नेपाल की सड़कों से उठी पीएम मोदी की गूंज: विपक्ष के सपने फिर अधूरे

भारत की राजनीति में विपक्ष का सबसे बड़ा सपना नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना है। लेकिन पिछले एक दशक ने बार-बार साबित किया है कि यह सपना हर बार ध्वस्त होता है।

नेपाल की सड़कों से उठी पीएम मोदी की गूंज: विपक्ष के सपने फिर अधूरे

मोदी का नेतृत्व भारत की सीमाओं को पार कर चुका है।

भारत की राजनीति में विपक्ष का सबसे बड़ा सपना नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना है। लेकिन पिछले एक दशक ने बार-बार साबित किया है कि यह सपना हर बार ध्वस्त होता है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने “मोदी हटाओ” से लेकर “वोट चोरी” जैसे नारों तक हर हथकंडा अपनाया, लेकिन जनता का भरोसा नहीं टूटा। उनकी हर चाल उलटी पड़ी और मोदी पहले से अधिक मज़बूत होकर उभरे। अब यह विडंबना और गहरी हो गई है कि जब भारत में विपक्ष मोदी की चुनौती नहीं बन पा रहा, तब पड़ोसी नेपाल की जनता अपने नेताओं से कह रही है-“हमें मोदी जैसा नेता चाहिए।”

यह सिर्फ़ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश है-भारत का प्रधानमंत्री आज न केवल अपने देशवासियों का नेता है, बल्कि पड़ोसी मुल्कों के नागरिकों की उम्मीदों का भी प्रतीक बन चुका है।

नेपाल का राजनीतिक संकट: भ्रष्टाचार और अस्थिरता का विस्फोट

नेपाल पिछले कुछ महीनों से गहरे संकट से गुजर रहा है। राजनीतिक अस्थिरता वहां की सबसे बड़ी बीमारी बन चुकी है। सत्ता परिवर्तन, दल-बदल और आपसी कलह ने लोकतंत्र को खोखला कर दिया है। भ्रष्टाचार के मामलों ने जनता का भरोसा डिगा दिया है।

इस असंतोष का नतीजा हाल ही में देखने को मिला। हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे। उन्होंने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय और वरिष्ठ नेताओं के आवासों पर हमला किया। संसद भवन तक में आग लगा दी गई। हालात इतने बिगड़े कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा।

युवाओं का गुस्सा केवल राजनीतिक भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं रहा। सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंधों ने इसे और भड़का दिया। हालांकि बाद में ये पाबंदियां हटा ली गईं, लेकिन इससे सरकार और जनता के बीच की खाई और चौड़ी हो गई। यहीं पर एक वायरल वीडियो ने सबका ध्यान खींचा—एक नेपाली युवक साफ़-साफ़ कहता है, “हमें मोदी जैसा नेता चाहिए। अगर हमारे पास मोदी जैसा नेता होता, तो नेपाल दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाता।” यह बयान अकेले किसी युवा का नहीं, बल्कि उस निराशा का प्रतीक है जो नेपाल की पीढ़ी अपने नेताओं से महसूस कर रही है।

नेपाल के युवा और मोदी की मिसाल

नेपाल की जन ज़ी पीढ़ी भ्रष्टाचार और अस्थिरता से तंग आ चुकी है। वे सोशल मीडिया पर मुखर हैं, सड़कों पर सक्रिय हैं और एक स्थिर भविष्य की मांग कर रहे हैं। उनके लिए मोदी का नेतृत्व आकर्षण का कारण है, क्योंकि भारत में उन्होंने देखा है कि एक मजबूत और निर्णायक प्रधानमंत्री कैसे देश की दिशा बदल सकता है।

मोदी की छवि एक ऐसे नेता की है जो—विज़नरी है, जो निर्णायक फैसले लेता है और डिलीवरी करता है। राष्ट्रीय गर्व और आत्मविश्वास का प्रतीक है। नेपाल के युवाओं की तुलना जब वे अपने नेताओं से करते हैं, तो उन्हें निराशा के अलावा कुछ नहीं दिखता। इसीलिए उनके मुंह से निकलता है—“हमें मोदी चाहिए।”

भारत-नेपाल रिश्ते: संस्कृति से राजनीति तक

भारत और नेपाल का रिश्ता कोई साधारण पड़ोसी रिश्ता नहीं है। दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और पारिवारिक संबंध गहरे हैं। काठमांडू से लेकर वाराणसी तक, और जनकपुर से लेकर अयोध्या तक, दोनों देशों की धड़कनें एक-दूसरे से जुड़ी हैं। लेकिन राजनीतिक स्तर पर यह रिश्ता हमेशा उतना आसान नहीं रहा। कभी चीन का दखल, कभी घरेलू राजनीतिक संकट, तो कभी सीमा विवाद-इन सबने भारत-नेपाल संबंधों को झकझोरा है।

