राजस्थान के आसमान में मिग-21 लड़ाकू विमान ने आखिरी बार उड़ान भरी। यह भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था, जिसने करीब 60 साल तक भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाई। 1971 में पाकिस्तान के F-104 विमान को गिराने से लेकर 2019 में F-16 को मार गिराने तक, मिग-21 ने हर बार अपनी ताकत साबित की। अब यह ऐतिहासिक विमान रिटायर होने वाला है। एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने खुद इसकी विदाई उड़ान में हिस्सा लिया, जिससे यह पल और भी खास बन गया। मिग-21 को आधिकारिक रूप से सितंबर में वायुसेना से विदा किया जाएगा।
एक दिग्गज की आखिरी उड़ान
भारतीय वायुसेना के मिग-21 लड़ाकू विमानों ने 18 और 19 अगस्त को बीकानेर के नाल एयर फोर्स स्टेशन से अपनी अंतिम ऑपरेशनल उड़ानें पूरी कीं। यह पल बेहद भावनात्मक था, क्योंकि 26 सितंबर को चंडीगढ़ में इसकी अंतिम विदाई समारोह प्रस्तावित है। इस अवसर पर एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने खुद मिग-21 की एकल उड़ानें भरीं। उनकी भागीदारी ने भारतीय सैन्य विमानन के एक ऐतिहासिक युग के अंत की शुरुआत का प्रतीक बन गई।
उन्होंने उड़ान के बाद कहा, “यह एक शानदार विमान है, बेहद फुर्तीला और सक्षम। 1960 के दशक से यह वायुसेना का सबसे भरोसेमंद विमान रहा है। लेकिन अब वक्त है कि हम तेजस और राफेल जैसे नए विमानों की ओर बढ़ें। मिग-21 को उड़ाने वाले हर व्यक्ति के लिए यह विमान हमेशा याद रहेगा।”
1963 में शामिल होकर भारत को दिलाया सुपरसोनिक युग
मिग-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था, जिससे भारत को पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट मिला। इसकी पहली स्क्वाड्रन “फर्स्ट सुपरसॉनिक्स” चंडीगढ़ में बनी थी। समय के साथ, IAF ने 870 से अधिक मिग-21 विमानों को शामिल किया, जिससे यह एक मजबूत और प्रभावी लड़ाकू ताकत बनी।
मिग-21 केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय रहा। 60 से अधिक देशों में इसके 11,000 से अधिक विमान बनाए गए। भारत के लिए यह सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि संप्रभुता का रक्षक था। हर युद्ध में इसकी भूमिका अहम रही।
एक जाँबाज़ योद्धा: 1965 से लेकर बालाकोट तक
मिग-21 ने पहली बार 1965 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया और अपनी तेज़ी और फुर्ती से दुश्मन के विमानों पर भारी पड़ा। इसका सबसे बड़ा योगदान 1971 के युद्ध में रहा, जब 14 दिसंबर को इसने ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हमला किया। इसके दो दिन बाद पाकिस्तान ने हार मान ली और उसके 93,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस बड़ी जीत में मिग-21 की अहम भूमिका रही।
1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने पाकिस्तानी ठिकानों पर सटीक हमले किए। 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद, मिग-21 बायसन ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की अगुवाई में एक पाकिस्तानी F-16 विमान को गिरा दिया। यह मिग-21 की सबसे बड़ी आधुनिक जीतों में से एक मानी जाती है।
विंग कमांडर जयदीप सिंह ने कहा, “मिग-21 ने हर दौर के दुश्मन विमानों को गिराया है, F-104 से लेकर F-16 तक। दुनिया की कोई और वायुसेना मिग का इतना असरदार इस्तेमाल नहीं कर पाई।”
आलोचना भी झेलनी पड़ी: “फ्लाइंग कॉफ़िन” की छवि
अपने शानदार रिकॉर्ड के बावजूद, मिग-21 को अक्सर आलोचना का सामना भी करना पड़ा, खासकर इसके पुराने डिज़ाइन के कारण। बीते 62 वर्षों में इसके 400 से अधिक हादसों में 200 से ज़्यादा पायलट और 60 नागरिकों की जान चली गई। इस कारण इसे “फ्लाइंग कॉफ़िन” जैसे नाम भी मिले।
हालांकि, वायुसेना के वरिष्ठ अफसरों का मानना है कि इसकी लंबी सेवा और बेहतरीन गतिशीलता ही इसे लंबे समय तक वायुसेना का हिस्सा बनाए रख सकी। अब जब तेजस और राफेल जैसे आधुनिक विमान आ चुके हैं, तो मिग-21 की जगह ये विमान लेंगे।
अंतिम स्क्वाड्रन और भावुक विदाई
मिग-21 विमान की सेवा अब खत्म हो रही है। यह विमान अभी तक भारतीय वायुसेना की 23 स्क्वाड्रन “पैंथर्स” के पास था। हाल ही में, इस स्क्वाड्रन ने एयर चीफ मार्शल की मौजूदगी में अपनी आखिरी उड़ानें पूरी कीं। इस खास मौके पर स्क्वाड्रन लीडर प्रिया की अगुवाई में एक विशेष फॉर्मेशन में उड़ान भरी गई, जो परंपरा और बदलाव दोनों का प्रतीक था।
यह कार्यक्रम बीकानेर में हुआ और सिर्फ एक तकनीकी विदाई नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक पल भी था। कई पायलटों ने इस मौके पर अपने करियर की यादों को ताजा किया। मिग-21 को अंतिम श्रद्धांजलि 26 सितंबर को चंडीगढ़ में दी जाएगी, जहाँ वायुसेना के पूर्व अधिकारी, वर्तमान सदस्य और विदेशी रक्षा विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।
एक युग का अंत
मिग-21 की सेवानिवृत्ति भारतीय वायुसेना के इतिहास का एक खास और भावनात्मक पल है। यह लड़ाकू विमान करीब 60 साल तक देश की रक्षा करता रहा। इसने कई जंगों में हिस्सा लिया, चाहे वह ढाका पर हमला हो, पाकिस्तान के विमानों से टक्कर हो या एफ-16 को गिराने की बहादुरी।
अब जब तेजस और राफेल जैसे नए विमान भारत का भविष्य बनाएंगे, मिग-21 की यादें हमेशा ज़िंदा रहेंगी। यह सिर्फ एक विमान नहीं था। बल्कि एक सच्चा योद्धा और वायुसेना का भरोसेमंद साथी था। भले ही अब यह सेवा से बाहर हो रहा है, लेकिन इसकी बहादुरी और योगदान हमेशा इतिहास में चमकते रहेंगे। मिग-21 ने यह साबित किया कि सच्चे दिग्गज कभी भुलाए नहीं जाते, वे हमेशा यादों और इतिहास में ज़िंदा रहते हैं।