जैस्मिन भसीन और अली गोनी टीवी की सबसे पसंदीदा जोड़ियों में से एक हैं। दोनों की मुलाकात और प्यार की शुरुआत बिग बॉस 14 शो के दौरान हुई थी। भले ही दोनों अलग-अलग धर्म से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उनका रिश्ता फैन्स के बीच काफी पसंद किया जाता है।
जैस्मिन भसीन और अली गोनी हाल ही में मुंबई में गणपति उत्सव में शामिल हुए। दोनों ने दोस्तों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं, वीडियो बनाए और खूब मज़ा किया। जिसकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी देखने को मिली, जिनमें दोनों को काफी खुश देखा गया। लेकिन एक छोटी-सी वीडियों क्लिप ने पूरे जश्न पर विवाद खड़ा कर दिया।
वीडियो से मचा हंगामा
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि जब सभी लोग जोर-जोर से “गणपति बप्पा मोरया” का जयकारा लगा रहे थे, तब अली चुप खड़े रहे। जैस्मिन ने उन्हें साथ देने के लिए कहा भी, लेकिन अली ने कुछ नहीं कहा। अली की यही चुप्पी बहस की वजह बन गई।
इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुसार इस वीडियो पर बात करना शुरू किया, कुछ लोगों ने उनके खिलाफ कहा के अगर जयकारा नही लगाना चाहते तो गणेश उत्सव में गए ही क्यों? तो कुछ लोगों ने अली का समर्थन करते हुए उनके बचाव में बाते कही कि अली मुस्लिम हैं, और अगर उन्होंने जयकारा नहीं लगाया तो इसमें गलत क्या है? त्योहारों का असली मतलब साथ मिलकर खुशी बाँटना और एक-दूसरे की संस्कृति का सम्मान करना है, न कि ज़बरदस्ती मंत्र बोलना। कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि जैसे ईद पर हिंदू दोस्तों से नमाज़ पढ़ने की ज़िद नहीं की जाती, वैसे ही अली पर भी दबाव नहीं होना चाहिए।
गणपति उत्सव- आस्था का त्योहार
गणपति उत्सव केवल जश्न या सोशल गैदरिंग नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की गहरी आस्था और श्रद्धा का पर्व है। ऐसे में जब कोई गैर-हिंदू इसमें शामिल होता है, तो कम से कम “गणपति बप्पा मोरया” का जयकारा लगाना एक तरह से आस्था का सम्मान माना जाता है।
कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि अगर कोई हिंदू मुस्लिम त्योहार में जाकर इस्लामी नारे न लगाए, तो क्या मुस्लिम समाज इसे बर्दाश्त करेगा। नही! इसलिए हिंदू भी यही उम्मीद रखते हैं कि उनके त्योहार का सम्मान किया जाए।
दिखावा या सच्चा में हिंदू धर्म का सम्मान
कुछ लोगों का कहना था कि सिर्फ फोटो खिंचवाने या सोशल मीडिया पर दिखावा करने के लिए पूजा में जाना सही नहीं है। असली सम्मान तब होता है जब इंसान दिल से श्रद्धा दिखाए। अली जैसे पब्लिक फिगर की हर हरकत करोड़ों लोग देखते हैं, इसलिए जयकारे के वक्त उनकी चुप्पी लोगों को ये संदेश देती है कि हिंदुओं की भावनाओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
त्योहार का मकसद सिर्फ मस्ती नहीं, बल्कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना भी है।
सेलिब्रिटी की जिम्मेदारी
जब कोई आम इंसान चुप रहता है तो शायद बात न बढ़े, लेकिन जब कोई सेलिब्रिटी ऐसा करता है तो उसकी हरकत चर्चा का विषय बन जाती है। क्योकि अब ज्यादा तर लोग सेलिब्रिटी से प्ररणा लेते है, उनके जैसा बनना चाहते है। और अगर यही सेलिब्रिटी धर्म का अपमान करेंगे तो यह समाज में एक गलत संदेश देता है। यही वजह है कि अली गोनी की चुप्पी ने इतनी बड़ी बहस छेड़ दी।
कुछ लोगों ने इस घटना को लव जिहाद से भी जोड़ा। उनका कहना था कि ऐसे रिश्तों में गैर-मुस्लिम पार्टनर धीरे-धीरे अपने धर्म और परंपराओं से दूर हो जाता है। अली का जयकारा न लगाना इस बात की निशानी माना गया कि वे उत्सव में तो आए, लेकिन दिल से आस्था को नहीं अपनाते। एक वीडियों में देखा गया कि जैस्मिन भसीन मस्जिद में बुर्का पहने हुए है, लेकिन अब अली गोनी जैसमीन के के किए बप्पा का नारा तक नही लगा रहे। कई लोगों ने इसे हिंदू लड़कियों के लिए चेतावनी बताया कि उन्हें ऐसे रिश्तों के छिपे खतरे समझने चाहिए।