फिर भी, हर संकट के बीच भारत ने नेपाल को सहयोग दिया। चाहे आपदा राहत हो, बुनियादी ढांचा हो या वैक्सीन कूटनीति—मोदी सरकार ने हमेशा यह संदेश दिया कि नेपाल भारत के दिल में बसा है। यही कारण है कि आज जब नेपाल की जनता अपने नेताओं से नाराज़ है, तो उनके मन में भारत और खासकर मोदी का नाम उम्मीद के प्रतीक के रूप में उभरता है।

मोदी का वैश्विक प्रभाव बनाम विपक्ष की नाकामी

मोदी का नेतृत्व अब केवल भारत तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में भी नागरिकों ने कई बार कहा है कि उन्हें मोदी जैसा नेता चाहिए। पाकिस्तान की सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें लोग कहते हैं कि अगर मोदी हमारे देश में होते तो हालात अलग होते। श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भी यही आवाज़ें उठीं।

यह सब विपक्ष के लिए “बर्नोल मोमेंट” है। कांग्रेस और उसके सहयोगी राहुल गांधी को जन ज़ी नेता के रूप में पेश करने में करोड़ों खर्च करते हैं—कभी जिम की रील्स, कभी बाइक चलाते हुए वीडियो, कभी एब्स दिखाते हुए फोटो। लेकिन असलियत यही है कि भारत ही नहीं, नेपाल का जन ज़ी भी कह रहा है कि उन्हें चाहिए मोदी जैसा नेता—जो सिर्फ़ दिखावे से नहीं, बल्कि काम से भरोसा दिलाए। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सही कहा—“कांग्रेस चाहे जितना पैसा खर्च कर ले, लेकिन युवाओं की चाहत सिर्फ़ मोदी जैसे नेतृत्व की है।”

विपक्ष की राजनीति: सपनों की दुकान, हकीकत में दिवालियापन

भारत में विपक्ष बार-बार “रेजीम चेंज” की कोशिश करता है। कभी सीएए को लेकर भ्रम फैलाना, कभी “वोट चोरी” अभियान, कभी पेगासस जैसी कहानियां। लेकिन हर बार जनता ने इन्हें नकार दिया। सच यही है कि विपक्ष जनता के बीच भरोसेमंद विकल्प बनाने में नाकाम रहा है। उनके पास न विज़न है, न ठोस कार्यक्रम, न नेतृत्व। उनकी राजनीति केवल मोदी-विरोध पर टिकी है। और यही वजह है कि जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती।

मोदी की विरासत: सीमाओं से परे नेतृत्व

मोदी का नेतृत्व भारत की सीमाओं को पार कर चुका है। वे आज पड़ोसी देशों की जनता के लिए भी आशा और स्थिरता के प्रतीक हैं। यह भारत के लिए गर्व का क्षण है। नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका—तीनों देशों की जनता कह रही है कि उन्हें मोदी जैसा नेता चाहिए। यह केवल मोदी की लोकप्रियता नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति का प्रमाण है। भारत आज जी-20 का नेतृत्व कर चुका है, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी आवाज़ बुलंद कर चुका है और पड़ोसी देशों के लिए एक मॉडल बन चुका है। और यह सब संभव हुआ है मोदी के नेतृत्व में।

विपक्ष का सपना, मोदी की हकीकत

कांग्रेस और उसके साथी जितनी मेहनत अफवाह फैलाने और झूठे अभियानों में करते हैं, उतनी मेहनत अगर जनता से जुड़ने में करते तो शायद आज तस्वीर कुछ और होती। लेकिन हकीकत यही है कि मोदी का नेतृत्व हर चुनौती से और मज़बूत होकर उभरता है।

नेपाल की सड़कों पर उठी आवाज़-“हमें मोदी जैसा नेता चाहिए”-दरअसल विपक्ष के लिए सबसे करारा तमाचा है। यह बताती है कि भारत का प्रधानमंत्री केवल भारत का नहीं, बल्कि पड़ोस की पीढ़ियों का भी आदर्श बन चुका है। विपक्ष का सपना, चाहे जितनी बार देखा जाए, टूटने के लिए ही बना है। पीएम मोदी की हकीकत, चाहे जितनी बार चुनौती दी जाए, हर बार और मज़बूत होकर सामने आती है।

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