अनंत शस्त्र: अब आसमान पर भी हमारा अधिकार

‘अनंत शस्त्र’ सतह से हवा में मार करने वाली मोबाइल मिसाइल प्रणाली है। इसे पहले क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम कहा जाता था। “अनंत” यानि असीमित, और “शस्त्र” यानि हथियार। संदेश साफ है: भारत की रक्षा क्षमताओं की कोई सीमा नहीं।

अनंत शस्त्र: अब आसमान पर भी हमारा अधिकार

भारत का यह कदम केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक संदेश भी है।

सितंबर 2025 की एक सुबह जब भारतीय सेना ने ‘अनंत शस्त्र’ मिसाइल प्रणाली की आधिकारिक घोषणा की, तो यह खबर सिर्फ एक रक्षा परियोजना तक सीमित नहीं रही। यह उस नए भारत की घोषणा थी, जो दुश्मनों की हर चाल का तुरंत जवाब देने के लिए तैयार है। यह उस भारत का प्रतीक थी, जो दशकों की आयात-निर्भरता से निकलकर आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की राह पर मजबूती से खड़ा हो चुका है।

मई 2025 में जब पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ड्रोन और मिसाइल हमलों का सहारा लिया, तब भारतीय सेना की हवाई रक्षा ने दुश्मन की कई कोशिशें नाकाम कीं। लेकिन उस लड़ाई ने यह भी साफ किया कि भविष्य का युद्ध आसमान से तय होगा। ड्रोन अब किसी खिलौने की तरह आम हो चुके हैं और मिसाइल तकनीक में चीन जैसी शक्तियां हर दिन नए प्रयोग कर रही हैं।

युद्ध अब सिर्फ बंदूकों और टैंकों का खेल नहीं रहा। यह सेंसर, रडार, मिसाइल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युद्ध है। इस हकीकत ने भारत को यह अहसास दिलाया कि एक ऐसा डिफेंस सिस्टम चाहिए, जो त्वरित प्रतिक्रिया दे सके, मोबाइल हो और हर प्रकार के हवाई खतरे ड्रोन से लेकर फाइटर जेट तक का सफाया कर सके। यही पृष्ठभूमि है अनंत शस्त्र की।

क्या है अनंत शस्त्र

‘अनंत शस्त्र’ सतह से हवा में मार करने वाली एक मोबाइल मिसाइल प्रणाली है। इसे पहले क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम कहा जाता था। लेकिन नया नाम अपने आप में गहरी प्रतीकात्मकता रखता है। “अनंत” यानि असीमित, और “शस्त्र” यानि हथियार। यह संदेश साफ है: भारत की रक्षा क्षमताओं की कोई सीमा नहीं।

यह प्रणाली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित की है और इसका निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) करेगी। अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के तहत सेना ने पांच से छह रेजिमेंट खरीदने के लिए टेंडर जारी किए हैं।

इसकी क्षमता अद्वितीय है। चलते-फिरते यह टारगेट खोज सकती है, उनका ट्रैक रख सकती है और जरूरत पड़ने पर थोड़े समय के लिए रुककर भी फायर कर सकती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 30 किलोमीटर तक बतायी जा रही है।

पाकिस्तान और चीन पर असर

इस प्रणाली का सीधा संदेश पाकिस्तान और चीन दोनों को है। पाकिस्तान के लिए यह चेतावनी है कि उसकी ड्रोन रणनीति भारत को झुका नहीं सकती। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया कि भारत के पास जवाब है। अब ‘अनंत शस्त्र’ के साथ वह जवाब और भी तेज़ और निर्णायक होगा।

चीन के लिए यह संकेत है कि पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक भारत अब किसी भी हवाई घुसपैठ पर त्वरित प्रतिक्रिया देने की स्थिति में है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) लगातार अपने हवाई ठिकानों को अपग्रेड कर रही है। भारत का यह कदम उसकी रणनीतिक योजनाओं को चुनौती देगा।

आत्मनिर्भर भारत की झलक

राष्ट्रवादी दृष्टि से देखें तो यह सिर्फ रक्षा प्रणाली नहीं है। यह आत्मनिर्भर भारत की ठोस मिसाल है। दशकों तक भारत विदेशी हथियारों पर निर्भर रहा। रूस से S-400, इज़राइल से बराक, अमेरिका से विभिन्न तकनीकें—यह सिलसिला लंबा रहा है। लेकिन ‘अनंत शस्त्र’ दिखाता है कि अब भारत अपनी ज़रूरतों के मुताबिक अपना हथियार खुद बना रहा है।

