वैश्विक आर्थिक गतिरोध और अमेरिका की ओर से बढ़ते टैरिफ खतरों के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने एक बार फिर दलीय सीमाओं से ऊपर उठकर भारत के राष्ट्रीय हित की रक्षा की बात की है। एक तरफ उनकी पार्टी के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर अवसरवादी राजनीतिक हमले कर रहे हैं, वहीं तिवारी ने पक्षपात की बजाय देश को प्राथमिकता दी है।
जानें, क्या बोले मनीष तिवारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा गुरुवार को रूस से भारत के निरंतर तेल आयात से जुड़े भारतीय निर्यात पर 50% का भारी टैरिफ लगाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तिवारी ने इसे “कठोर धौंस” बताया और कहा कि भारत इस चुनौती से पार पा लेगा, ठीक उसी तरह जैसे उसने अतीत में कई बड़े तूफानों का सामना किया है। जहां तिवारी ने पहले भारत के 1971 के लचीलेपन और अमेरिकी सैन्य धमकी के आगे न झुकने का ज़िक्र किया था। वहीं राहुल गांधी ने एक बार फिर षड्यंत्र के सिद्धांत फैलाने का सहारा लिया।
राहुल गांधी ने किया यह पोस्ट
एक्स पर एक विवादास्पद पोस्ट में राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि अडानी समूह की कथित अमेरिकी जांच के कारण मोदी ट्रंप का सामना करने में असमर्थ हैं। उन्होंने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर लिखा कि मोदी के हाथ बंधे हुए हैं। एक ख़तरा मोदी, एए (अनिल अंबानी) और रूसी तेल सौदों के बीच वित्तीय संबंधों को उजागर करना है।
इस तरह के निराधार आरोप न केवल भारत की बातचीत की स्थिति को कमज़ोर करते हैं, बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की भू-राजनीतिक समझ की घोर कमी को भी दर्शाते हैं। इसके ठीक विपरीत, मनीष तिवारी की आवाज़ परिपक्वता और एकता के एक दुर्लभ क्षण का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि उनकी अपनी पार्टी भ्रम और राजनीतिक अवसरवाद में उलझी हुई है।
मनीष तिवारी ने किया था अमेरिका का कड़ा खंडन
1971 पर आधारित अपनी पोस्ट के कुछ ही दिनों बाद, मनीष तिवारी ने भारत पर ट्रंप द्वारा लगाए गए दूसरे टैरिफ़ पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। X पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा था: “भारत जीतेगा। अशिष्ट धौंस, ज़बरदस्ती और दबाव काम नहीं आएगा।” ऐसे समय में जब भारत रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदकर अपने संप्रभु हित में काम करने के लिए अमेरिका से आर्थिक दबाव का सामना कर रहा है, तिवारी का बयान वाशिंगटन के पाखंड का कड़ा खंडन था। गौरतलब है कि राहुल गांधी वास्तविक टैरिफ़ घोषणा पर चुप रहे और बाद में अडानी से जुड़ी एक अपुष्ट षड्यंत्र की कहानी लेकर सामने आए। दूसरी ओर, तिवारी ने तुरंत अमेरिकी फैसले की निंदा की और भारत के कूटनीतिक लचीलेपन में अपने विश्वास की पुष्टि की।
मनीष तिवारी ने ट्रंप की ‘अशिष्ट धौंस’ की निंदा की
ट्रंप के टैरिफ हमले पर अपनी प्रतिक्रिया में मनीष तिवारी ने दुनिया को एक शक्तिशाली ऐतिहासिक समानता की याद दिलाई: “आपके देश ने 1971 में दक्षिण एशिया के राजनीतिक मानचित्र को पुनर्व्यवस्थित करने से रोकने के लिए बंगाल की खाड़ी में सातवां बेड़ा भेजा था। हमने उसका सामना किया। एक राष्ट्र के रूप में हममें आपके टैरिफ के खतरे का सामना करने के लिए पर्याप्त लचीलापन है।” उन्होंने 4 अगस्त को ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में यह बात कही।
