गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी या गणेश उत्सव भी कहा जाता है, भारत में बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के बेटे हैं। साल 2025 में यह पर्व 26 अगस्त से शुरू होकर 6 सितंबर तक चलेगा। दस दिनों तक लोग अपने घरों में मिट्टी की गणेश मूर्ति लाकर पूजा करते हैं, उन्हें भोग लगाते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। इस त्योहार का अंत अनंत चतुर्दशी के दिन होता है, जब भक्त ढोल-नगाड़ों और नाच-गाने के साथ गणेश जी की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित (जल में प्रवाहित) करते हैं।
कैसे हुआ था भगवान गणेश का जन्म?
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के शरीर की मैल से हुआ था। एक बार जब माता पार्वती स्नान के लिए जा रही थीं, उन्होंने अपने शरीर की मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर उसे दरवाज़े पर पहरा देने को कहा। उस पुतले का नाम गणेश रखा गया।
जब भगवान शिव वहाँ आए तो गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोका। इससे शिव जी नाराज़ हो गए और उन्होंने गणेश जी का सिर काट दिया। यह देखकर माता पार्वती बहुत दुखी हुईं। तब शिव जी ने गणेश जी को दोबारा जीवित करने के लिए एक हाथी के बच्चे का सिर उनके धड़ से जोड़ दिया।
इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने हृदय से लगा लिया। ब्रह्मा, विष्णु और महेश –तीनों बड़े देवताओं ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि वह सभी देवताओं में सबसे आगे पूजे जाएंगे और हर पूजा में सबसे पहले उनका नाम लिया जाएगा।
गणेश मूर्ति का विसर्जन क्यों किया जाता है?
गणेश जी का जन्म मिट्टी (शरीर की मैल) से हुआ था, इसलिए उनकी मूर्ति भी मिट्टी से ही बनाई जाती है। उन्हें पानी में विसर्जित करना यह दिखाता है कि जैसे उनका जन्म मिट्टी से हुआ था, वैसे ही वे वापस मिट्टी में मिल जाते हैं। यह हमें प्रकृति के नियमों की याद दिलाता है।
गणेश जी की पूजा करने से घर में शांति, खुशहाली और अच्छा माहौल बनता है। नकारात्मक बातें और ऊर्जा दूर होती हैं। इसलिए गणेश चतुर्थी सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि दिल और समाज से जुड़ा एक खास त्योहार माना जाता है।
गणेश चतुर्थी 2025: शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1:54 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 27 अगस्त 2025 को दोपहर 3:44 बजे
- मध्यान्ह गणेश पूजा मुहूर्त – 27 अगस्त 2025 को सुबह 11:12 बजे से दोपहर 1:44 बजे तक
- गणेश विसर्जन (अनंत चतुर्दशी) – शनिवार, 6 सितंबर 2025
गणेश चतुर्थी 2025: पूजा विधि और परंपराएं
इस त्योहार में लोग अपने घरों को फूलों, रंगोली और दीयों से सुंदर तरीके से सजाते हैं। वे मिट्टी से बनी भगवान गणेश की मूर्ति को घर लाते हैं। सुबह जल्दी उठकर नहाते हैं, साफ कपड़े पहनते हैं, व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं।
पूरे त्योहार के दौरान भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़ों और नाच-गाने से माहौल बहुत ही भक्तिमय और खुशी से भर जाता है। घरों में स्वादिष्ट खाना बनता है, खासकर गणेश जी की पसंदीदा मिठाइयाँ जैसे मोदक और मोतीचूर के लड्डू प्रसाद में बनाए जाते हैं।
दसवें दिन, जिसे अनंत चतुर्दशी कहते हैं, गणेश जी की मूर्ति को शोभायात्रा के साथ नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है। यह विदाई की परंपरा होती है, जिसमें भक्त प्रार्थना करते हैं कि गणेश जी अगले साल फिर जल्दी आएँ।
गणेश चतुर्थी 2025: व्रत नियम और सुझाव
- व्रत की अवधि अपनी सेहत और श्रद्धा के अनुसार तय करें। पूरा दिन उपवास रख सकते हैं या कुछ विशेष समय या भोजन पर नियंत्रण कर सकते हैं।
- व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक पवित्रता बनाए रखें। बुरे विचारों और गपशप से बचें। ध्यान, मंत्र जाप और पूजा में मन लगाएं।
- उपवास में मांसाहारी भोजन पूर्ण रूप से वर्जित होता है।
- कई भक्त उपवास के समय लहसुन और प्याज का सेवन भी नहीं करते।
- उपवास का भोजन सादा, कम मसाले और कम तेल वाला होना चाहिए।
- सामान्य नमक की जगह व्रत में शुद्धता के लिए सेंधा नमक (सेंधा नमक) का प्रयोग किया जाता है।
- यदि निर्जल व्रत रखा गया हो, तो उपवास से पहले और बाद में खूब पानी पीकर शरीर को हाइड्रेट रखें।
गणेश चतुर्थी 2025: देशभर में उत्सव का माहौल
गणेश चतुर्थी भारत के सबसे बड़े और मशहूर त्योहारों में से एक है। यह खास तौर पर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और तमिलनाडु में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इन जगहों पर बड़े-बड़े पंडालों में भगवान गणेश की विशाल मूर्तियाँ लगाई जाती हैं और हजारों लोग दर्शन करने आते हैं।
गणेश चतुर्थी सिर्फ पूजा-पाठ का त्योहार नहीं है, बल्कि यह भक्ति, एकता और संस्कृति का भी प्रतीक है। यह पर्व लोगों के दिलों में नई ऊर्जा, उम्मीद और खुशियों का संचार करता है।