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प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली युद्धपोत प्रोजेक्ट-18 विध्वंसक 144 मिसाइलों और हाइपरसोनिक मारक क्षमता के साथ भारतीय नौसेना की शक्ति को देगा नई परिभाषा।

Vibhuti Ranjan द्वारा Vibhuti Ranjan
2 August 2025
in आयुध, रक्षा, रणनीति
प्रोजेक्ट-18: भारत का ‘सुपर डेस्ट्रॉयर’ जो बदल देगा समुद्री शक्ति संतुलन

प्रोजेक्ट-18 विध्वंसक के भारतीय नौसेना में साल 2030 हो सकता है शामिल।

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बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता और वैश्विक स्तर पर सैन्य संतुलन में बदलावों के बीच भारत अब तक के अपने सबसे शक्तिशाली नौसैनिक प्लेटफ़ॉर्म प्रोजेक्ट-18 विध्वंसक को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। इसे बेजोड़ मिसाइल मारक क्षमता और उन्नत स्टील्थ क्षमताओं के साथ समुद्री क्षेत्रों में दबदबा बनाये रखने के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। यह अगली पीढ़ी का युद्धपोत भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा और सबसे परिष्कृत सतही लड़ाकू पोत होगा। यूक्रेन, हिंद-प्रशांत और मध्य पूर्व में बदलती सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए विकसित, प्रोजेक्ट-18 समुद्र में शक्ति प्रदर्शन और बढ़ते खतरों, विशेष रूप से चीन की बढ़ती नौसैनिक मौजूदगी से मुकाबला करने के भारत के मजबूत इच्छाशक्ति का संकेत है।

भारत के सभी युद्धपोत से होगी अधिक क्षमता

अपने साथ 13,000 टन भार ले जाने में सक्षम प्रोजेक्ट-18 विध्वंसक, भारतीय नौसेना के बेड़े में मौजूद हर युद्धपोत से आकार में बड़ा और अधिक शक्तिशाली होगा। इस कड़ी में विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक भी शामिल हैं। अत्याधुनिक सेंसर, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरणों और मिसाइलों की एक श्रृंखला के साथ यह युद्धपोत मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी नौसेना इंजीनियरिंग और तकनीकी आत्मनिर्भरता में एक महत्वपूर्ण छलांग है।

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बेजोड़ मिसाइल लोडआउट और हाइपरसोनिक क्षमता

प्रोजेक्ट-18 को इसकी असाधारण मिसाइल ले जाने की क्षमता अलग बनाती है। इस विध्वंसक में 144 वर्टिकल लांच सिस्टम (वीएलएस) सेल होंगे, जो किसी भी भारतीय युद्धपोत पर सबसे अधिक मिसाइल क्षमता है। इन्हें चरणबद्ध आक्रमण रणनीति और रक्षात्मक भूमिकाओं के लिए कॉन्फ़िगर किया जाएगा। इसके पीछे की ओर 32 वीएलएस सेल में पीजीएलआरएसएएम लंबी दूरी की वायु रक्षा मिसाइलें होंगी, जो 250 किमी तक दुश्मन के विमानों और बैलिस्टिक खतरों को रोकने में सक्षम हैं। 48 सेल में ब्रह्मोस विस्तारित रेंज क्रूज मिसाइलें और भूमि व समुद्री लक्ष्यों के लिए लंबी दूरी के दूसरे स्वदेशी हमलावर हथियार तैनात किए जाएंगे। वहीं कम दूरी के 64 वीएलएस सेल क्विक रिएक्शन मिसाइल्स के माध्यम से निकट-हवाई रक्षा प्रदान करेंगे। इतना ही नहीं, इस युद्धपोत पर विकसित की जा रही हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 मिसाइलों के लिए 8 स्लैंट लॉन्चर रखे जाने की भी उम्मीद जतायी जा रही है। अपनी बहुस्तरीय रक्षा प्रणाली के साथ, प्रोजेक्ट-18 एक वास्तविक बहु-भूमिका वाला युद्धपोत होगा, जिसे प्रतिस्पर्धी वातावरण के लिए डिज़ाइन किया गया है।

