“सैलून का मायाजाल” हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

एक आँकड़े के अनुसार केवल हिमाचल में ही पिछले कुछ सालों में 11000 लोग लापता हैं।

सैलून का मायाजाल हिमाचल के लिए खतरे की घंटी

भारत में आदिकाल से ही नारी को शक्ति या नारायणी कहा गया है। आने वाले नवरात्रि पर्व में नौ दिनों तक शक्ति की उपासना की जाएगी । जहाँ तक हिमाचल प्रदेश की बात है तो यहाँ पाँच सिद्ध शक्ति पीठ हैं । पहाड़ी राज्य और प्रकृति के साथ सीधा संपर्क होने के कारण यहाँ के लोग बहुत ही शांत, सरल और सुन्दर होते हैं । ऐसा ही कुछ दूसरे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के साथ भी है। लेकिन, पिछले कुछ समय से एक नई समस्या इन दोनों राज्यों में पनप रही है। वैसे यह कहा जा सकता है कि उस विकराल समस्या ने पूरे भारत की महिलाओं को भी ग्रसित कर दिया है । धीरे-धीरे ही सही हमारे समाज को एक आडंबर की दुनिया की और धकेला जा रहा है। स्वयं को सुन्दर दिखाने के लोभ ने हमारे समाज की मातृ शक्ति की सुरक्षा में भयानक सेंधमारी की है ।

सुन्दर दिखना नारी का एक प्राकृतिक गुण हैं, परंतु आज के समय में यदि इस विषय को ध्यान से देखे तो हम पाएंगे की इस प्राकृतिक गुण को किसी की नजर लग गई है। अब नारी समाज को भी सजने सँवरने के लिए भी बाहर जाना पड़ रहा है, जिस से हमारे समाज की महिलाओ की सुरक्षा खतरे मैं पड़ चुकी है। आखिर आज की नारी सुंदर दिखने या सजने संवरने के लिए घर छोड़कर कहाँ जाती है? उत्तर मिलेगा- पार्लर या ‘सैलून’ में । यही ‘सैलून’ उस भयानक खतरे का नाम है। आये दिन सैलून से जुड़े हुए समाचार सामने आते रहते हैं।

‘सैलून का मायाजाल’ इतना आकर्षक अथवा भयानक है कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे बाजारों में नए नए सैलून खुलते जा रहे हैं। परिणामस्वरूप महिलाओ का इन सैलूनों में जाने का क्रम लगातार बढ़ ही रहा है। यह भी उतना ही सत्य है कि जाने वाली अधिकांश लड़कियां या महिलायें और पुरुष भी हिन्दू समाज के ही होते हैं। जाने अनजाने हम ऐसा काम कर रहे हैं, जो हमारे ही परिवार के लिए खतरा बन चुका है। जहाँ तक हिमाचल की बात है तो इस गंभीर चिंता का मुख्य कारण है यह कि इन सैलूनों को जो खोल रहे है वो अधिकांश बाहरी राज्यों से आये प्रवासी हैं और वे हिन्दू नहीं होते है, बल्कि एक विशेष मजहब अर्थात् मुस्लिम होते हैं और उनका एक ही उद्देश्य होता है ‘जिहाद’ । इन सैलून में जाने वाले सभी केवल हिन्दू ही होते हैं ।

क्या यह विडंबना नहीं है कि एक समय ऐसा था जब भारतीय महिला को कोई परपुरुष हाथ लगा देता तो युद्ध हो जाता था, परंतु आज सैलून के अंदर महिला किसी परपुरुष से तो अपना मेकप करवाने में लगी होती है वहीं उसी सैलून के बाहर उस का पति रखवाली कर रहा होता है। सैलून का मायाजाल अब विकराल रूप धारण करता जा रहा है क्योंकि अब हमारे बाजार में ‘यूनिसेक्स सैलून’ लगातार खुल रहे है। यह सब बहुत सोची समझी साजिश के तहत चल रहा है। पहले महिलाएं भी लेडीज सैलून चलाती थीं लेकिन अब उनकी संख्या धीरे धीरे कम होती जा रही है। मार्किट में केवल और केवल यूनिसेक्स सैलून ही दिखते हैं। यूनिसेक्स सैलून आज हमारे समाज में लव जेहाद के नए अड्डे बन चुके हैं ।

एक आँकड़े के अनुसार केवल हिमाचल में ही पिछले कुछ सालों में 11000 लोग लापता हैं। ऊना के एक सेवानिवृत सेना अधिकारी कि आर टी आई कि जानकारी में यह सब पता लगा हैं। कहीं कहीं हिन्दू लड़कियों और महिलाओं को भी इन सैलून में काम पर रखा जाता है, जिसका परिणाम होता है हिन्दू लड़की का भागना या महिला का घर टूटना। क्या कारण है कि सैलून में काम करने वालों के कारण हिन्दू परिवार टूट रहे हैं? एक जानकारी के अनुसार पूरे भारत में अनुमानित 65 लाख के लगभग सैलून हैं जिन में से अनुमानित 30% ही रेजिस्टर्ड हैं। इसी कड़ी में हिमाचल में भी अनुमानित 6927 के लगभग सैलून हैं और इनमें से कितने रेजिस्टर्ड हैं उस की जानकारी उपलब्ध नहीं है!

भारत में पिछले कुछ वर्षों में लव जेहाद की वारदातें बढ़ी हैं । हिन्दू समाज की भोली भाली या यूँ कहें अनजान लड़कियों को इन यूनिसेक्स सैलून में बहल फुसला कर उनका शारीरिक व मानसिक रूप से ब्लैकमैल किया जाता है, जिससे वे किसी को भी कुछ भी नहीं बता पाती और चुपचाप इन दरिंदों कि मर्जी सहती रहती हैं। राजस्थान का अजमेर कांड इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। ऐसे ही न जाने कितने कांड हमारे सामने हैं परंतु फिर भी हमारा हिन्दू समाज आँखों पर भाईचारे की पट्टी बांध कर कुछ अपनी आँखों के सामने होते हुए देख रहा है। यह जांच का विषय है कि क्या इन यूनिसेक्स सैलून खोलने वालों पर सरकार कि कोई नजर है या नहीं?

इन यूनिसेक्स सैलून की माया इतनी भयानक है कि जिससे लड़के या पुरुष भी अछूते नहीं है। इनकी रेट लिस्ट कभी देखिएगा ! जो काम 20-25 रूपए में हो जाता है उसके लिए इन सैलूनों में 150-200 रूपए लिए जाते हैं। अभी वो लोग जीवित हैं जो साल में दो बार अनाज लेते थे और घर में आकर बाल काटते थे, जिनसे आपके परिवार को कोई खतरा नहीं होता था। जो आपके सुख दुःख में उठते बैठते थे। आने वाले समय में ये ‘सैलून’ खासकर प्रवासियों के सैलून हिमाचल के लोगों के लिए बहुत घातक होने वाले हैं। अभी समय है आँख खोलने का और सरकारों को भी अपना तन्त्र सही करने का। ऐसा न हो कि देवभूमि भी मलेच्छभूमि न बन जाये? विचार करिये!

 

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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