पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता
TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    डॉ. मुखर्जी से मोदी तक: भारतीय जनसंघ का विचार भारत का स्वरूप कैसे गढ़ गया

    डॉ. मुखर्जी से मोदी तक: भारतीय जनसंघ का विचार भारत का स्वरूप कैसे गढ़ गया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    तेजस्वी यादव का नौकरी वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल, अब कांपेंगे चीन और पाकिस्तानू

    भारत इज़राइल रणनीतिक साझेदारी

    बदलते वैश्विक समीकरणों और क्षेत्रीय संघर्षों के बीच कैसे बदल रही है भारत-इज़राइल के बीच रणनीतिक साझेदारी ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

    श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    डॉ. मुखर्जी से मोदी तक: भारतीय जनसंघ का विचार भारत का स्वरूप कैसे गढ़ गया

    डॉ. मुखर्जी से मोदी तक: भारतीय जनसंघ का विचार भारत का स्वरूप कैसे गढ़ गया

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    बिहार में 12 रैलियों से हुंकार भरेंगे पीएम मोदी: राष्ट्रनिर्माण की पुकार बन जाएगा चुनावी अभियान

    आर्थिक शक्ति, राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मनिर्भर भारत: पीएम मोदी के भाषण का राष्ट्रवादी अर्थ

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    भारत और अफगानिस्तान: बदलती भू-राजनीतिक परिदृश्य में मजबूत रणनीतिक साझेदार

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन को क्यों है भारत से उम्मीद? क्या खालिस्तान पर लगाम कसेंगे स्टार्मर ?

    तेजस्वी यादव का नौकरी वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    तेजस्वी यादव का नौकरी का वादा: सपने की उड़ान या बिहार की आर्थिक हकीकत से टकराता भ्रम?

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल

    भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल, अब कांपेंगे चीन और पाकिस्तानू

    भारत इज़राइल रणनीतिक साझेदारी

    बदलते वैश्विक समीकरणों और क्षेत्रीय संघर्षों के बीच कैसे बदल रही है भारत-इज़राइल के बीच रणनीतिक साझेदारी ?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

    श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

    श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    आत्मनिर्भर भारत की वैज्ञानिक विजय: ‘नैफिथ्रोमाइसिन’, कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के उम्मीदों को मिली नई रोशनी, जानें क्यों महत्वपूर्ण है ये दवा

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    PariPesa के सर्वश्रेष्ठ भारतीय ऑनलाइन गेम्स

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    एशिया कप हारने के बाद पाकिस्तान के लोगों ने ही पाकिस्तान टीम को सोशल मीडिया पर धो डाला! उड़ाया मजाक

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

तालिबान और पाकिस्तान के बीच जो कुछ वर्षों पहले तक रणनीतिक साझेदारी कही जाती थी, वह अब परस्पर अविश्वास और हिंसा के दलदल में बदल चुकी है।

Vibhuti Ranjan द्वारा Vibhuti Ranjan
22 October 2025
in इतिहास, ज्ञान, फैक्ट चेक, भारत, भू-राजनीति, विश्व
पाकिस्तान को डंसेगा उसका अपना ही पाल हुआ सांप, जानें आखिर क्यों नहीं टिक पाएगा पाकिस्तान-अफगानिस्तान की शांति समझौता

इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान कभी बाहरी नियंत्रण में नहीं रहा।

Share on FacebookShare on X

कतर की मध्यस्थता से जन्मा पाकिस्तान-अफगानिस्तान शांति समझौता इस वक्त एशियाई कूटनीति का सबसे नाजुक धागा बन चुका है। दस्तावेज़ों में लिखी बातें, प्रेस विज्ञप्तियों में दिए गए बयान और कैमरों के सामने किए गए हस्ताक्षर भले ही स्थायित्व का भ्रम दें, लेकिन ज़मीन पर हालात बिल्कुल इसके उलट हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच जो कुछ वर्षों पहले तक रणनीतिक साझेदारी कही जाती थी, वह अब परस्पर अविश्वास और हिंसा के दलदल में बदल चुकी है। दोनों देशों की सीमा, विचार और हित तीनों के बीच अब गहरी दरारें हैं, और ये दरारें इतनी पुरानी हैं कि उन्हें किसी भी कतर बैठक के स्याही से भरा काग़ज़ नहीं जोड़ सकता।

पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान हमेशा से रणनीतिक गहराई (strategic depth) का क्षेत्र रहा है। यह वह सोच थी जो 1980 के दशक में आईएसआई और पाकिस्तानी सेना ने तैयार की थी। भारत के खिलाफ अपनी सुरक्षा नीति को पश्चिम की ओर विस्तारित करने के लिए। इसीलिए इस्लामाबाद ने नब्बे के दशक में अफगान तालिबान को गढ़ा, हथियार दिए और उन्हें सत्ता में पहुंचाया। पाकिस्तान का मानना था कि अफगानिस्तान में उसका नियंत्रित शासन उसके लिए सुरक्षा कवच बनेगा। लेकिन बीते चार वर्षों में यही सुरक्षा कवच उसके लिए विषधार सांप साबित हुआ है। तालिबान, जिसे कभी पाकिस्तान की रचना कहा जाता था, अब वह उसी पाकिस्तान की संप्रभुता को चुनौती दे रहा है।

संबंधितपोस्ट

सीमा के पार उबलता बारूद: पाकिस्तान की बिखरती रणनीति और भारत की निर्णायक शांति, जानें क्या कर सकता है आतंकिस्तान

भारतीय वायुसेना को दुनिया की तीसरी वायुसेना का खिताब, तकनीक से ज़्यादा यह है राजनीतिक इच्छाशक्ति की जीत

भारत की बढ़ी ताकत: जल्द ही सेना में शामिल होगी 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल, अब कांपेंगे चीन और पाकिस्तानू

और लोड करें

डूरंड लाइन इस अस्थिरता की जड़ में सबसे बड़ा कांटा है। यहां पर बता दें कि यह सीमा रेखा ब्रिटिश औपनिवेशिक दौर में खींची गई थी, जिसे अफगानिस्तान ने आज तक वैधानिक रूप से स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान का दावा है कि यह उसकी वैध अंतरराष्ट्रीय सीमा है, जबकि तालिबान कहता है कि यह कृत्रिम और जबरन थोपी गई सीमांकन की रेखा है, जिसने पश्तूनों को दो हिस्सों में बांट दिया। इसीलिए, जब कतर समझौते में पाकिस्तान ने कहा कि डूरंड लाइन पर सहमति बन गई है, तो तालिबान ने इसे झूठ करार दे दिया। यह केवल बयान नहीं था, यह भविष्य की अविश्वास भरी राजनीति का संकेत था। अगर सीमा की वैधता पर ही समझौता नहीं हुआ, तो शांति समझौता केवल औपचारिकता रह जाता है। इस समझौते का क्या मतलब।

तालिबान और पाकिस्तान के बीच इस दुश्मनी का दूसरा कारण टीटीपी भी है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान। इस संगठन का गठन 2007 में पाकिस्तान के ही भीतर हुआ और इसका घोषित उद्देश्य पाकिस्तान में इस्लामिक शासन स्थापित करना है। लेकिन, आज टीटीपी, अफगान तालिबान की छतरी में आश्रय पा चुका है। पाकिस्तान बार-बार दावा करता रहा है कि टीटीपी अफगानिस्तान की धरती से संचालित होती है, वहीं से उसके आतंकी हमले प्लान होते हैं, वहीं से उसे हथियार मिलते हैं। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि टीटीपी के ठिकाने पूर्वी अफगानिस्तान में हैं और उसके पास वे अमेरिकी हथियार हैं, जो 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना वापसी के वक्त पीछे छोड़ गई थी।

इन हथियारों ने टीटीपी को घातक रूप से सशक्त बना दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 2024 में 1000 से अधिक आतंकी हमले टीटीपी से जुड़े थे, जिनमें सैकड़ों सैनिक और अधिकारी मारे गए। अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल केवल नौ महीनों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के 2400 जवान मारे जा चुके हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान अब उस दानव से जूझ रहा है, जिसे उसने खुद पैदा किया था। जिस जिहाद का इस्तेमाल उसने अफगानिस्तान में भारत और सोवियत संघ के खिलाफ किया, वही अब उसके अपने भीतर विस्फोट कर रहा है।

कतर में हुआ युद्ध विराम भी इस विस्फोट को रोकने में असमर्थ दिख रहा है। समझौते के कुछ ही दिनों बाद टीटीपी ने पाकिस्तान में एक पुलिस प्रशिक्षण स्कूल पर आत्मघाती हमला कर दिया, जिसमें 23 लोग मारे गए। इसके जवाब में पाकिस्तान ने काबुल और कंधार में हवाई हमले किए, यह दावा करते हुए कि उसने टीटीपी के ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद अफगान बलों ने पलटवार किया और डूरंड लाइन के पास पाकिस्तानी चौकियों पर हमला किया। तालिबान के अनुसार, 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि पाकिस्तान ने 23 मौतें स्वीकार कीं। यह पूरी श्रृंखला दिखाती है कि युद्धविराम केवल एक शब्द है, वास्तविकता नहीं।

