हाल ही में मुंबई, तेलंगाना और मेघालय में एक बड़ी कार्रवाई में अवैध बांग्लादेशी नेटवर्कों का भंडाफोड़ हुआ है। इन दोनों रैकेट्स में न केवल ड्रग्स की उत्पादन-व्यापार की योजना शामिल थी, बल्कि वाहन चोरी और तस्करी जैसी संगठित अपराध गतिविधियां भी सामने आईं। यह घटनाक्रम साफ तौर पर दिखाता है कि अवैध घुसपैठ और विदेशियों द्वारा संचालित अपराध भारत के आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक तंत्र के लिए गंभीर खतरा हैं।
हैदराबाद में 12,000 करोड़ रुपये मूल्य का नशीली दवा निर्माण यूनिट
पहले मामले में तेलंगाना के हैदराबाद में 12,000 करोड़ रुपये मूल्य के ड्रग्स निर्माण यूनिट का पर्दाफाश हुआ। यह यूनिट मेफेड्रोन (MD) जैसी नशीली दवाओं का उत्पादन कर रही थी। इस रैकेट का सुराग मुंबई में पकड़ी गई एक अवैध बांग्लादेशी महिला, फातिमा शेख के पास से बरामद ड्रग्स से मिला।
मुंबई पुलिस ने 23 वर्षीय फातिमा मुराद शेख को कशीमिरा बस स्टॉप, मीरा रोड के पास गिरफ्तार किया। उसके पास से 178 ग्राम मेफेड्रोन, 23.97 लाख रुपये नकद और अन्य कीमती सामान बरामद किए गए। पकड़ी गई मात्रा की अनुमानित कीमत लगभग 9 करोड़ रुपये बताई गई है। जांच के दौरान फातिमा ने स्वीकार किया कि नशीली दवा तेलंगाना से लाई जा रही थी। इसके बाद 15 पुलिस अधिकारी, जिनमें तीन वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, हैदराबाद रवाना हुए और अगस्त में छानबीन शुरू की।
5 सितंबर को चेरलापल्ली, नवोदय कॉलोनी में नशीली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का पता चला। फैक्ट्री से लगभग 5.8 किलो मेफेड्रोन, 35,500 लीटर रसायन, 950 किलो पाउडर और ड्रग्स के उत्पादन में प्रयुक्त अन्य सामग्री बरामद हुई। इस कार्रवाई में 12 आरोपी गिरफ्तार हुए, साथ ही 27 मोबाइल फोन, 4 वाहन, इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन और अन्य उपकरण भी जब्त किए गए। यह घटना न केवल यह दर्शाती है कि अवैध बांग्लादेशी नेटवर्क कितने संगठित और बड़े पैमाने पर सक्रिय हैं, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क और प्रभावी कार्रवाई में सक्षम हैं।
मेघालय में वाहन चोरी और तस्करी का रैकेट
दूसरा मामला मेघालय का है, जहां ईस्ट खासी हिल्स जिले में संगठित बाइक चोरी और तस्करी का रैकेट पकड़ा गया। इस रैकेट में कुल 17 लोग शामिल थे, जिनमें 10 अवैध बांग्लादेशी नागरिक और 2 नाबालिग थे। जांच में पता चला कि चोरी की गई मोटरसाइकिलें बांग्लादेश में तस्करी के लिए भेजी जा रही थीं। रैकेट में शामिल 9 लोग पश्चिम जैन्टिया हिल्स जिले के बरातो, डॉकी और जवाई गांवों से थे। यह खुलासा इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पार अपराध नेटवर्क ने पूर्वोत्तर राज्यों में पैठ बना ली है।
ईस्ट खासी हिल्स के पुलिस अधीक्षक विवेक सियेम ने कहा कि सभी गिरफ्तार व्यक्तियों को संबंधित अदालत के समक्ष पेश किया गया है। इस कार्रवाई ने यह साबित किया कि अवैध बांग्लादेशी नेटवर्क केवल सीमावर्ती क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े पैमाने पर अपराध में संलिप्त हैं।
घुसपैठ और अंतरराष्ट्रीय अपराध का राष्ट्रीय खतरा
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेशी घुसपैठ और अवैध प्रवास केवल एक सांख्यिकीय या सामाजिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और आर्थिक सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा हैं। जब ऐसे नेटवर्क नशीली दवाओं, वाहन चोरी और तस्करी जैसी गतिविधियों में सक्रिय हो जाते हैं, तो इससे स्थानीय अपराध दर बढ़ती है और सामान्य नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है।
एक सोशल मीडिया यूजर ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “दो राज्यों में अवैध बांग्लादेशियों द्वारा संचालित दो बड़े रैकेट पकड़े गए। तेलंगाना में हैदराबाद में 12,000 करोड़ रुपये मूल्य की नशीली दवा फैक्ट्री और मेघालय में मोटरसाइकिल चोरी और तस्करी का रैकेट। हर रैकेट यह दिखाता है कि अवैध घुसपैठ कितनी गहराई तक पहुंच चुकी है।” यह बयान पूरी तरह सच है और यह चिंता की बात है कि यदि समय पर कड़े कदम न उठाए गए, तो देश की सुरक्षा पर खतरा और बढ़ सकता है।
सख्त कदम उठाने की आवश्यकता
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि अवैध प्रवासियों और अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क को नियंत्रित करने के लिए भारत को सख्त कदम उठाने होंगे। सीमा सुरक्षा को मजबूत करना, अवैध घुसपैठ पर नजर रखना, और पुलिस एवं खुफिया एजेंसियों की त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना अब समय की मांग है।
साथ ही, समानांतर जांच और समन्वय मॉडल जैसे महाराष्ट्र, तेलंगाना और मेघालय में अपनाए गए कदमों की नकल अन्य राज्यों में भी की जानी चाहिए। इस प्रकार के संगठनात्मक और प्रभावी जांच मॉडल से अंतरराष्ट्रीय अपराध को समय रहते रोका जा सकता है।
तेलंगाना और मेघालय में पकड़े गए अवैध बांग्लादेशी नेटवर्क यह स्पष्ट संकेत हैं कि अंतरराष्ट्रीय अपराध और घुसपैठ केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि अब वे बड़े पैमाने पर भारत के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं। हैदराबाद में 12,000 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग फैक्ट्री और मेघालय में मोटरसाइकिल चोरी और तस्करी का मामला इस बात का प्रमाण है कि सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और कड़ी कार्रवाई कितनी आवश्यक है।
यह घटना न केवल भारतीय कानून प्रवर्तन की सफलता है, बल्कि यह जनता और नीति निर्माताओं को यह याद दिलाती है कि देश की सुरक्षा के लिए समय पर, निर्णायक और सख्त कदम उठाना आवश्यक है। हर नागरिक को भी इस दिशा में जागरूक रहना चाहिए और स्थानीय स्तर पर होने वाली संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।