जोधपुर में आरएसएस की बड़ी बैठक, बीजेपी के लिए क्यों मानी जा रही है खास

आरएसएस की तीन दिवसीय महत्वपूर्ण वार्षिक बैठक 5 सितंबर से जोधपुर में शुरू हो रही है। इस बैठक में आरएसएस और बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल होंगे। यह बैठक दोनों की संगठनों के लिए महत्वपूर्ण है।

जोधपुर में आरएसएस की बड़ी बैठक, बीजेपी के लिए क्यों मानी जा रही है खास

पांच सितंबर से जोधपुर में होनी है आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक।

आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक राजस्थान के जोधपुर में पांच सितंबर से होने वाली है। ऐसे तो आरएसएस ने बयान जारी कर इसे हर साल होने वाली बैठक बताया है। लेकिन, आरएसएस-बीजेपी के बीच संबंधों में आए बदलाव के बाद इस बार इस बैठक की अहमियत कुछ अधिक बढ़ गई है। इस बैठक में संघ से अधिकतर बड़े अधिकारी और कई अन्य संगठनों के लोग शामिल होंगे। जानकारी हो कि यह बैठक आरएसएस की स्थापना के सौ साल पूरे होने से पहले हो रही है। अब घटनाक्रमों पर नजर डालें तो आरएसएस के लिए यह ऐसा समय है, जिसमें बीजेपी के साथ इसके संबंधों में कुछ और ही दिख रहा है।

पहली बार पीएम मोदी ने ही किया आरएसएस का जिक्र

स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के संबोधन पर गौर करें तो उन्होंने आरएसएस की जिस तरह से सराहना की, वैसा आज तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। स्पष्ट रूप से कहें तो आज तक किसी भी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में संघ के बारे में जिक्र करने से परहेज ही किया जाता रहा है। खुद बीजेपी की ही पिछली सरकारों में ऐसा नहीं किया गया। बात इतनी ही नहीं है, प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया। इनके बारे में कहा जाता है कि ये बालपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। इसे देखते हुए आरएसएस के सभी अनुसांगिक संगठनों का एक साथ बैठना बहुत कुछ कहता है।

बैठक में शामिल होंगे बीजेपी के कई नेता

आरएसएस की इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल होंगे। उनके साथ संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे। जानकारी हो कि यह पद बीजेपी में बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली रहा है, क्योंकि इस पर बैठा व्यक्ति पार्टी में संघ का प्रतिनिधि माना जाता है और दोनों ही संगठनों के बीच कड़ी की जिम्मेदारी निभाता है। इनके अलावा बीजेपी नेता सुनील बंसल, शिवप्रकाश, सौदान सिंह और वी सतीश की मौजूदगी से भी अंदाजा लग जाता है कि पार्टी के लिए आरएसएस की यह बैठक कितनी महत्वपूर्ण है।

बैठक में शामिल होंगे ये संगठन

आरएसएसके इस कार्यक्रम में इसके राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्य पहुंचने वाले हैं। खुद सर संघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले समेत सभी 6 सह सरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी भाग लेंगे। इनके अलावा इस बैठक में बीजेपी समेत संघ से जुड़े 32 संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे, जिनमें राष्ट्र सेविका समिति,विश्व हिंदू परिषद (VHP),अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP),वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती और भारतीय मजदूर संघ शामिल हैं।

आरएसएस की इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का मौजूद रहना और भी खास है। जानकारी हो कि जेपी नड्डा के 2024 के लोकसभा चुनावों के समय दिये गए बयान से संघ के स्वयंसेवकों को बड़ा झटका लगा था। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर नड्डा ने अपने दम पर बीजेपी के सक्षम होने वाली बात नहीं कही होती तो बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए टीडीपी और जेडीयू से सहारे की जरूरत नहीं पड़ती। यही नहीं, बीजेपी अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम भी नहीं तय कर पाई है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसी बैठक में आरएसएस बीजेपी को नए पार्टी अध्यक्ष के लिए अपनी ओर से संकेत दे सकता है।

भागवत कर सकते हैं उत्तराधिकारी की घोषणा

बीजेपी के लिए संघ की यह बैठक इसलिए भी अहम है, क्योंकि पिछले दिनों सर संघचालक मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में सार्वजनिक जीवन छोड़ने और नए लोगों को मौका देने की बात कही थी। इससे राजनीतिक जगत में अटकलें जाने लगी कि यह पीएम मोदी के लिए इशारा है। क्योंकि वह भी इस साल 17 सितंबर को 75 वर्ष के होने वाले हैं। खुद भागवत भी 75 साल पूरे कर रहे हैं और संघ की परंपरा के मुताबिक उन्हें भी अपने उत्तराधिकारी का नाम घोषित करना है। वैसे यह घोषणा आरएसएस के शताब्दी वर्ष पूरे होने से पहले होने की संभावना नहीं है।

Exit mobile version