महू (मध्यप्रदेश) स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय ‘रण संवाद’ सम्मेलन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत शांति का हिमायती है, लेकिन इसे कमजोरी न समझा जाए। शांति बिना शक्ति केवल एक यूटोपियन विचार है, उन्होंने दो टूक कहा।
CDS ने साफ किया कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू किया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अब भी जारी है और उससे मिली सीख भारत की रक्षा नीति को नई दिशा दे रही है।
भविष्य के युद्ध की बदलती तस्वीर
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में भविष्य की जंग की चार बड़ी प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला।
अल्पकालिक युद्धों का बढ़ता चलन: अब राजनीतिक उद्देश्यों के लिए त्वरित संघर्षों का सहारा लिया जा रहा है।
युद्ध और शांति की रेखा धुंधली: आज का संघर्ष प्रतिस्पर्धा, संकट, टकराव, संघर्ष और युद्ध के बीच सतत प्रक्रिया बन चुका है।
लोगों और सैनिकों की अहमियत: अब लड़ाई केवल जमीन या विचारधारा की नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी भी निर्णायक है।
विजय की नई परिभाषा: पहले युद्ध का पैमाना हताहत और कब्जाई गई जमीन होती थी, आज सफलता गति, टेंपो और सटीक प्रहारों के प्रभाव से तय होगी।
आत्मनिर्भर और शक्तिशाली भारत की जरूरत
CDS ने कहा कि “विकसित भारत” के लिए हमें “शस्त्र-संपन्न, सुरक्षित और आत्मनिर्भर” होना होगा। सिर्फ तकनीक में नहीं बल्कि सोच और व्यवहार में भी। उन्होंने चेताया कि आने वाले संघर्ष थल, जल, वायु, अंतरिक्ष और साइबर सभी मोर्चों पर होंगे, जहां सेनाओं की पारंपरिक सीमाएं धुंधली पड़ जाएंगी। संयुक्तता (Jointmanship) अब केवल आकांक्षा नहीं, बल्कि थिएटराइजेशन, इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स और साझा प्रशिक्षण के ज़रिए हमारी सैन्य शक्ति का आधार बन रही है।
रण संवाद सम्मेलन
दो दिवसीय सम्मेलन में वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और रणनीतिक विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को समापन सत्र को संबोधित करेंगे। इस दौरान तीन संयुक्त सिद्धांत मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स, स्पेशल फोर्सेज ऑपरेशन्स और एयरबोर्न/हेलिबोर्न ऑपरेशन्स जारी किए जाएंगे।