मिग-21 से तेजस Mk1A तक: भारतीय वायु सेना का स्वदेशी उत्कर्ष

यह विमान भारत में उस युग में आया, जब भारत को आधुनिक वायु शक्ति की जरूरत थी और जिसने उपमहाद्वीप के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई। 26 सितंबर 2025 को, मिग-21 ने चंडीगढ़ में औपचारिक फ्लाईपास्ट के साथ वायुसेना से विदाई ली।

मिग-21 से तेजस Mk1A तक: भारतीय वायु सेना का स्वदेशी उत्कर्ष

तेजस Mk1A में AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट और 64% स्वदेशी सामग्री है।

छह दशकों से अधिक समय तक, मिग-21 भारतीय वायु सेना की रीढ़ और शक्ति रही। यह विमान भारत में उस युग में आया, जब भारत को आधुनिक वायु शक्ति की जरूरत थी और जिसने उपमहाद्वीप के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई। 26 सितंबर 2025 को, मिग-21 ने चंडीगढ़ में औपचारिक फ्लाईपास्ट के साथ वायुसेना से विदाई ली। इसके ठीक एक दिन पहले, रक्षा मंत्रालय ने 97 स्वदेशी LCA तेजस Mk1A जेट विमानों की खरीद के लिए HAL के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। यह परिवर्तन सोवियत युग के प्रतीक से भारतीय-निर्मित भविष्य की ओर लगातार आगे बढ़ने के सशक्त संकल्प का प्रतीक है। यही है असली आत्मनिर्भर भारत का अनुपम उदाहरण।

सुपरसोनिक युग का आगमन

सबसे पहले साल 1963 में मिग-21 ने भारतीय वायु सेना में प्रवेश किया और दक्षिण एशिया में सुपरसोनिक युग की शुरुआत की। चंडीगढ़ स्थित 28 स्क्वाड्रन को “प्रथम सुपरसोनिक्स” के रूप में चिन्हित किया गया। तीन वर्षों में HAL ने लाइसेंस प्राप्त उत्पादन शुरू किया, जिससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हुआ जो उन्नत लड़ाकू विमानों का स्थानीय उत्पादन कर सकते हैं।

मिग-21 के आगमन ने न केवल बेड़ा बल्कि एक उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया। दशकों में HAL ने सैकड़ों मिग-21 का निर्माण किया, जो भारतीय रक्षा औद्योगिक आधार की आधारशिला बन गया। हालांकि, इसके शुरुआती संस्करण सीमित क्षमता वाले थे, लेकिन लगातार उन्नयन और स्वदेशी सुधारों ने इसे बहु-भूमिका प्लेटफ़ॉर्म में बदल दिया।

विदाई समारोह में सूर्य किरण एरोबेटिक टीम ने अपनी प्रस्तुति शुरू की। अलविदा उड़ान को देखकर इन्हें उड़ाने वाले पूर्व वायु सैनिक भावुक हो गए।

लगातार किया गया विकास

मिग-21 के विकास में लगातार अनुकूलन शामिल था। टाइप-74 संस्करण में केवल हीट सीकिंग मिसाइलें थीं। बाद में टाइप-77, टाइप-96 और बाइसन संस्करणों में रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, नेविगेशन उपकरण और आर-77 जैसी आधुनिक मिसाइलों को शामिल किया गया।

1980 के दशक में मिग-21 बिस ने भारतीय वायु सेना में अपने चरम पर पहुंचकर सटीक और सर्वाइवर एयर डिफेंस का परिचय दिया। बाइसन उन्नयन ने इसे 21वीं सदी में भी विश्वसनीय बनाया, जबकि इसकी लागत अपेक्षाकृत कम रही।

युद्धों में मिग-21 का योगदान

मिग-21 ने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई। ढाका के तेज़गांव हवाई अड्डे पर हमले और गवर्नर हाउस पर रॉकेट हमलों ने पूर्वी पाकिस्तान में राजनीतिक कमर तोड़ दी। 1999 के कारगिल युद्ध में उच्च-ऊंचाई वाले हमलों और 460 हवाई गश्त के माध्यम से भारत ने नियंत्रण बनाए रखा। 2019 में बालाकोट हवाई झड़प में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की वीरता ने बाइसन की आधुनिक मारक क्षमता को प्रमाणित किया।

पुराने बेड़े के कारण दुर्घटनाएं

मिग-21 में कठिन उड़ान विशेषताओं और पुराने बेड़े के कारण कई दुर्घटनाएं हुईं, लेकिन यह विमान भारतीय पायलटों के प्रशिक्षण का प्रमुख मंच रहा। इसके माध्यम से अनुशासन, सटीकता और युद्ध तैयारी का संस्कार पीढ़ियों तक गया।

तेजस Mk1A: स्वदेशी फीनिक्स का उदय

मिग-21 की विदाई के साथ, भारत ने 97 LCA तेजस Mk1A जेट विमानों की खरीद का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इनमें 68 सिंगल-सीट और 29 ट्विन-सीट विमान शामिल हैं। तेजस Mk1A में AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट और 64% स्वदेशी सामग्री है।

थल सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि मिग-21 की विदाई को लेकर भावुक महसूस कर रहा हूं। यह बहुत ताकतवर था। पूर्व वायुसेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा कि इसने वायु सेना को बहुत मजबूत बनाए रखा। इसकी कमी खलेगी, लेकिन समय के साथ-साथ नए जंगी जहाज भी हमारी ताकत बढ़ाएंगे। मिग की ताकत का लोहा दुश्मन भी मानता था और आज तक घबराता था।

यह परियोजना भारत के एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को ऊर्जा देगी, 105 कंपनियों को शामिल करेगी और छह वर्षों में 11,750 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करेगी। GE-F404 इंजन के साथ, यह विमान आत्मनिर्भरता और आधुनिक तकनीक का प्रतीक है। तेजस Mk1A वही भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जो मिग-21 ने पिछली पीढ़ियों में निभाई: किफायती, विश्वसनीय और स्वदेशी समर्थित वायु शक्ति प्रदान करना।

चंडीगढ़ में विदाई समारोह

चंडीगढ़ में मिग-21 का विदाई समारोह भावनात्मक और प्रतीकात्मक था। यहां पर एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने फ्लाईपास्ट का नेतृत्व किया। मिग-21 अब संग्रहालयों, प्रशिक्षण संस्थानों और हवाई अड्डों में भारत की सुपरसोनिक छलांग का स्थायी प्रतीक बनेगा।

मिग-21 का सेवानिवृत्त होना केवल एक विमान का जाना नहीं, बल्कि युद्ध, त्याग और प्रशिक्षण की पीढ़ियों के लिए एक युग का अंत है। तेजस Mk1A के साथ, भारत की वायु शक्ति अब स्वदेशी और आधुनिक प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित है। जैसे ही मिग-21 इतिहास में अपना स्थान बनाता है, तेजस Mk1A आसमान में उड़ान भरता है, यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य की लड़ाइयों में भारत के वायु योद्धाओं को सक्षम और स्वदेशी तकनीक हमेशा उपलब्ध होगी। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपनों को भी पूरा करेगी।

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