यह केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता नहीं है, बल्कि आर्थिक मजबूती का भी संकेत है। 30,000 करोड़ रुपये की यह परियोजना भारत की अपनी कंपनियों और वैज्ञानिकों को जाएगा, न कि विदेशी निर्माताओं को। इससे रोजगार पैदा होगा और स्वदेशी रक्षा उद्योग और भी मजबूत होगा।

अंतरराष्ट्रीय तुलना

अनंत शस्त्र की तुलना दुनिया की कुछ प्रमुख एयर डिफेंस प्रणालियों से की जा सकती है।

इज़राइल का आयरन डोम: यह दुनिया का सबसे चर्चित एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसने गाज़ा से दागे गए हजारों रॉकेट रोककर अपनी क्षमता साबित की है। लेकिन इसकी लागत बहुत अधिक है और यह छोटे दायरे में काम करता है।

अमेरिका का पैट्रियट सिस्टम: यह मिसाइल रक्षा प्रणाली खाड़ी युद्ध से ही प्रसिद्ध है। यह लंबी दूरी के खतरों का जवाब देती है, लेकिन बेहद महंगी है और इसे संचालित करने के लिए भारी इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए।

रूस का S-400: भारत ने भी इसे खरीदा है। यह लंबी दूरी का सबसे शक्तिशाली सिस्टम माना जाता है, लेकिन यह पूरी तरह मोबाइल और त्वरित प्रतिक्रिया देने वाला नहीं है।

अनंत शस्त्र का महत्व इसी तुलना में और बढ़ता है। यह न तो आयरन डोम जितना महंगा है, न पैट्रियट जितना भारी-भरकम। यह भारतीय ज़रूरतों के लिए डिज़ाइन किया गया एक लचीला, मोबाइल और सटीक सिस्टम है।

कई परतों वाला कवच

भारतीय वायु रक्षा अब एक बहु-स्तरीय प्रणाली बनती जा रही है।

लंबी दूरी पर S-400 और MR-SAM काम करेंगे।

मध्यम दूरी पर आकाश मिसाइल प्रणाली तैनात है।

अब छोटी से मध्यम दूरी पर ‘अनंत शस्त्र’ का कवच होगा।

इस तरह दुश्मन का कोई भी हथियार भारत की सीमा पार करने से पहले ही कहीं न कहीं गिरा दिया जाएगा।

रणनीतिक संदेश

भारत का यह कदम केवल तकनीकी नहीं, बल्कि राजनीतिक और रणनीतिक संदेश भी है। यह बताता है कि भारत अब रक्षात्मक मुद्रा से बाहर निकल चुका है। अब वह न केवल सीमाओं की रक्षा करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि कोई भी दुश्मन उसकी ओर आंख उठाने से पहले कई बार सोचे।

चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के लिए यह दोहरा दबाव है। वे जानते हैं कि ज़मीनी लड़ाई में भारत को रोकना आसान नहीं। अब आसमान भी उनके लिए बंद हो रहा है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में युद्ध का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा। ड्रोन और हाइपरसोनिक मिसाइलें युद्ध का मुख्य चेहरा होंगी। ऐसे में अनंत शस्त्र जैसे सिस्टम भारत के लिए गारंटी हैं कि वह किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं रहेगा। इस प्रणाली के साथ भारत ने यह साबित कर दिया है कि आत्मनिर्भरता अब सिर्फ नारा नहीं रही। यह वास्तविकता है। और यह वास्तविकता दुश्मनों के लिए चिंता का विषय है।

‘अनंत शस्त्र’ का मतलब सिर्फ एक मिसाइल प्रणाली नहीं है। यह भारत का वह संकल्प है, जो कहता है—“हम अब किसी भी खतरे से डरकर नहीं बैठेंगे। हम अपनी सीमाओं की रक्षा भी करेंगे और दुश्मन को पलभर में ध्वस्त भी करेंगे।” राष्ट्रवाद की दृष्टि से देखें तो यह भारत का शक्ति-संदेश है: अब आसमान भी हमारा है।

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