महाराष्ट्र के पुणे जिले के दौंड तालुका के यवत गांव के नीलकंठेश्वर मंदिर में 26 जुलाई की रात छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अपमान किया गया। स्थानीय लोगों ने अमीन सैयद नामक व्यक्ति पर अपमान करने का आरोप लगाया है। इस घटना से वहां पर बवाल मचा हुआ है। हिंदू समुदाय के लोगों में गहरा आक्रोश है। इसको लेकर हिन्दू संगठनों और स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया। हालांकि, पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी हो कि इस्लामी आक्रमणों और विदेशी अत्याचार के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने वाले मराठा योद्धा शिवाजी महाराज की प्रतिमा महाराष्ट्र में अत्यधिक भावनात्मक और ऐतिहासिक महत्व रखती है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, तोड़फोड़ की यह घटना पूर्व नियोजित और जानबूझकर उकसाने वाली लगती है। इस मामले में पुलिस ने तुरंत अमीन सैयद को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने घटना में उसकी संलिप्तता की पुष्टि की है। हालांकि, क्षेत्र में एक सार्वजनिक पोस्ट के बाद तनाव बढ़ता जा रहा है।
जिहादी सोशल मीडिया पोस्ट ने डाला आग में घी
मूर्ति के अपमान के कुछ ही दिनों बाद 1 अगस्त को एक और घटना ने क्षेत्र के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। इसके बाद एक बेहद आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट प्रसारित होने लगी, जिसे व्यापक रूप से हिंदू समुदाय के प्रति अपमानजनक माना गया। इस पोस्ट में हिंदू धार्मिक हस्तियों का मज़ाक उड़ाया गया है और मध्य प्रदेश के एक मंदिर के पुजारी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। पोस्ट को देख कर ऐस लगता है कि हिंदू धर्म को अपराध के बराबर बताने की कोशिश की गई है।
वायरल तस्वीर के साथ लिखे गए पोस्ट में अपमानजनक टिप्पणियां शामिल थीं जैसे “एक और पंडित, अब बोलो भगवाधारी। सोचो, अगर सोशल मीडिया के ज़माने में यह हाल है, तो ये लोग 50 साल पहले क्या कर रहे होते!!” इसके माध्यम से हिंदू संतों को बदनाम करने और धार्मिक तनाव भड़काने की ज़बरदस्त कोशिश भी की गई है।
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा और कड़ी कार्रवाई की मांग के बाद, पोस्ट के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति, जिसका नाम भी कथित तौर पर सैयद है, को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया। इस दूसरी घटना ने पहले से ही अस्थिर स्थिति में और चिंगारी भड़का दी, जिससे यवत की सड़कों पर अशांति का माहौल पैदा हो गया और झड़प की घटनाएं भी हुईं।
पथराव, झड़पों के दौरान वाहन जलाए गए
इस घटना को लेकर हिन्दू और मुसलमानों में झड़पें भी हुईं। इसके बाद लोगों का विरोध प्रदर्शन और भी उग्र हो गया। उपद्रवियों ने कई वाहनों में आग लगा दी और धार्मिक स्थलों के पास पथराव किया। इसके बाद पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। यह हिंसा मुख्य रूप से शिवाजी महाराज की मूर्ति के अपमान और अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट, दोनों की प्रतिक्रिया थी। माना जा रहा है कि मुस्लिम तत्वों ने जानबूझ कर उकसावे के लिए यह सब किया।
इन घटनाओं से नाराज़, सहकार नगर (कथित तौर पर पोस्ट करने वाले युवक का घर) के स्थानीय लोगों ने संदिग्ध के घर में तोड़फोड़ की। हालांकि, पुलिस ने तुरंत लोगों को आगे बढ़ने से रोक दिया। हालांकि, उपद्रव के कारण यवत में लगने वाला साप्ताहिक बाज़ार बंद कर दिया गया और पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। मामले में यवत के इंस्पेक्टर नारायण देशमुख ने बताया कि गिरफ़्तार किए गए लोगों से पूछताछ की जा रही है और आगे की जांच जारी है। इस बीच किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है।
मुख्यमंत्री ने की शांति की अपील की
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हालात की जानकारी लेने के बाद घटना की निंदा करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने पुष्टि की कि सोशल मीडिया पर पोस्ट किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा किया गया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने के जानबूझकर किए गए प्रयासों को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “हमारी बस एक ही अपील है कि कोई भी कानून अपने हाथ में न ले। अगर कोई ऐसा करता है, तो पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी।” फडणवीस ने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ उपद्रवी आपत्तिजनक पोस्ट के ज़रिए सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने की कोशिश करते हैं। लेकिन, महाराष्ट्र ऐसे उकसावे के ख़िलाफ़ एकजुट और मजबूत रहेगा।
सीएम ने दोहराया कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने या छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे पूजनीय व्यक्तियों का अपमान करने को हल्के में नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी को किसी भी धर्म के विरुद्ध आपत्तिजनक टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।” उन्होंने इसकी कड़ी साइबर निगरानी और बार-बार अपराध करने वालों को शीघ्र दंड देने का आह्वान किया।
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अपमान और उसके बाद सोशल मीडिया पर हिंदू विरोधी पोस्ट हिंदू समुदाय और उसकी विरासत के विरुद्ध लक्षित उकसावे की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं। ऐसे देश में जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अक्सर धार्मिक परंपराओं का अपमान करने के लिए दुरुपयोग किया जाता है, ऐसे कृत्यों का कानूनी और सामाजिक रूप से सख्ती से सामना किया जाना चाहिए।महाराष्ट्र और पूरे भारत के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज केवल ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं, बल्कि हिंदू प्रतिरोध, गौरव और संप्रभुता के प्रतीक हैं। उस विरासत का अपमान करने का कोई भी प्रयास आक्रोश को जन्म देगा।