जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल सिंह मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। यह जानकारी उनके X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट से साझा की गई। पोस्ट में कहा गया, “पूर्व राज्यपाल सतपाल सिंह मलिक जी अब इस दुनिया में नहीं रहे।”
दिल्ली के अस्पताल में चल रहा था इलाज
मलिक का निधन दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुआ, जहां वे लंबे समय से बीमारी का इलाज करवा रहे थे। अस्पताल की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, “हमें गहरा दुख है कि हम श्री सत्यपाल मलिक के निधन की पुष्टि कर रहे हैं, जो हमारे अस्पताल में गहन चिकित्सा निगरानी में थे।” अस्पताल ने आगे बताया कि उन्हें डायबिटिक किडनी डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, और स्लीप एपनिया जैसी पुरानी बीमारियाँ थीं।
11 मई 2025 को उन्हें जटिल यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के साथ भर्ती किया गया था। बाद में उनकी स्थिति और बिगड़ गई और उन्हें सेप्टिक शॉक, निमोनिया, और मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हो गया। अस्पताल ने कहा कि इलाज के लिए उन्हें एंटीबायोटिक, साइटोसॉर्ब सेशन, वेंटिलेटर सपोर्ट और कई बार डायलिसिस दिया गया, लेकिन उनकी हालत लगातार गिरती रही। आख़िरकार, 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
जून में खुद बताया था हालत गंभीर है
जून 2025 में सतपाल मलिक ने खुद बताया था कि उनकी तबीयत काफी खराब है। उन्होंने लोगों से संपर्क करने के लिए एक मोबाइल नंबर भी शेयर किया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें किडनी की समस्या की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया।
अनुच्छेद 370 हटाने के समय थे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल
सत्यपाल मलिक ने 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उसी दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था, ठीक छह साल पहले। हालांकि मलिक ने बाद में दावा किया था कि इस निर्णय में उन्हें शामिल नहीं किया गया था।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “मुझे कुछ नहीं बताया गया था। बस गृह मंत्री ने एक दिन पहले बुलाकर कहा कि कल एक पत्र भेज रहा हूँ, उसे सुबह 11 बजे तक पास करवाकर मुझे भेज देना।”
विवादों से घिरे सत्यपाल मलिक
सत्यपाल मलिक एक ऐसे विवादास्पद नेता रहे, जिनके साथ अक्सर मतभेद और टकराव जुड़े रहे। जहां भी गए, वहां उनका सीधा और बेबाक रवैया चर्चा और विवाद का कारण बनता रहा।
राजनीति की शुरुआत में वे चौधरी चरण सिंह के साथ जुड़े, लेकिन वहां भी उनके रिश्ते ज़्यादा दिन टिक नहीं पाए। पार्टी के कई फैसलों पर उन्होंने खुलकर विरोध किया, जिससे दोनों नेताओं के बीच दूरियाँ आ गईं।
बाद में जब वे भारतीय जनता पार्टी में आए, तो उम्मीद थी कि अब वे पार्टी लाइन के भीतर रहेंगे, लेकिन यहां भी उनका तेवर वही रहा। उन्होंने कई बार सरकार के फैसलों पर तीखी टिप्पणी की, खासकर किसानों से जुड़े मामलों और जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर। शायद यही वजह रही कि उन्हें बार-बार अलग-अलग राज्यों गोवा, बिहार, जम्मू-कश्मीर और फिर मेघालय में राज्यपाल बना कर भेजा गया। कुछ लोगों का मानना है कि ये तबादले दरअसल सरकार से उनकी लगातार असहमति का ही नतीजा थे।
मार्च 2025 में सत्यपाल मलिक ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर खुलकर निशाना साधा। कुल मिलाकर, सत्यपाल मलिक एक ऐसे नेता थे जिन्हें अक्सर “विवादास्पद” कहा गया। वे अपने बयान और विचारों से सत्ता को असहज करने वाले नेताओं में गिने जाते थे और शायद इसी वजह से वे राजनीतिक गलियारों में जितने चर्चित रहे, उतने ही विवादित भी।
CBI ने भ्रष्टाचार मामले में दायर की थी चार्जशीट
मई 2025 में, CBI ने सत्यपाल मलिक और छह अन्य लोगों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मामले में चार्जशीट दायर की थी। यह मामला 2019 में 2,200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क कॉन्ट्रैक्ट में भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर से पहले गोवा के राज्यपाल के रूप में और बाद में अक्टूबर 2022 तक मेघालय के राज्यपाल के रूप में भी सेवाएं दी थीं।