पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव ने भारत और इज़राइल की साझेदारी को पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूती और स्थिरता दी है। ख़ासकर इज़राइल और ईरान के मध्य उत्पन्न हुए तनाव ने भारत और इज़राइल के पहले से ही विकसित हो रहे रक्षा संबंधों को एक अभूतपूर्व मजबूती और स्थिरता प्रदान की है। दोनों के बीच संबंध अब महज व्यापार के पारंपरिक ढाँचे तक सीमित नहीं रहे, बल्कि ये एक परिष्कृत, बहुआयामी, रणनीतिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण गठबंधन का रूप ले चुका है, जिसकी पहचान साझा सुरक्षा दृष्टिकोण और अटूट आपसी विश्वास से तय होती है।
इज़राइल के क़रीब मौजूदा तनाव ने भारत–इज़राइल रणनीतिक साझेदारी के विकास को एक अभूतपूर्व गति प्रदान की है। जो रिश्ता कभी सिर्फ़ हथियारों की ख़रीद और सप्लाई तक सीमित था, अब एक गहरी, भरोसेमंद और रणनीतिक साझेदारी में बदल चुका है।
यह बदलाव सुरक्षा चुनौतियों की साझा समझ, गहन तकनीकी सह–विकास और द्विपक्षीय विश्वास की मज़बूत नींव पर आधारित है, जो इसे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक लीडिंग फोर्स के रूप में स्थापित करता है। यह मूलभूत बदलाव मात्र सैद्धांतिक नहीं है, बल्कि ज़मीनी तौर पर भी दिखाई देता है। हम डिफेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण और नई पीढ़ी की तकनीकी से जुड़ी साझा रिसर्च एवं उनके डेवलपमेंट में जुटे हैं। तो वहीं अस्थिरता से भरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को मज़बूत बनाए रखने की द्विपक्षीय, दृढ़ प्रतिबद्धता के भी साक्षी हैं।
ऑपरेशनल क्षमता का प्रमाण: साझा तकनीक की जीत
इज़राइल के आस–पास के हालातों ने दोनों देशों को और क़रीब ला दिया है। अब भारत और इज़राइल सिर्फ़ रक्षा सौदों तक सीमित नहीं हैं — वे तकनीक, इंटेलिजेंस और रिसर्च में साथ काम कर रहे हैं।
दोनों देशों ने मिलकर कई आधुनिक रक्षा तकनीकें बनाई हैं और दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए एक साझा प्रतिबद्धता दिखाई है।
16 जून 2025 को जब ईरान ने इजराइल पर ड्रोन हमले किए और इज़राइली नौसेना ने उन्हें सफलतापूर्वक रोका तो इसमें बराक एयर डिफेंस सिस्टम की भी अहम भूमिका थी।
यह सिस्टम भारत और इज़राइल ने मिलकर बनाया था। पहली बार था जब इसे असली युद्ध में इस्तेमाल किया गया, जहां इसने खुद को साबित भी किया।— यह दिखाता है कि दोनों देशों का सहयोग अब नतीजे भी दे रहा है।
भारत की कूटनीति और संतुलन की नीति
क्षेत्रीय तनाव बढ़ने पर भारत की कूटनीति संतुलित और दूरदर्शी रही। जब इज़राइल ने जवाबी कार्रवाई की, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की। उन्होंने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया, लेकिन साथ ही संयम बरतने और तनाव कम करने की अपील भी की।
यह भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को दर्शाता है — जहां सभी को एक परिवार की तरह देखा जाता है।
भारत ने इज़राइल और ईरान दोनों के साथ अपने रिश्तों को सावधानी से संभाला है। यही रणनीतिक संतुलन भारत की आज़ाद और आत्मनिर्भर विदेश नीति को मज़बूत बनाता है।
रक्षा सहयोग का नया अध्याय
एक तरफ जहाँ भारत के अपने विविध सामरिक और आर्थिक हित दाँव पर है वहीं हालिया क्षेत्रीय तनावों ने भारत और इज़राइल के रक्षा सहयोग को केवल हथियारों की ख़रीद–फरोख्त की पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालकर, व्यापक तकनीकी एकीकरण की दिशा में भी आगे बढ़ने को मजबूर किया है।
