इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय, जिनके खिलाफ भगवान शिव, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS के कार्टून बनाने के कई मामले चल रहे हैं, ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में बिना किसी शर्त के माफी मांगी। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट से विवादित चित्र हटा देंगे और सार्वजनिक रूप से माफी भी देंगे।
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसमें जज अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया थे, ने उनके वकील वृंदा गोवर द्वारा दी गई हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई माफी को स्वीकार किया। यह माफी कुछ हफ्ते पहले मिली अग्रिम जमानत के बाद आई है, जब कोर्ट ने कहा था कि बोलने की आजादी का गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
सोशल मीडिया पर माफी और कंटेंट हटाने का वादा
वृंदा गोवर ने कोर्ट को बताया कि उनके क्लाइंट से जांच के दौरान कभी पूछताछ नहीं हुई है और वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि यह मामला फेसबुक पर पोस्ट किए गए कंटेंट से शुरू हुआ था, लेकिन मालवीय ने वादा किया है कि वे सभी सोशल मीडिया से विवादित तस्वीरें हटा देंगे।
विवादित कार्टून में, जो 2021 से सोशल मीडिया पर था, एक RSS सदस्य को यूनिफॉर्म में शॉर्ट्स उतारे हुए दिखाया गया था, और प्रधानमंत्री मोदी उसे इंजेक्शन लगा रहे हैं। साथ ही, उसमें भगवान शिव से जुड़ी कुछ ऐसी बातें थीं जिन्हें कोर्ट ने अपमानजनक माना।
मामला और FIR के तहत आरोप
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मालवीय को पहले अग्रिम जमानत नहीं दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ अलग-अलग कानूनों के तहत FIR दर्ज की गई। इनमें भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67A भी शामिल है। शिकायत करने वालों का कहना था कि कार्टून ने हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और इससे समाज में तनाव बढ़ा।
वृंदा गोवर ने कोर्ट को बताया कि वह अपनी माफी सोशल मीडिया पर भी प्रकाशित करेंगे और विवादित कंटेंट सभी प्लेटफॉर्म से हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हुआ है और उन्हें कभी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया।
मध्य प्रदेश सरकार का जवाब और माफी सार्वजनिक करने का सुझाव
मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने बताया कि उन्हें माफी मिल गई है। उन्होंने कहा कि यह माफी सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से पोस्ट की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जांच में पूरा सहयोग किया जाना चाहिए।
वकील वृंदा गोवर ने कोर्ट को बताया कि माफी जल्द ही सोशल मीडिया पर डाल दी जाएगी।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए
यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की 15 जुलाई की उस टिप्पणी के बाद हुई, जिसमें कोर्ट ने मालवीय के बनाए कार्टून को “उकसाने वाला” बताया था। कोर्ट ने कहा था कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह नहीं है कि कोई भी कुछ भी आपत्तिजनक बना सकता है। कोर्ट ने चिंता जताई कि कुछ लोग संविधान में मिले अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, और इस पर जल्द ही कुछ सख्त नियम बनाए जा सकते हैं।
अब जब मालवीय की माफी कोर्ट के सामने आ गई है, तो कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इस मामले में अपनी राय दे। इस केस की अगली सुनवाई कुछ हफ्तों में हो सकती है।