“घुसपैठिये ग़रीब हैं, बाहर मत निकालो”- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बयान

जब पूरी दुनिया रोहिंग्या आतंकियों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को सुरक्षा का ख़तरा मानती है, तब कांग्रेस के ये नेता उन्हें “ग़रीब आदमी” कहकर बचाने में लग जाते हैं।

“घुसपैठिये ग़रीब हैं, बाहर मत निकालो”- कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का बयान

अवैध प्रवासन भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। बहुत सारे बांग्लादेशी और रोहिंग्या लोग बिना कागज के भारत के शहरों और सीमा वाले इलाक़ों में रह रहे हैं। इससे लोगों की संख्या बढ़ रही है, संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, और सुरक्षा एजेंसियों को चिंता हो रही है।

राजनीतिक विवाद और बयानबाजी

कांग्रेस के कुख्यात सांसद और प्रियंका गांधी वाड्रा के सलाहकार इमरान मसूद ने एक बार फिर देश विरोधी मानसिकता का खुला सबूत दिया है। सुदर्शन न्यूज़ से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को देश से बाहर नहीं निकालना चाहिए। लाखों घुसपैठिए जो हमारी नौकरी, ज़मीन, राशन और सुरक्षा को खा रहे हैं, उनके लिए यह सांसद ढाल बनकर खड़ा हो जाता है।

जब पूरी दुनिया रोहिंग्या आतंकियों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को सुरक्षा का ख़तरा मानती है, तब कांग्रेस के ये नेता उन्हें “ग़रीब आदमी” कहकर बचाने में लग जाते हैं।
असल में इनके लिए मुस्लिम पहचान ही सबसे ऊपर है। देश, संविधान और जनता – सब नीचे!

सुदर्शन न्यूज़ का खुलासा और X पर पोस्ट

सुदर्शन न्यूज़ के Editor-in-Chief सुरेश चव्हाणके ने इस बयान को लेकर X पर सीधा लिखा-  “कांग्रेस के जिहादी सांसद इमरान मसूद ने ‘घुसपैठियों को बाहर निकालो’ कहने से साफ़ इनकार कर दिया। क्यों? क्योंकि इनके लिए मुस्लिम पहचान देश से ज़्यादा ऊपर है।
इनकी नज़र में चाहे वो विदेशी घुसपैठिया हो या अपराधी, अगर मुसलमान है तो ‘रक्षा’ करनी है।
यही असली चेहरा है ‘सेक्युलरिज़्म’ का, सांसद की कुर्सी पर बैठकर देश की नहीं, मज़हब की राजनीति।”

कांग्रेस का सेक्युलरिज़्म

यह कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस का सेक्युलरिज़्म हमेशा से ढकोसला रहा है। हिंदुओं के हक़ की बात करो तो “सांप्रदायिक” कहलाओगे। लेकिन अगर विदेशी मुस्लिम घुसपैठियों का साथ दो तो कांग्रेस आपको “सेक्युलर” कहेगी।
यही कांग्रेस का असली चेहरा है – कुर्सी और वोटों के लिए देश से गद्दारी।

अवैध प्रवासियों की संख्या

भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या 2 से 20 मिलियन के बीच बताई जाती है, जिनमें असम में लगभग 2 मिलियन हैं। 2019 के असम NRC में 1.9 मिलियन अवैध प्रवासियों की पहचान हुई थी। दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में भी नकली कागजात के साथ प्रवासी रहते हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल है। रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 40,000 से 75,000 के बीच है, और कुछ के पास नकली आधार और वोटर कार्ड होने की वजह से चुनाव प्रक्रिया में भी खतरा है।

क्यों ख़तरनाक है यह सोच?

अगर हर नेता यही कहने लगे कि विदेशी घुसपैठियों को देश से बाहर मत निकालो, तो इसका बहुत बड़ा नुकसान होगा। सबसे पहले हमारी जनसंख्या पर बोझ बढ़ जाएगा। जो सुविधाएँ- जैसे राशन, स्कूल, अस्पताल और रोज़गार पहले ही कम हैं, वो और ज्यादा लोगों में बंट जाएँगी। इसका सीधा असर आम भारतीयों की ज़िंदगी पर पड़ेगा, क्योंकि असली नागरिकों को उनका हक़ पूरा नहीं मिलेगा। दूसरा नुकसान नौकरियों और ज़मीन का होगा।

घुसपैठिए सस्ती मजदूरी करने को तैयार रहते हैं, जिससे भारतीय मज़दूरों की रोज़ी-रोटी छिन जाती है। धीरे-धीरे ये बाहर से आए लोग बस्तियों और ज़मीनों पर कब्ज़ा करके स्थायी रूप से बस जाते हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि इनके बीच अपराधी और आतंकी भी आसानी से छिप जाते हैं। इससे देश की सुरक्षा और क़ानून-व्यवस्था पर सीधा खतरा खड़ा हो जाता है। यानी, अगर घुसपैठियों को रोकने के बजाय बचाया गया, तो भारत आर्थिक रूप से भी कमजोर होगा और आतंकवाद व अपराध का खतरा भी कई गुना बढ़ जाएगा।

वोट बचाने के लिए देश की कुर्बानी

साफ़ दिख रहा है कि कांग्रेस और इमरान मसूद जैसे नेता ये सब सिर्फ़ वोटों की भूख के लिए कर रहे हैं। उन्हें देश की सुरक्षा, हिंदुस्तानियों की नौकरी, या हमारी आने वाली पीढ़ियों की कोई चिंता नहीं है। उनकी एक ही चिंता है, कहीं मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो जाए! इसलिए चाहे विदेशी घुसपैठिए हों, अपराधी हों या आतंकवादी, अगर वो मुसलमान हैं तो कांग्रेस उनकी ढाल बनकर खड़ी हो जाती है। यानी वोट बचाने के लिए ये लोग पूरे देश को दांव पर लगाने से भी पीछे नहीं हटते। यही कांग्रेस की राजनीति का असली चेहरा है।

अब चुप रहना गद्दारी है!

भारत के हर नागरिक को जागना होगा। इमरान मसूद जैसे नेताओं को पहचानना होगा। ये वही लोग हैं जो संसद की कुर्सी पर बैठकर पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। इनकी नज़र में मजहब पहले, मुल्क बाद में।

अगर लोग कांग्रेस के ऐसे नेताओं पर अब भी चुप रहे, तो आने वाले समय में हम अपनी ही ज़मीन पर पराये हो जाएंगे।

इमरान मसूद का बयान, कांग्रेस के असली एजेंडे को उजागर करता है- घुसपैठियों को बचाना, मुस्लिम पहचान को देश से ऊपर रखना, और संसद को मज़हबी राजनीति का अड्डा बनाना।  यही है कांग्रेस का “सेक्युलरिज़्म”- देश की कीमत पर मज़हब की राजनीति!

 

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