स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन दौरान पीएम मोदी ने घुसपैठ को देश के लिए बड़ी समस्या के रूप में चिह्नित किया। उन्होंने कहा कि मैं आज देश को एक गंभीर चिंता और चुनौती के संबंध में आगाह करना चाहता हूं। षड़यंत्र के तहत, सोची समझी साजिश के तहत देश की डेमोग्राफी को बदला जा रहा है। एक नए संकट के बीज बोए जा रहे हैं। उन्होंने इसके लिए देशवासियों को आगाह किया।
सामाजिक तनाव के बीज बोता है घुसपैठ
पीएम मोदी ने कहा कि ये घुसपैठिए मेरे देश के नौजवानों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं। ये घुसपैठिये मेरे देश की बहन-बेटियों को निशाना बना रहे हैं। ये घुसपैठिए आदिवासियों के घरों में घुसकर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। ये देश सहन नहीं करेगा। जब सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफी में बदलाव होता है, तब देश की सुरक्षा पर संकट होता है। यह सामाजिक तनाव के बीज बो देता है। कोई देश अपना देेश दूसरों के हवाले नहीं कर सकता है। हमारे पूर्वजों ने त्याग औऱ बलिदान से आजादी पाई है। उन महापुरुषों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम ऐसा नहीं होने दें। मैं लालकिले की प्राचीर से कहना चाहता हूं कि हमने हाई पावर्ड डेमोग्राफी मिशन शुरू कर रहे हैं।
दुनियां को ताकत दे सकती हैं भाषाएं
इस दौरान पीएम मोदी ने भाषाओं को लेकर भी अपना रूख स्पष्ट किया। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी संस्कृति की ताकत विविधता है, हम इस विविधता को सेलिब्रेट करने को आदत बनाना चाहते हैं। हमने प्रयागराज के महाकुंभ में देखा, विविधता को कैसे जीया जाता है। एक स्थान पर करोड़ों लोग, एक ही प्रण, एक ही प्रयास। महाकुंभ की वह सफलता भारत की सफलता की दुहाई देती है। हमारा देश भाषाओं की विविधता से पुलकित है। इसलिए मैंने मराठी, असमिया, बांग्ला, पाली, प्राकृत को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया। हमारा मत है कि भाषाएं जितनी विकसित होंगी, हमारे नॉलेज को उतना ही बल मिलने वाला है। जब डाटा का जमाना है तो यह भाषाएं दुनिया को भी ताकत दे सकती हैं। हमारी सभी भाषाओं के लिए हर किसी को काम करना चाहिए। इस बार हमने ज्ञान भारतम योजना के तहत जहां भी हस्तलिखित ग्रंथ, पांडुलिपियां हैं, पुराने दस्तावेज हैं, उन्हें सामने लाने के लिए तकनीक के आधार पर काम कर रहे हैं।
पीएम ने लोगों में जगाई उम्मीद
भारत में डेमोग्राफी चेज को लेकर काफी दिनों से चिंता जताई जा रही है। इस पर लंबी बहस भी चल रही है। लेकिन, अब तक इसके लिए कोई विशेष प्रयास नहीं हुए हैं। लेकिन, इस बार पीएम मोदी ने जब इस पर लाल किले से चर्चा की, तो लोगों में यह विश्वास जगा है कि अब इस पर भी काम होगा। इस विषय पर TISS ने एक नई डॉक्यूमेंट्री ‘Demography is Destiny’ के आंकड़े और ग्राउंड स्टडी की रिपोर्ट जारी की है। इसमें भारत के भविष्य की जनसंख्या की तस्वीर को लेकर चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (14 अगस्त) को टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़, मुंबई में इस डॉक्यूमेंट्री की विशेष स्क्रीनिंग की गई। इस मौके पर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर भी मौजूद थे।
अगले 120 साल में 67 प्रतिशत रह जाएंगे हिन्दू
TISS संस्था की डॉक्यूमेंट्री के मुताबिक अगले 120 साल में देश में हिंदू आबादी 67% रह जाएगी। सुनील आंबेकर के मुताबिक डेमोग्राफी एक महत्वपूर्ण अध्ययन है। उन्होंने कहा कि भारत की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आंबेकर ने बताया कि जो लोग आक्रमण करने आए, उन्होंने यह समझ लिया कि अगर भारत को बदलना है तो भारत की डेमोग्राफी बदलनी होगी, ताकि हम जिन नियमों का पालन कर रहे हैं, उन्हीं नियमों का पालन यहां के लोग भी करें। बिहार और बांग्लादेश में ऐसे कई मामले हैं, जहां डेमोग्राफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों ने बदल दी डेमोग्राफी
