भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का संदेश साफ – भविष्य के युद्ध संयुक्त बल से ही जीते जाएंगे, थिएटर कमांड्स भारत की सैन्य ताकत को देगी नई धार।

भारत की सेना होगी और भी धारदार, थिएटर कमांड से घटेगा युद्ध का रिस्पॉन्स टाइम

थिएटराइजेशन का विचार 1999 की कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों से उपजा था।

भारत के सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने हाल ही में कहा कि “भविष्य के युद्ध केवल सेना नहीं, बल्कि पूरी राष्ट्र-शक्ति के सम्मिलित प्रयास से जीते जाएंगे।” उनका यह बयान थिएटराइजेशन—अर्थात् एकीकृत थिएटर कमांड को लेकर चल रही बहस को और प्रासंगिक बना देता है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत की सुरक्षा संरचना में बड़ा बदलाव आने वाला है और इसे टालना अब संभव नहीं।

क्यों जरूरी है थिएटराइजेशन

आज भारत को दो प्रमुख मोर्चों से चुनौती है—पश्चिम में पाकिस्तान और उत्तर में चीन। इसके अलावा हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी भी नई चुनौती है। मौजूदा ढांचे में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अपने-अपने कमांड हैं, जिनका समन्वय युद्ध के समय कठिन और समय लेने वाला होता है। थिएटराइजेशन ही इस समस्या का समाधान है।

इस बदलाव के तहत भौगोलिक क्षेत्रवार एकीकृत कमांड बनाए जाएंगे, जिनके पास थल, जल, नभ और साइबर—सभी क्षमताएँ होंगी। इसका मतलब है कि किसी भी संकट में एक ही कमांडर के पास सभी संसाधनों की कमान होगी, जिससे निर्णय तेज होंगे और प्रतिक्रिया समय घटेगा।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

थिएटराइजेशन का विचार 1999 की कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों से उपजा था। इसके बाद 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद सृजित करके इस दिशा में निर्णायक कदम उठाया। दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने थिएटर कमांड्स के लिए रूपरेखा तैयार की, जिसे मौजूदा CDS जनरल अनिल चौहान आगे बढ़ा रहे हैं।

आज भारत के पास दो ट्राई-सर्विस संरचनाएं—अंडमान-निकोबार कमांड और स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड—पहले से मौजूद हैं। थिएटराइजेशन इन्हें एक बड़े, समन्वित ढांचे में बदल देगा।

वैश्विक अनुभव और भारत का मॉडल

अमेरिका के पास अपने कॉम्बैटेंट कमांड्स हैं, जो पूरी दुनिया में तैनात हैं। चीन ने 2016 में पांच थिएटर कमांड बनाकर अपनी सैन्य शक्ति को अधिक चुस्त बनाया। भारत भी ऐसा ही मॉडल अपना रहा है, लेकिन अपनी भौगोलिक और रणनीतिक जरूरतों के हिसाब से।

संभावित रूप से भारत में एक उत्तरी थिएटर कमांड (चीन सीमा के लिए), एक पश्चिमी थिएटर कमांड (पाकिस्तान के लिए), एक मैरीटाइम थिएटर कमांड (हिंद महासागर क्षेत्र के लिए) और एक एयर डिफेंस कमांड बनाई जा सकती है।

चुनौतियां और समाधान

वायुसेना ने कई बार चिंता जताई है कि उसके सीमित संसाधनों का बंटवारा सावधानी से होना चाहिए। इसी तरह, सेवाओं के बीच जिम्मेदारियों का स्पष्ट बंटवारा भी जरूरी है। सरकार और CDS इस पर सहमति बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं ताकि संक्रमण सहज हो।

थिएटराइजेशन सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि भारत की सैन्य क्षमता को 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से ढालने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। यह “अगर” का नहीं, बल्कि “कब” का सवाल है।

जब अगला संकट आएगा, भारत को यह यकीन होना चाहिए कि उसकी तीनों सेनाएं एक साथ, एक कमांडर के अधीन, और एक रणनीति के तहत कार्रवाई करेंगी। जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का संदेश साफ है-यूनिटी ऑफ कमांड ही जीत की कुंजी है।

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