युद्धपोत पर होगा अगली पीढ़ी का रडार

इस युद्धपोत का प्रभुत्व केवल इसकी मारक क्षमता से ही नहीं होगा। प्रोजेक्ट-18 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक उन्नत सेंसर सूट होगा। चार उच्च क्षमता वाले एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, जिनमें S-बैंड और वॉल्यूम-सर्च रडार शामिल हैं। ये रडार 500 किमी से आगे तक निर्बाध 360 डिग्री तक निगरानी और लक्ष्य ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

यह अत्याधुनिक मल्टी-सेंसर मस्तूल नेविगेशन, ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध संबंधी कार्यात्मकताओं को एक साथ मिलाकर काम करेगा। इसके अलावा युद्धपोत की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली को साइबर युद्ध क्षमताओं से लैस किया जाएगा, जिससे यह इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और हाई डेंसिटी वाले संचार वातावरण में भी पूरी क्षमता के साथ काम करने में सक्षम होगा। यह आधुनिक नौसैनिक संघर्षों में बहुत ही महत्वपूर्ण सा​बित होगा।

प्रोजेक्ट-18 के मूल में भी मेक इन इंडिया

प्रोजेक्ट-18 की लगभग 75% सिस्टम भारतीय रक्षा निर्माताओं से मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जो रक्षा स्वदेशीकरण के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जहाज में ईंधन क्षमता और बिना किसी रुकावट के संचालन के लिए इंटरनल इलेक्ट्रिक प्रोपल्सन (IEP) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी स्टील्थ शेपिंग रडार क्रॉस-सेक्शन को काफी कम कर देगी, जिससे इसका पता लगाना मुश्किल हो जाएगा।

यह युद्धपोत पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) और बारूदी सुरंगों का पता लगाने के लिए दो मल्टीपर्पस हेलीकॉप्टरों और पानी के नीचे के ड्रोनों को भी सपोर्ट करेगा। इसे तेज संचालन के लिए रेल-रहित हेलीकॉप्टर हैंडलिंग सिस्टम भी लगाया जा रहा है। इन सुधारों के साथ प्रोजेक्ट-18 मज़बूत समुद्री नौसेना के निर्माण के भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण संशाधन बन जाएगा।

भारत की भावी समुद्री शक्ति का प्रमुख पोत

प्रोजेक्ट-18 विध्वंसक केवल एक और युद्धपोत नहीं है, बल्कि यह भारत की समुद्री क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव को दिखाता है। वर्ष 2030 के दशक में नौसेना में शामिल होने वाला यह युद्धपोत, 2035 तक 170-175 युद्धपोतों तक विस्तार करने की भारतीय नौसेना की महत्वाकांक्षा को मूर्त रूप देगा। 2028 तक डिज़ाइन पूरा होने और मझगांव डॉक तथा जीआरएसई में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद के साथ प्रोजेक्ट-18 श्रेणी हिंद महासागर में चीन की बढ़ती नौसैनिक पहुंच का मुकाबला करने और महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत समुद्री मार्गों पर भारत के प्रभाव को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

कुल मिलाकर आज के समय में जिस प्रकार से कई देशों में जैसे-जैसे क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहे हैं, इस अपराजेय युद्धपोत में निवेश करने का भारत का निर्णय एक स्पष्ट रणनीति को दर्शाता है। इस बताता है कि खतरों को रोकने, समुद्री हितों की रक्षा करने और वैश्विक मंच पर विश्वसनीय नौसैनिक शक्ति के रूप में उभरने के लिए भारत हर स्तर पर तैयार है।

Tags: expansion of army's capacityIndian Navymodernization of armyProject-18 destroyerwarshipप्रोजेक्ट-18 विध्वंसकभारतीय नौसेनायुद्धपोतसेना का आधुनीकीकरणसेना की क्षमता में विस्तार
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