अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

अयोध्या एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भूटानी प्रधानमंत्री का स्वागत जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने रेड कार्पेट बिछाकर किया। वहां से उनका काफिला सीधे राम जन्मभूमि परिसर पहुंचा।

अयोध्या में भूटान के प्रधानमंत्री का विशेष दौरा: रामलला के किए दर्शन, भारत-भूटान मित्रता को नई ऊंचाई

विदेशी प्रधानमंत्री का अयोध्या दौरा भारत के लिए गर्व का क्षण है।

अयोध्या ने आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना जब भूटान के प्रधानमंत्री दासो शेरिंग तोबगे ने भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीरामलला के दर्शन किए। यह दौरा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि भारत-भूटान के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ने का प्रतीक बन गया।

रामलला के दरबार में भूटानी प्रधानमंत्री

अयोध्या एयरपोर्ट पर उतरने के बाद भूटानी प्रधानमंत्री का स्वागत जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने रेड कार्पेट बिछाकर किया। वहां से उनका काफिला सीधे राम जन्मभूमि परिसर पहुंचा। लगभग 1 घंटे 40 मिनट तक उन्होंने राम मंदिर परिसर में समय बिताया, रामलला के दर्शन किए और वहां के अन्य मंदिरों में भी विधिवत पूजा-अर्चना की।

विशेष सुरक्षा व्यवस्था और गरिमामय माहौल

पूरे दौरे के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए।

पीएसी, सीआरपीएफ, एसएसएफ, एटीएस और सिविल पुलिस की संयुक्त टीमें अलर्ट पर रहीं।

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय स्वयं दौरे की निगरानी कर रहे थे।

मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया और सभी व्यवस्थाएं अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुरूप की गईं।

संस्कृति और कूटनीति का संगम

रामलला के दर्शन के बाद भूटानी प्रधानमंत्री का काफिला होटल रामायण पहुंचा जहां उनके लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में भूटान की पारंपरिक कला और संगीत भी शामिल रहे। भोज का मेन्यू भी विशेष रूप से भारतीय और भूटानी स्वाद को ध्यान में रखकर तैयार किया गया।

राजनीतिक और आध्यात्मिक महत्व

भूटानी प्रधानमंत्री का अयोध्या दौरा ऐसे समय में हुआ है जब अयोध्या के भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हाल ही में हुआ है और यह स्थल विश्वभर के हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र बन चुका है।
यह दौरा इस बात का संकेत है कि राम मंदिर केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सांस्कृतिक धरोहर बन रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा से भारत-भूटान संबंधों में नई ऊर्जा आएगी। भूटान लंबे समय से भारत का रणनीतिक सहयोगी और मित्र देश रहा है। सांस्कृतिक कूटनीति के इस उदाहरण से दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होंगे।

अयोध्या की बढ़ती वैश्विक पहचान

अयोध्या अब केवल भारत के धार्मिक मानचित्र पर ही नहीं बल्कि वैश्विक पर्यटन और कूटनीतिक मानचित्र पर भी चमकने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से अयोध्या को विकसित किया जा रहा है, वह आने वाले समय में इसे अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक राजधानी बना सकता है।

सांस्कृतिक कूटनीति की जीत

भूटान के प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल एक राजनयिक यात्रा नहीं बल्कि यह भारत की सॉफ्ट पावर का उदाहरण है। राम मंदिर में उनके दर्शन से यह संदेश गया है कि अयोध्या भारत की आध्यात्मिक धरोहर के रूप में दुनिया को जोड़ने वाला केंद्र बन चुकी है।

भारत के लिए यह गर्व का क्षण है कि पड़ोसी देशों के नेता भी अयोध्या आकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं। यह न केवल धार्मिक भावनाओं को सम्मान देता है बल्कि भारत की कूटनीतिक ताकत को भी और अधिक मजबूत करता है।

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