बांग्लादेश से भारत आने वाले घुसपैठियों ने 140 करोड़ के देश की डेमोग्राफी बदल कर रख दी है। रिपोर्टस के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 57 लाख और असम में 50 लाख से अधिक बांग्लादेशी हैं। असम के 33 जिलों में से 9 बारपेटा, धुबरी, दरांग, नौगांव, करीमगंज, दारंग, मोरीगांव, बोंगाईगांव, धुबरी,गोलपारा और लाकांडी में मुस्लिम आबादी 50 से 80 प्रतिशत तक आंकी गई है। बीजेपी समेत कई संगठनों का दावा है कि राज्य में 45 विधानसभा सीटें पूरी तरह से मुस्लिम वोटरों के कब्जे में है, जिनमें अधिकतर बांग्लादेश से पलायन कर असम पहुंचे हैं।
असम के नलबाड़ी, कछार और कामरूप में भी धार्मिक जनसंख्या में बदलाव हुआ है। पिछले चार दशकों में बिहार के सीमांचल के चार जिले किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया में मुस्लिम आबादी अप्रत्याशित तौर से बढ़ी है। किशनगंज में मुस्लिम आबादी 67.58 प्रतिशत और हिंदू आबादी 31.43 प्रतिशत है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में भी बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है और इस कारण से क्षेत्र की जनसांख्यिकी में काफी बदलाव आया है।
कहां से होती सबसे ज्यादा घुसपैठ
पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में कई ऐसे बांग्लादेशियों की पहचान की गई, जो मेडिकल और टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे, लेकिन वापस नहीं गए। हाल ही में एक फिल्म अभिनेत्री को भी कोलकाता से पकड़ा गया है, जो टूरिस्ट वीजा पर भारत आकर सालों से यहीं रह रही थी। सूत्रों के अनुसार, त्रिपुरा, असम और पश्चिम बंगाल में बिचौलियों की भरमार है, जो बांग्लादेशियों को भारत में अवैध तरीके से बसाने और उनके लिए फर्जी डॉक्युमेंट बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश से लगने वाले 2272 किलोमीटर लंबे बॉर्डर में कई लूप होल हैं।
सैफ पर हमला करने वाला निकला बांग्लादेशी
जानकारी हो कि पश्चिम बंगाल का मालदा, दिनेशपुर, छपली नवबादगंज, मुर्शिदाबाद और 24-परगना घुसपैठ के लिए बदनाम है। इसके अलावा हुगली नदी और जंगल के रास्ते से घुसपैठ होती है। फिल्म अभिनेता सैफ अली खान के हमलावर शरीफुल इस्लाम ने छह महीने पहले बॉर्डर किनारे बहने वाली दावकी नदी को पार करके भारत में घुसपैठ की थी। वह यहां पर अपना नाम बदल कर रह रहा था। मुंबई में वह बिजॉय दास के नाम से काम कर रहा था। उसने फर्जी पहचान पत्र के जरिये मोबाइल फोन सिम भी हासिल कर लिया था। इसी साल 22 जनवरी को हरियाणा के रेवाड़ी में 15 बांग्लादेशी पकड़े गए, जो 15 साल पहले भारत आए थे। वहीं फरवरी 2024 में आगरा से 40 बांग्लादेश घुसपैठिये पकड़े गए थे। राजधानी दिल्ली में लगातार बांग्लादेशी घुसपैठिये पकड़े जाते हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक है घुसपैठियों का जाल
रिपोर्टस के मुताबिक, बांग्लादेशी घुसपैठियों का जाल कश्मीर से कन्याकुमारी फैल चुका है। देश के करीब 17 राज्यों में करीब दो करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इस बारे में पहला आधिकारिक आंकड़ा संसद में 2007 में आया था। तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया था कि भारत में 12 मिलियन यानी 1.2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इस आंकड़े के स्रोतों को गलत बताते हुए अपना बयान वापस ले लिया था। दूसरी बार इस पर सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर जोगिंदर सिंह ने 2014 में एक आंकड़ा रखा। तब उन्होंने अनुमान लगाया था कि देश में करीब पांच करोड़ अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। हालांकि इस आंकड़े की कभी पुष्टि नहीं हुई। मगर हर शहर में बनाए गए अधिकतर अवैध झुग्गियों का कनेक्शन इन बांग्लादेशियों से है। यह तो स्पष्ट है।