावे

हैरानी की बात यह है कि डीड में दिखाए गए चेक को कभी भुनाया ही नहीं गया, यानी कोई वास्तविक भुगतान नहीं किया गया। एजेंसी का आरोप है कि वाड्रा के प्रभाव के बदले में यह एक लेन-देन का हिस्सा था। इसके बाद ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज ने कथित तौर पर उसी गांव में एक वाणिज्यिक लाइसेंस हासिल कर लिया। ईडी का दावा है कि केवल 1.35 एकड़ भूमि ही ऐसे लाइसेंस के लिए पात्रता मानदंडों को पूरा करती है, जो आवश्यक दो एकड़ से कम है। लेकिन, नगर एवं ग्राम नियोजन निदेशालय (डीटीसीपी) के अधिकारियों ने रिकॉर्ड में हेराफेरी की, जिसमें एक सेक्टर सड़क के लिए आरक्षित भूमि भी शामिल थी, ताकि सौदा अनुपालन योग्य लगे।

7.5 करोड़ की जमीन 58 करोड़ में बेची

व्यावसायिक लाइसेंस मिलने के बाद असामान्य रूप से तेज़ गति से ज़मीन डीएलएफ को 58 करोड़ की भारी भरकम कीमत पर बेच दी गई, जिससे अवैध मुनाफ़ा हुआ। ईडी की जांच से पता चला कि बिक्री से प्राप्त 5 करोड़ मेसर्स ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से, जबकि 53 करोड़ एसएलएचपीएल के माध्यम से प्राप्त हुए। वाड्रा ने कथित तौर पर इस धन का उपयोग कई कामों के लिए किया। इनमें से कई का इडी ने वर्णन भी किया है।

रॉबर्ट वाड्रा ने काली कमाई से किये ये काम

अचल संपत्तियां खरीदीं

निवेश किया

ऋण बांटे

कॉर्पोरेट देनदारियों का निपटारा ​

अस्थायी कुर्की का आदेश जारी

38.69 करोड़ मूल्य की 43 अचल संपत्तियों पर एक अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया गया है। इनमें बीकानेर में ज़मीन, गुरुग्राम, मोहाली और नोएडा में व्यावसायिक इकाइयाँ और अहमदाबाद में आवासीय फ्लैट शामिल हैं। कुछ संपत्तियां सीधे वाड्रा के नाम पर हैं, जबकि अन्य मेसर्स स्काई लाइट रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड जैसी कंपनियों के माध्यम से हैं। लिमिटेड, मेसर्स रियल अर्थ एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स आर्टेक्स।

रॉबर्ट वाड्रा के कार्यालय ने किया यह दावा

रॉबर्ट वाड्रा के कार्यालय ने ईडी के आरोपों को “वर्तमान सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध का विस्तार” बताते हुए खारिज कर दिया है। बचाव पक्ष का दावा है कि सभी लेन-देन कानूनी थे और यह मामला बदले की भावना से प्रेरित है। हालांकि, ईडी का कहना है कि उसके निष्कर्ष में दस्तावेज़ी साक्ष्य, गवाहों के बयानों, जिनमें डीटीसीपी कर्मचारियों द्वारा “उच्च अधिकारियों के दबाव” के बारे में स्वीकारोक्ति और वाड्रा से जुड़ी संस्थाओं को 58 करोड़ की अप्रत्याशित आय का पता लगाने वाले वित्तीय सुराग शामिल हैं।

अगर अदालत में साबित हो जाता है, तो रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आरोप भारत के राजनीतिक इतिहास में सबसे हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक होगा। वाड्रा के व्यक्तिगत परिणामों से परे, यह मामला उच्च मूल्य वाले शहरी भूमि सौदों में राजनीति, रियल एस्टेट और प्रशासनिक हेरफेर के बीच गहरे गठजोड़ का खुलासा करता है। रॉबर्ट वाड्रा की कानूनी टीम इसे राजनीति से प्रेरित हमला बता रही है। वहीं ईडी का कहना है कि उसने भ्रष्टाचार, जालसाजी और प्रभाव-व्यापार का पुख्ता मामला तैयार किया है। जैसे-जैसे विशेष पीएमएलए अदालत में मुकदमा आगे बढ़ेगा, देश की नज़र अदालत में न्याय और न्यायिक प्रक्रिया के गलियारों में जवाबदेही पर रहेगी।

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