अमेरिकी विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत के प्रति फैसलों की कड़ी आलोचना की है। खासकर इस बात पर कि ट्रंप चीन पर कुछ नहीं कर रहे, लेकिन केवल भारत पर टैरिफ लगा रहे हैं। उनकी प्रतिक्रिया में कहा गया है कि “भारत पर टैरिफ लगाना यूक्रेन युद्ध को खत्म नहीं करेगा।” जिस रिश्ते को पहले 21वीं सदी का सबसे मजबूत अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ माना जा रहा था, अब वह गंभीर संकट में आ गया है।
टैरिफ और आर्थिक प्रभाव
अमेरिका ने भारत पर दो तरह के टैक्स टैरिफ लगाए हैं। एक 25% सामान्य टैक्स और दूसरा 25% अतिरिक्त टैक्स, जो भारत के रूस से तेल खरीदने की वजह से लगाया गया है। यानी कुल मिलाकर भारत को 50% तक का भारी टैक्स चुकाना पड़ रहा है। इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, खासकर कपड़ा, गहनों और खेती से जुड़े उद्योगों पर।
इसी के साथ, ये भी देखने वाली बात है कि चीन जो रूस से सबसे ज़्यादा तेल खरीदता है, उस पर अमेरिका ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया। इसी वजह से कई लोगों को यह नीति पक्षपातपूर्ण लग रही है। अमेरिका की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे अमेरिका और भारत के रिश्ते कमजोर होंगे और यह फैसला यूक्रेन युद्ध से ज़्यादा अमेरिका की घरेलू राजनीति से जुड़ा हुआ लगता है।
भारत के साथ डेमोक्रेट्स
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को में कहा कि उन्हें अमेरिका के टैरिफ फैसले पर हैरानी हुई है। उनका कहना था कि अमेरिका खुद पहले कह चुका है कि भारत को रूस से तेल खरीदना चाहिए ताकि दुनिया में तेल की कीमतें स्थिर बनी रहें। लेकिन अब उसी वजह से भारत पर टैक्स लगाना समझ से बाहर है। भारत को लग रहा है कि उसे ऐसी सजा दी जा रही है जो चीन और यूरोपीय देशों को नहीं दी गई, जबकि सब रूस से तेल खरीद रहे हैं। इसलिए भारत ने इस फैसले का विरोध किया है।
हालांकि अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है, भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस का दौरा किया है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी भारत आए हैं, और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जल्द भारत आने वाले हैं। ये सब दिखाते हैं कि भारत मुश्किल हालात में भी अपने सारे विकल्प खुले रखना चाहता है।
ट्रंप प्रशासन और आलोचना
वाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे, तो उस पर लगे 25% टैरिफ को कम किया जा सकता है। उन्होंने यूक्रेन युद्ध को “मोदी का युद्ध” तक कह दिया, जिससे विवाद पैदा हो गया और यह दिखाता है कि ट्रंप प्रशासन और भारत के बीच संबंध बहुत खराब हो गए हैं।
वहीं, अमेरिका की विपक्षी पार्टी की कमेटी ने कहा कि अगर ट्रंप सच में यूक्रेन युद्ध खत्म करना चाहते तो भारत पर टैरिफ लगाने की बजाय यूक्रेन को सैन्य मदद देते। यह बात दिखाती है कि दोनों तरफ के बीच भरोसा कम हो रहा है।
उद्देश्य और भविष्य
पिछले कुछ महीनों में भारत और अमेरिका के बीच न सिर्फ व्यापार में, बल्कि टेक्नोलॉजी और रक्षा के क्षेत्र में भी सहयोग कम हो गया है। अमेरिका की कोशिशें, जो चीन से अपनी कंपनियों को हटाकर भारत में सप्लाई चेन बनाना चाह रहा था, अब रुकी हुई हैं।
अगर यूक्रेन मामले में बातचीत नहीं बढ़ी और ट्रंप सरकार और ज्यादा टैरिफ लगाती है, तो इससे भारत-अमेरिका के व्यापार पर ज्यादा बुरा असर पड़ेगा। इसके कारण भारतीय सामान अमेरिकी बाजार से पूरी तरह गायब हो सकते हैं।