पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

यह सिर्फ एक घटना नहीं थी, बल्कि यह संदेश था कि बंगाल में विपक्ष की आवाज़ को सुनने की जगह अब धक्का-मुक्की और निलंबन से जवाब दिया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: ममता बनर्जी का भाजपा पर हमला, लोकतंत्र पर गहरा सवाल

बंगाल में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा पूरे देश के लिए जरूरी है।

पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। गुरुवार को विधानसभा में ऐसा हंगामा हुआ जिसने राज्य के लोकतंत्र पर गहरे सवाल खड़े कर दिए। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायकों के बीच न केवल तीखी बहस हुई, बल्कि मामला हाथापाई तक जा पहुंचा। भाजपा के मुख्य सचेतक डॉ. शंकर घोष घायल हो गए। यह दृश्य सिर्फ एक विधायी टकराव नहीं था, बल्कि उस गहरे वैचारिक संघर्ष का प्रतीक है, जो आज बंगाल की राजनीति में चल रहा है — एक तरफ भाजपा जो राष्ट्रवाद, कानून-व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों की बात कर रही है और दूसरी तरफ ममता बनर्जी की टीएमसी जो सत्ता के बल पर विपक्ष की आवाज़ को दबाने में लगी है।

कैसे बढ़ा विवाद?

सदन में टीएमसी सरकार भाजपा-शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी कामगारों पर कथित हमलों की निंदा का प्रस्ताव ला रही थी। भाजपा विधायकों ने इस प्रस्ताव को राजनीतिक नौटंकी बताया और विरोध दर्ज कराने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी। स्थिति तब और बिगड़ी जब विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने भाजपा के चीफ व्हिप शंकर घोष को दिन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया और उन्हें बाहर निकालने के लिए मार्शल बुलाए। भाजपा विधायक आसन के सामने आ गए, जिससे माहौल और गर्मा गया।

यह सिर्फ एक घटना नहीं थी, बल्कि यह संदेश था कि बंगाल में विपक्ष की आवाज़ को सुनने की जगह अब धक्का-मुक्की और निलंबन से जवाब दिया जा रहा है।

ममता बनर्जी का हमला और भाजपा विरोधी तेवर

हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर व्यक्तिगत कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा बंगाल विरोधी है और बंगालियों के उत्पीड़न पर चर्चा रोकने का प्रयास कर रही है।
“भाजपा भ्रष्टों की पार्टी है, वोट चोरों की पार्टी है। सबसे बड़ी डकैत पार्टी है।” ममता यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने यह तक कह दिया कि एक दिन ऐसा आएगा जब सदन में भाजपा का एक भी विधायक नहीं रहेगा और मोदी सरकार गिर जाएगी।

भाजपा का पलटवार

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी बंगाल को अपनी जागीर समझती हैं। विपक्ष को दबाने के लिए मार्शल बुलाना और शारीरिक हिंसा होना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी राज्य को एकदलीय तानाशाही की ओर ले जा रही हैं।

लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी

बंगाल विधानसभा की यह घटना केवल राज्य की राजनीति तक सीमित नहीं है। यह देश की लोकतांत्रिक आत्मा के लिए भी खतरे की घंटी है। भारतीय लोकतंत्र की ताकत विपक्ष की आवाज़ में है। जब किसी राज्य में विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग होता है, तो यह पूरे राष्ट्र के लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट है।

भाजपा का विरोध केवल टीएमसी के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह उस विचारधारा के खिलाफ है जो बंगाल को देश की मुख्यधारा से अलग-थलग करना चाहती है। ममता बनर्जी जिस तरह लगातार केंद्र सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों पर हमला बोलती हैं, वह राष्ट्रवाद को चुनौती देने जैसा है। यह घटना आने वाले समय में भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकती है।

2026 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा इस मुद्दे को “लोकतंत्र बचाओ” और “बंगाल बचाओ” के नारे में बदल सकती है। इससे न केवल राज्य के शहरी वोटरों में, बल्कि ग्रामीण और युवा मतदाताओं में भी भाजपा की पकड़ मज़बूत होगी।

विधानसभा में जो हुआ वह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। ममता बनर्जी का गुस्सा भाजपा पर नहीं, बल्कि उस जनादेश पर है जो धीरे-धीरे भाजपा के पक्ष में झुक रहा है। यह घटना भाजपा के लिए अवसर है कि वह इसे राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के बचाव का मुद्दा बनाकर बंगाल में अपनी जड़ें और मजबूत करे।
बंगाल की अस्मिता सिर्फ किसी एक पार्टी की बपौती नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। इसलिए बंगाल में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा पूरे देश के लिए जरूरी है।

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