पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

इसका मकसद केवल ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना नहीं, बल्कि पुलिस में महिला और पुरुष का संतुलन भी बनाना है। 

पहली बार उत्तर प्रदेश के 7 शहरों में महिलाएं संभालेंगी ट्रैफिक व्यवस्था

आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी क्षमता दिखा रही है, चाहें वो घर का काम हो या फिर बाहर की जिम्मेदारी निभाना। महिलाएं परिवार भी संभालती हैं और समाज में भी बराबरी से आगे बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश में भी यह बदलाव देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस में पहली बार महिला पुलिसकर्मी शहरों की ट्रैफिक व्यवस्था संभालेंगी। अक्टूबर से करीब 600 महिलाकर्मी सात बड़े शहरों जेसे लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा और गौतम बुद्ध नगर में ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात होंगी।

इनका चयन सिविल पुलिस बल से किया गया है और विशेष प्रशिक्षण के बाद इन्हें हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसका मकसद केवल ट्रैफिक व्यवस्था सुधारना नहीं, बल्कि पुलिस में महिला और पुरुष का संतुलन भी बनाना है।

कैसे होगी तैनाती और चयन प्रक्रिया

एडीजी ट्रैफिक के. सत्य नारायण ने बताया कि ये महिला पुलिसकर्मी सातों कमिश्नरेट में हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल के रूप में तैनात होंगी। यह तैनाती अक्टूबर से शुरू होगी। उन्होंने कहा, “ट्रैफिक व्यवस्था मजबूत बनाने के साथ-साथ, यह पहली बार होगा जब शहर की सड़कों पर संतुलित बल नजर आएगा।” यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उठाया गया है।

पहले चरण में, हर कमिश्नरेट में 13 महिला हेड कांस्टेबल और 30 महिला कांस्टेबल तैनात की जाएंगी। इसके लिए संबंधित जिलों के सिविल पुलिस पूल से उम्मीदवार चुने जाएंगे। नारायण ने बताया कि नियम साफ हैं- सर्विस रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए, ट्रैफिक में काम करने की इच्छा होनी चाहिए और कोई गलत व्यवहार नहीं होना चाहिए। इसके अलावा इंटरव्यू भी होगा।

अब महिलाएं किसी भी काम में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। पुलिसिंग के काम में भी पुरुष और महिलाएं मिलकर हर चुनौती को आसानी से पूरा कर सकते हैं।

प्रशिक्षण और तैयारियां

सत्य नारायण ने बताया कि सितंबर के पहले हफ्ते में महिलाओं के लिए एक महीने की ट्रेनिंग शुरू होगी। इसमें उन्हें ट्रैफिक नियमों का पालन करना, सड़कों पर यातायात नियंत्रित करना और यात्रियों से बातचीत करना सिखाया जाएगा। ट्रेनिंग के बाद ही उन्हें तैनात किया जाएगा।

राज्य सरकार ने ट्रैफिक बेहतर बनाने के लिए सिविल पुलिस के 5,000 पुरुषकर्मियों को भी ट्रैफिक ड्यूटी में शामिल करने की अनुमति दी है। सात कमिश्नरेट में 225 पुरुषकर्मियों को तैनात किया जाएगा। वहीं, जोनल स्तर पर आगरा में 450, बरेली में 425, गोरखपुर में 500, कानपुर में 300, लखनऊ में 650, प्रयागराज में 250, मेरठ में 475 और वाराणसी में 375 पुरुषकर्मियों को तैनात किया जाएगा। सभी चुने गए कर्मचारी, चाहे पुरुष हों या महिला, जोनल और कमिश्नरेट केंद्रों पर ट्रेनिंग लेंगे। राज्य प्रशिक्षण संस्थान अभी नए भर्ती हुए कांस्टेबलों के साथ व्यस्त है।

 नई और सबको साथ लेकर चलने वाली पुलिसिंग

अधिकारियों ने कहा कि यह पहल सिर्फ संख्या बढ़ाने के लिए नहीं है, बल्कि ट्रैफिक पुलिसिंग को बदलने और आधुनिक बनाने की दिशा में है। एक अधिकारी ने बताया, “पहली बार लोग देखेंगे कि महिला पुलिसकर्मी चौराहों पर ट्रैफिक संभाल रही हैं, यात्रियों से बात कर रही हैं और नियम लागू कर रही हैं। यह आधुनिक और सबको साथ लेकर चलने वाली पुलिसिंग की ओर एक अहम कदम है।”

आज महिलाएं किसी भी काम में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। चाहे ट्रैफिक संभालना हो या दूसरी जिम्मेदारी, महिला और पुरुष मिलकर हर काम बराबरी से कर सकते हैं।

इस पहल से न सिर्फ ट्रैफिक नियमों का पालन बेहतर होगा, बल्कि नागरिकों और पुलिस के बीच बातचीत भी बढ़ेगी। महिला और पुरुष पुलिसकर्मी मिलकर शहरों की ट्रैफिक व्यवस्था को नया रूप देंगे। यह कदम महिलाओं की ताकत और पुलिसिंग में समानता का प्रतीक है, जो दिखाता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ बराबरी से काम कर सकती हैं।

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