हाल ही में कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर अपनी पारंपरिक सोच रखी। कुछ लोगों को उनका ये बयान ठीक नहीं लगा। इसके बाद ABP News की एक महिला रिपोर्टर ने बाबा से इस पर सवाल पूछा। बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया, जो उनकी अपनी मर्जी है। हर किसी को यह हक है कि वह किसी सवाल का जवाब देना चाहता है या नहीं।
ABP की चालबाज़ी: जवाब ना मिला तो किया हंगामा
जब बाबा ने सवाल का जवाब नहीं दिया, तो ABP न्यूज़ ने उस पूरी स्थिति को सनसनीखेज बनाकर पेश किया। बाबा के कुछ भक्तों द्वारा मौके पर नाराजगी जताई गई, जिसे मीडिया ने “गुंडागर्दी” बताया। यह वीडियो वायरल हुआ और ABP ने इसे बार-बार दिखा कर TRP बटोरने की कोशिश की। सवाल ये है कि क्या किसी व्यक्ति का चुप रहना अब अपराध बन गया है?
क्या मुस्लिम मौलानाओं से भी पूछे जाते ऐसे सवाल?
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिखा। कई लोगों ने पूछा- क्या ABP न्यूज़ कभी किसी मुस्लिम मौलाना से इस तरह की भीड़ में इस प्रकार सवाल पूछने की हिम्मत करता? क्या किसी दरगाह या मदरसे में महिला रिपोर्टर भेजी जाती, जहां माहौल संवेदनशील हो सकता है? जानबूझकर महिला रिपोर्टर को ऐसी जगह भेजना और फिर प्रतिक्रिया को महिला सुरक्षा का मुद्दा बनाना, ये रणनीति मीडिया का चेहरा बेनकाब करती है।
TRP के लिए हिन्दू संतों को बार-बार निशाना क्यों?
ABP न्यूज़ की इस हरकत से एक बार फिर साफ हो गया है कि ये लोग टीआरपी पाने के लिए बार-बार हिंदू धर्मगुरुओं को निशाना बनाते हैं। कभी प्रेमानंद जी, कभी श्रीराम बालकदास और अब अनिरुद्धाचार्य, हर बार ऐसे ही हिंदू संतों को सवालों के घेरे में डाला गया है। लेकिन दूसरे धर्मों के नेताओं से इस तरह के सवाल नहीं पूछे जाते। क्या यही सही पत्रकारिता है?
अब तो लगने लगा है कि ABP और कुछ दूसरे चैनल सच्ची खबर दिखाने की बजाय अपना एजेंडा चला रहे हैं। लोगों को अब यह समझना चाहिए कि ये चैनल आस्था और धर्म को बदनाम कर सिर्फ टीआरपी कमाने में लगे हैं। अगर बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया, तो ये उनका हक है। इसे बड़ा मुद्दा बनाकर समाज में नफरत फैलाना गलत है। अब वक्त आ गया है कि लोग ऐसे चैनलों को जवाब दें और ईमानदार पत्रकारिता की मांग करें।
पहले भी TRP के लिए हिंदू बाबाओं को बनाया निशाना
संत रविदास मंदिर विवाद- कई बार मीडिया ने हिंदू संतों के बयान या उनके धर्मशाला / मंदिर से जुड़े विवाद को इतना बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया कि यह केवल TRP के लिए दिखा।
साध्वी प्रज्ञा विवाद- साध्वी प्रज्ञा के बयान और उनके राजनीतिक सफर को मीडिया ने खूब तवज्जो दी। उनके कुछ विवादित बयानों को लेकर चैनलों पर बहस हुई, जिससे TRP बढ़ाने की कोशिश हुई।
राम रहीम (Dera Sacha Sauda) विवाद- राम रहीम के कई विवादों को मीडिया ने हाइप किया। उनके खिलाफ लगे आरोपों, अदालत के फैसले और जेल जाने तक की कवरेज TRP के लिए खूब चलाई गई।
योग गुरु बाबा रामदेव और उनके विवाद- बाबा रामदेव के बयान, उनकी राजनीतिक गतिविधियां और विवादों को लेकर मीडिया की कवरेज TRP की दौड़ में अक्सर सनसनीखेज होती रही है।
अनिरुद्धाचार्य और प्रेमानंद जैसे नए संतों का विवाद- हाल के सालों में मीडिया ने नए नए हिंदू बाबाओं के विवादों को ज्यादा दिखाया है। जब उनके कोई बयान या कार्यक्रम लोगों को चौंकाने वाले होते हैं, तो मीडिया उन्हें बड़ी जोर-शोर से दिखाता है ताकि ज्यादा लोग चैनल देखें।
कुंभ मेले और धार्मिक आयोजनों में विवाद- कुंभ मेले या अन्य बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान जब किसी संत का कोई विवादास्पद बयान आता है, तो मीडिया उसे TRP के लिए कई दिन तक चलाता है।