अब यह रिश्ता सिर्फ़ हथियारों की ख़रीद तक सीमित नहीं है। 2021 में बनी ज्वाइंट फोर्स इनिशिएटिव के तहत दोनों देश मिलकर एक लंबी अवधि की रक्षा रणनीति पर काम कर रहे हैं। 2021 में स्थापित ज्वाइंट फोर्स ने कई दशकों तक चलने वाली एक विस्तृत डिफेंस स्ट्रीटजी को आकार देना शुरू कर दिया है। इस दूरदर्शी रणनीति का मुख्य उद्देश्य गहन प्रौद्योगिकी साझाकरण के माध्यम से पारस्परिक नवाचार और उन्नति को बढ़ावा देना है, जिसके साथ ही यह संयुक्त सैन्य अभ्यासों के द्वारा दोनों सेनाओं के बीच सामरिक तालमेल और परिचालन क्षमता को मज़बूत करने पर भी केंद्रित है।
इसके अतिरिक्त, यह साझेदारी हाइब्रिड युद्ध, साइबर डोमेन और अंतरिक्ष खतरों जैसी उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सक्रिय रूप से समाधान करने और उनके लिए समन्वित तैयारी करने की दिशा में भी काम कर रही है, जो इसे एक प्रतिक्रियाशील मॉडल से बढ़कर एक भविष्योन्मुख गठबंधन बनाती है। इस साझेदारी का एक ठोस और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण परिणाम भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में इज़राइल की सक्रिय भागीदारी है।
इज़राइली कंपनियां जैसे एल्बिट सिस्टम्स अब भारत में ही ड्रोन, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक वॉर सिस्टम बना रही हैं। इससे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल मिल रहा है और देश की रक्षा आत्मनिर्भरता बढ़ रही है।
भारत–इजराइल की मित्रता क्यों स्वाभाविक है?
भले ही दोनों देशों के बीच दूरी ज़्यादा है, लेकिन दोनों की सुरक्षा चिंताएं और लक्ष्य एक जैसे हैं।
अब भारत और इज़राइल एआई, रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियों जैसी भविष्य की तकनीकों पर साथ काम कर रहे हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की आक्रामक उपस्थिति और समुद्री लुटेरों के बढ़ते खतरों जैसी चुनौतियों को देखते हुए, नौसेना सहयोग का गहन होना बेहद जरूरी है।
I2U2 समूह के सदस्य के रूप में, दोनों देशों के हित समुद्री सुरक्षा, उन्नत प्रौद्योगिकी और आतंकवाद–रोधी प्रयासो में मिलते हैं। इज़राइल द्वारा प्रदान किए जाने वाले एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण और अत्याधुनिक अंडरवाटर ड्रोन भारत की नौसैनिक क्षमताओं और एंटी–सबमरीन युद्ध दक्षता को निर्णायक रूप से अभूतपूर्व मज़बूती प्रदान करेंगे।
ये एक ऐसा गठबंधन है जहां इज़राइल की तकनीकी विशेषज्ञता और अनुभव है और दूसरी तरफ़ भारत की बढ़ती औद्योगिक क्षमता और ये दोनों मिलकर एक मज़बूत अटूट सामरिक शक्ति का निर्माण करते हैं। इस साझेदारी का विस्तार अब सामरिक आपूर्ति से आगे निकलकर रणनीतिक स्वदेशीकरण की ओर हो चुका है। ‘मेक इन इंडिया‘ कार्यक्रम में इज़राइल की सक्रिय भागीदारी रक्षा औद्योगिक आधार को मज़बूत करती है और बाहरी आपूर्ति पर निर्भरता कम करके उसकी रणनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाती है।
इसके अलावा 2021 के दूरदर्शी समझौते के तहत, दोनों देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियों जैसी भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर भी मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो भारत–इजराइल की सामरिक और रणनीतिक साझेदारी को वैश्विक पटल पर एक अलग आयाम देगा।
21वीं सदी की रणनीतिक धुरी
आज जब वैश्विक शक्ति–संतुलन बदल रहा है, भारत–इज़राइल साझेदारी एक नई रणनीतिक धुरी (Strategic Axis) बनकर उभरी है।
इज़राइल की तकनीकी विशेषज्ञता और भारत की औद्योगिक व सामरिक ताकत मिलकर एक नए सुरक्षा ढांचे को जन्म दे रही है।
यह साझेदारी अब सिर्फ़ दो देशों के बीच का रिश्ता नहीं रही- यह इंडो–पैसिफिक से लेकर मिडिल ईस्ट तक की सुरक्षा व्यवस्था को आकार देने वाली एक अहम ताकत बन चुकी है।