साल 1897, करीब 128 साल पहले फ्रांस और मेडागास्कर के बीच एक बहुत ही दर्दनाक लड़ाई हुई थी। यह सिर्फ एक युद्ध नहीं था, बल्कि इसमें लालच, संस्कृति की टक्कर और स्थानीय लोगों का विरोध भी शामिल था। इस लड़ाई में फ्रांस की सेना ने मेडागास्कर के एक राजा का सिर काट दिया और उसे जीत की निशानी मानकर अपने देश ले गए। बाद में उस सिर को फ्रांस के एक म्यूज़ियम में रखा गया।
यह घटना मेडागास्कर के लिए सिर्फ एक हार नहीं थी, बल्कि उनके सम्मान, पहचान और संस्कृति पर गहरी चोट थी। आज भी मेडागास्कर की जनजातियाँ उस घटना को याद करती हैं और उसका दर्द महसूस करती हैं, जो पीढ़ियों तक उनके साथ रहा है।
खोपड़ियों की वापसी: 128 साल पुराना घाव फिर ताज़ा
128 साल पहले की इस दर्दनाक घटना के बाद, अब फ्रांस ने तीन इंसानी खोपड़ियां मेडागास्कर को वापस लौटा दी हैं। इन्हें उस समय फ्रांसीसी सेना युद्ध में जीत की निशानी के तौर पर अपने साथ ले गई थी। ये खोपड़ियां पेरिस के एक म्यूज़ियम में रखी गई थीं। माना जाता है कि इनमें से एक खोपड़ी राजा टोएरा की है, जिनकी 1897 में एक खूनखराबे के दौरान हत्या कर दी गई थी।
उस हमले में फ्रांस की सेना ने बड़ी बेरहमी से हमला किया था और हजारों लोगों की जान चली गई थी। खोपड़ियों की वापसी सिर्फ एक रस्मी कदम नहीं है, बल्कि यह मेडागास्कर के लिए उस पुराने अपमान को थोड़ा कम करने की कोशिश है। मेडागास्कर की मंत्री वोलामिरांती डोना मारा ने कहा कि ये खोपड़ियां उनके देश के लिए जैसे एक पुराने ज़ख्म की तरह थीं, जो अब जाकर कुछ हद तक भरने लगा है।
मेडागास्कर का उपनिवेशीकरण: एक दर्दनाक अध्याय
19वीं सदी की शुरुआत में मेडागास्कर पर मेरिना नाम के एक साम्राज्य का राज था, और उसके राजा थे रदामा I। उन्होंने ब्रिटिशों से अच्छे रिश्ते बनाए और देश में ईसाई धर्म फैलाना शुरू किया। लेकिन राजा की मौत के बाद उनकी पत्नी रानी रानावालोना ने विदेशी ताकतों के दखल का विरोध किया और देश की आज़ादी को बचाने की कोशिश की। मगर उनके निधन के बाद यूरोपीय देशों, खासकर फ्रांस का असर फिर से बढ़ने लगा।
1895 में फ्रांसीसी सेना ने मेडागास्कर की राजधानी तानानारिव पर हमला करके उस पर कब्जा कर लिया और रानी को मजबूरी में एक समझौते पर दस्तखत करने पड़े। फिर 1897 में फ्रांस के जनरल जोसेफ गैलिएनी ने रानी रानावालोना को सत्ता से हटा दिया और राजशाही को खत्म कर दिया। इसके साथ ही मेडागास्कर पूरी तरह से फ्रांस का उपनिवेश बन गया।
अम्बिकी नरसंहार और राजा टोएरा की शहादत
मेडागास्कर के पश्चिमी इलाके मेनाबे में सकलावा समुदाय के राजा टोएरा एक सम्मानित और साहसी नेता थे। उन्होंने फ्रांस के कब्जे और उनके गलत नियमों का विरोध किया, और अपने लोगों की आज़ादी के लिए डटकर खड़े रहे। लेकिन फ्रांसीसी सरकार को उनका ये विरोध पसंद नहीं आया।
29 से 30 अगस्त 1897 की रात को, जब राजा टोएरा हथियार डालने और समझौता करने को तैयार थे, तब भी फ्रांस की सेना ने अम्बिकी नाम के गांव पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले की अगुवाई ऑगस्टिन गेरार्ड नाम के फ्रांसीसी अधिकारी ने की। हमले में राजा टोएरा, कई अन्य स्थानीय नेता और करीब 2,500 लोग मारे गए।
इस भयानक हमले के बाद फ्रांस की सेना ने राजा टोएरा का सिर काट लिया और उसे अपने देश फ्रांस ले गई। वहां उन्होंने उस सिर को पेरिस के एक म्यूज़ियम में रख दिया। फ्रांस ने इस काम को सही ठहराते हुए कहा कि यह सब इलाके में शांति बनाए रखने के लिए किया गया था। लेकिन असल में यह एक जानबूझकर किया गया क्रूर काम था, जिसे झूठे बहाने देकर सही दिखाने की कोशिश की गई।
खोपड़ियों की वापसी: न्याय की एक छोटी सी किरण
आज, 128 साल बाद, फ्रांस ने आखिरकार वे खोपड़ियां मेडागास्कर को वापस कर दी हैं। फ्रांस की संस्कृति मंत्री रचिदा दाती ने माना कि इन खोपड़ियों को जिस तरह संग्रहालय में रखा गया था, वह इंसानियत और सम्मान के खिलाफ था, और यह औपनिवेशिक ज़ुल्म का एक साफ़ उदाहरण था। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह पुष्टि की है कि ये खोपड़ियां सकलावा समुदाय की थीं, लेकिन यह तय नहीं हो पाया कि इनमें से कौन-सी खोपड़ी राजा टोएरा की है।
मेडागास्कर की मंत्री मारा ने कहा कि ये सिर्फ चीज़ें नहीं हैं, बल्कि ऐसी यादें हैं जो उनके देश के अतीत और वर्तमान को जोड़ती हैं। अब इन खोपड़ियों को उसी तारीख पर पूरे सम्मान के साथ दफनाया जाएगा, जिस दिन राजा टोएरा की जान गई थी। यह केवल एक दफन कार्यक्रम नहीं है, बल्कि वर्षों से चले आ रहे अपमान को खत्म करने की एक शुरुआत है।
फ्रांस की क्षमा और मेडागास्कर की आज़ादी
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अप्रैल में मेडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो की यात्रा के दौरान कहा कि फ्रांस का औपनिवेशिक इतिहास “खूनी और दुखद” रहा है। उन्होंने इसके लिए माफी मांगने की बात भी कही। यह पहली बार था जब फ्रांस ने इतने साफ़ तौर पर अपने पुराने गलत कामों को स्वीकार किया।
मेडागास्कर को 1960 में फ्रांस से आज़ादी मिली थी, लेकिन उससे पहले का समय तकलीफ, संघर्ष और अत्याचार से भरा हुआ था। अब जब फ्रांस ने खोपड़ियां लौटाई हैं, तो यह एक छोटा लेकिन बेहद अहम कदम है। इससे न सिर्फ इतिहास के साथ इंसाफ हो रहा है, बल्कि उन सभी लोगों की आत्माओं को भी शांति मिल रही है, जिन्होंने उस दौर में अपनी जान गंवाई थी।