स्टेटवाइड इलेक्टोरल रिव्यू (SIR) को लेकर देशभर में राजनीति गरमा गई है। विपक्ष लगातार चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है, जबकि आयोग का कहना है कि उसका उद्देश्य केवल मतदाता सूची को शुद्ध और पारदर्शी बनाना है।
राहुल गांधी का बड़ा हमला: “चुनाव आयोग भाजपा का एजेंट”
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बिहार से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग (ECI) पर तीखा हमला बोला और कहा कि आयोग भाजपा के दबाव में काम कर रहा है। राहुल ने आरोप लगाया कि देशभर में फर्जी वोटिंग और मतदाता सूची में हेरफेर हो रहा है।
राहुल गांधी के 5 सवाल
विपक्ष को डिजिटल मतदाता सूची क्यों नहीं दी जा रही?
CCTV और वीडियो साक्ष्य क्यों मिटाए जा रहे हैं?
फर्जी वोटिंग और मतदाता सूची में धांधली क्यों?
विपक्षी नेताओं को डराया-धमकाया क्यों जा रहा है?
क्या चुनाव आयोग भाजपा का एजेंट बन गया है?
चुनाव आयोग का जवाब: “आरोप साबित करो या माफी मांगो”
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से कहा कि अगर उनके पास सबूत हैं तो वह शपथपत्र (हलफनामा) दायर करें, अन्यथा पूरे देश से माफी मांगे। आयोग का कहना है कि बेबुनियाद आरोप लगाकर लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है।
चुनाव आयोग ने जनता से पूछे 5 सवाल
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि SIR प्रक्रिया का मकसद मतदाता सूची को पूरी तरह साफ करना है। इसके लिए आयोग ने जनता से पाँच सीधे सवाल पूछे हैं:
क्या मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए?
मृतकों के नाम हटाए जाने चाहिए?
जिनके नाम कई जगह दर्ज हैं, उन्हें केवल एक जगह रखा जाए?
जो लोग दूसरी जगह बस गए हैं, उनके नाम हटाए जाएं?
विदेशियों के नाम सूची से हटाए जाएं?
आयोग का कहना है कि यदि इन सबका उत्तर ‘हाँ’ है, तो इस कठिन कार्य में राजनीतिक दलों और समाज को भी सहयोग देना चाहिए।
SIR विवाद: लोकतंत्र की साख पर सवाल
SIR विवाद केवल एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं रह गया है। अब यह सीधा चुनाव आयोग की विश्वसनीयता और भारतीय लोकतंत्र की साख से जुड़ गया है। विपक्ष आरोपों के ज़रिए सत्ता पक्ष को घेरना चाहता है। चुनाव आयोग पारदर्शिता और जनभागीदारी के ज़रिए भरोसा बनाए रखना चाहता है।
आगे की राह
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा विपक्ष के लिए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बनती जा रही है। वहीं आयोग अपनी तरफ से यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उसकी प्राथमिकता केवल शुद्ध मतदाता सूची और साफ-सुथरी चुनाव प्रक्रिया है। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराएगा। लेकिन इतना तय है कि SIR विवाद अब केवल मतदाता सूची तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और चुनाव आयोग की निष्पक्षता की अग्निपरीक्षा बन गया है।