यह संदर्भ अनायास नहीं था। इसने अमेरिकी दबाव का एक शक्तिशाली खंडन किया और साथ ही भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की समय-परीक्षित कूटनीतिक परंपरा की पुष्टि की। तिवारी की टिप्पणी विदेश नीति की गहरी समझ को दर्शाती है, एक ऐसा क्षेत्र जिसमें उन्हें लंबे समय से विशेषज्ञ माना जाता रहा है।
मनीष तिवारी ने यह भी बताया कि नेहरू की गुटनिरपेक्षता से लेकर इंदिरा गांधी द्वारा शीत युद्ध की महाशक्तियों की अवज्ञा तक, भारत की दबावों का प्रतिरोध करने की विरासत प्रधानमंत्री मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” दृष्टिकोण के तहत जारी है। तिवारी ने तीखे शब्दों में कहा, “ट्रंप ने शायद भारतीय रणनीतिक असाधारणता को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि दी है।” उन्होंने भारत द्वारा किसी भी वैश्विक शक्ति के निर्देशों के अधीन न आने का हवाला दिया।
भारत के विरुद्ध ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की टाइम लाइन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ संबंधी धमकियों और कार्रवाइयों में लगातार वृद्धि को दर्शाने वाली एक समयरेखा इस प्रकार है:
अक्टूबर 2019: ट्रंप ने भारत को “टैरिफ किंग” करार दिया।
सितंबर 2024: भारत को “टैरिफ का दुरुपयोग करने वाला” कहा।
2 अप्रैल, 2025: भारतीय वस्तुओं पर 26% आयात शुल्क की घोषणा (9 अप्रैल से प्रभावी)।
5 अप्रैल, 2025: व्हाइट हाउस के आदेश में 10% बेसलाइन टैरिफ, भारत के लिए 16% (9 अप्रैल से) स्थापित किया गया।
9 अप्रैल, 2025: भारत-विशिष्ट 16% दर 90 दिनों के लिए स्थगित (आधारभूत 10% बनी हुई है)।
8 जुलाई, 2025: स्थगन 1 अगस्त तक बढ़ा दिया गया।
30 जुलाई, 2025: अमेरिका ने रूसी तेल और हथियारों की खरीद पर दंड के रूप में 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की।
31 जुलाई, 2025: कार्यकारी आदेश ने 7 अगस्त से 25% शुल्क की पुष्टि की।
5 अगस्त, 2025: ट्रम्प ने और भी अधिक शुल्क लगाने का संकेत दिया।
6 अगस्त, 2025: एक और 25% लागू किया, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया।
राजनीतिक एकता का समय
जब भारत अपने पूर्व सहयोगी से अनुचित आर्थिक आक्रमण का सामना कर रहा है, तो यह घरेलू स्तर पर बदनामी का नहीं, बल्कि राजनीतिक एकता का समय है। राहुल गांधी द्वारा निराधार विदेशी जांचों का हवाला देकर एक राष्ट्रीय चुनौती का राजनीतिकरण करने का प्रयास विदेशों में भारत की आवाज़ को कमज़ोर करता है। इसके विपरीत मनीष तिवारी ने वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद होने के बावजूद पक्षपात के बजाय देशभक्ति को चुना है। ट्रम्प की टैरिफ धमकियों पर उनकी गरिमापूर्ण और ऐतिहासिक रूप से आधारित प्रतिक्रियाओं की गूंज पूरे राजनीतिक परिदृश्य में सुनाई दी है। ऐसे समय में जब भारत को द्विदलीय शक्ति की आवश्यकता है, तिवारी की आवाज़ बुलंद है, जो दुनिया को याद दिलाती है कि भारत किसी के आगे नहीं झुकेगा, चाहे वह 1971 का सैन्य दबाव हो या 2025 का आर्थिक दबाव।