इस संघर्ष के पीछे वैचारिक कारण भी गहरे हैं। अफगान तालिबान खुद को एक धार्मिक-सामाजिक आंदोलन के रूप में देखता है, जिसने विदेशी कब्ज़े के खिलाफ लड़ाई लड़ी। वहीं, पाकिस्तानी फौज और आईएसआई ने हमेशा इस्लाम को सत्ता के औजार के रूप में इस्तेमाल किया है। तालिबान अब पाकिस्तान को धर्म का रक्षक नहीं बल्कि इस्लाम के नाम पर दोहरा खेल खेलने वाला देश मानता है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद यह स्वीकार किया था कि उनके देश ने दशकों तक डबल स्टैंडर्ड की नीति अपनाई। एक तरफ आतंकवाद की निंदा की, और दूसरी तरफ आतंकवादियों को पाल-पोसकर रणनीतिक हथियार बनाया। अब वही नीति पाकिस्तान के लिए आत्मघाती साबित हो रही है।

तालिबान आज पाकिस्तान से न सिर्फ़ नफरत करता है, बल्कि उसे कृत्रिम राष्ट्र मानता है, जिसने ब्रिटिश औपनिवेशिक ढांचे पर अपनी पहचान बनाई। तालिबान की सोच में अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा का अस्तित्व ही औपनिवेशिक साजिश है। यही वैचारिक दरार उसे किसी भी स्थायी समझौते से दूर रखती है। डूरंड लाइन केवल भूगोल की रेखा नहीं है, यह इतिहास, अस्मिता और अधूरे राष्ट्रवाद की रेखा है, जो हर पीढ़ी में नए संघर्ष को जन्म देती है।

दूसरी ओर, पाकिस्तान अब अपनी सबसे कमजोर सामरिक स्थिति में है। उसकी अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, डॉलर भंडार घट चुका है, आईएमएफ के सामने नतमस्तक सरकार जनता का भरोसा खो रही है और सेना पहली बार इतने खुले तौर पर आलोचना का सामना कर रही है। ऐसी स्थिति में अफगान सीमा पर तनाव उसके लिए घरेलू ध्यान भटकाने का एक साधन भी है। इस्लामाबाद अब हर बार सीमा युद्ध को राष्ट्रवाद की चादर के रूप में इस्तेमाल करता है। लेकिन समस्या यह है कि इस बार उसका दुश्मन उसकी पुरानी संपत्ति है, जो अब आदेश नहीं मानता, बल्कि पलटकर काटता है।

आसान नहीं है तालिबान को समझना

यहां पर आपको बता दें कि तालिबान को समझना इतना भी आसान नहीं है। तालिबान के भीतर भी कई धड़े हैं। हक्कानी नेटवर्क, कंधार गुट, हेरात गुट और इन सभी का पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण भी एक जैसा नहीं है। हक्कानी नेटवर्क पर पाकिस्तान का प्रभाव कभी सबसे अधिक था, लेकिन अब वह धीरे-धीरे काबुल की सत्ता के भीतर स्वतंत्र भूमिका निभा रहा है। तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी का भारत आना इस बदलाव का स्पष्ट संकेत था। पाकिस्तान इस बात से बुरी तरह विचलित हुआ कि तालिबान अब दिल्ली से भी संवाद करना चाहता है। यह वही तालिबान है, जिसे कभी पाकिस्तान ने अपना प्रॉक्सी बताया था। अब वही प्रॉक्सी अंतरराष्ट्रीय वैधता की खोज में पाकिस्तान से दूरी बना रहा है। यह संकेत किसी भी दीर्घकालिक समझौते के अंत का अग्रलेख है।

काबुल और इस्लामाबाद के बीच जारी यह मूक युद्ध एक बड़े भौगोलिक सच को सामने लाता है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों अपने-अपने आतंकवाद के जाल में इतने गहरे फंसे हैं कि अब उनसे बाहर निकलने के लिए केवल बातचीत काफी नहीं होगी। पाकिस्तान जब तक टीटीपी के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई नहीं करता और तालिबान अपने इलाके से आतंक के ठिकानों को खत्म नहीं करता, तब तक हर समझौता सिर्फ़ विराम रहेगा, समाधान नहीं। लेकिन विडंबना यह है कि अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान में फिर से हमला करता है, तो उसे खुले युद्ध का सामना करना पड़ेगा। यानी, जिस जंग से बचने के लिए वह समझौता कर रहा है, उसी जंग का बीज वह खुद बो रहा है।

इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान कभी बाहरी नियंत्रण में नहीं रहा। ब्रिटिशों से लेकर सोवियत संघ और अमेरिका तक, हर ताकत ने वहां अपनी नीतियां लागू करने की कोशिश की और हर बार असफल रही। अब पाकिस्तान भी उसी गलती को दोहरा रहा है। तालिबान अब अपने राष्ट्रवाद के सबसे चरम रूप में है, उसे किसी सीमा पर झुकना मंज़ूर नहीं और पाकिस्तान अब उस सांप के डर में जी रहा है, जिसे उसने सालों तक जिहाद के नाम पर दूध पिलाया था।

अगर आने वाले महीनों में यह समझौता टूटता है, तो यह किसी अचानक घटना का नतीजा नहीं होगा। यह उस लंबे इतिहास की परिणति होगी, जो 1980 से अब तक पाकिस्तानी नीतियों ने लिखा है। यह उस झूठी सामरिक गहराई का अंत होगा, जो अब आत्मघाती गहराई बन चुकी है। तालिबान अब पाकिस्तान को संरक्षक नहीं, शत्रु के रूप में देखता है। यह धारणा जब जड़ पकड़ लेती है, तब कोई भी समझौता उसे मिटा नहीं सकता।

कतर का समझौता फिलहाल दोनों देशों को सांस लेने का समय दे सकता है, पर यह सांस लंबी नहीं चलेगी। अफगानिस्तान की धरती पर टीटीपी के ठिकाने और पाकिस्तान के भीतर बढ़ती अस्थिरता इस शांति को निगल जाएंगी। इतिहास एक बार फिर साबित करेगा कि जो देश आतंक को नीति बनाता है, वह अंततः आतंक का ही शिकार होता है। पाकिस्तान के लिए तालिबान अब दुश्मन नहीं, उसकी नियति बन चुका है। यह नियति अब काबुल से इस्लामाबाद तक एक ही संदेश दे रही है, जो आग तुमने लगाई थी, अब उसी की राख तुम्हारा चेहरा ढक लेगी।

Tags: अफ़ग़ानिस्तानआतंकवादकतर समझौताडूरंड लाइनतालिबानपाकिस्तानशांति समझौता
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

श्राप से वरदान तक: बिहार-झारखंड की वह अनोखी भाई दूज, जहां बहनें पहले भाई को मरने का श्राप देती हैं, फिर जीभ में कांटा चुभाकर मांगती हैं भाई की लंबी उम्र

अगली पोस्ट

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

संबंधित पोस्ट

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने
चर्चित

महागठबंधन नहीं, महाभ्रम कहिए जनाब : बिहार में राहुल गांधी का असर, तेजस्वी का दबदबा और गठबंधन की टूटती परतें, जानें क्या कहा पप्पू यादव ने

22 October 2025

बिहार की राजनीति इस वक्त फिर उसी पुराने मोड़ पर लौटती दिखाई दे रही है, जहां गठबंधन एकता का ढोल तो पीट रहा है, लेकिन...

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?
इतिहास

जब उल्काएं थीं दीप, और दीप थे उत्सव: यहां जानें, क्यों आतिशबाज़ी भारतीय परंपरा का हिस्सा है, आयातित नहीं?

22 October 2025

दिवाली की अगली सुबह आए अख़बारों में जो ख़बर पहले पेज में सबसे प्रमुखता के साथ छपी है, उसके अनुसार दिल्ली देश का ही नहीं...

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प
इतिहास

राजनीतिक इस्लाम बनाम सनातन चेतना: योगी आदित्यनाथ का वैचारिक शंखनाद और संघ का शताब्दी संकल्प

22 October 2025

गोरखपुर के पावन मंच से जब योगी आदित्यनाथ ने यह कहा कि राजनीतिक इस्लाम ने सनातन धर्म को सबसे बड़ा झटका दिया है, तो यह...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

The Congress Party’s War on India’s Soldiers: A History of Betrayal and Fear

00:07:39

How Bursting Firecrackers on Deepavali Is an Ancient Hindu Tradition & Not a Foreign Import

00:09:12

This is How Malabar Gold Betrayed Indians and Preferred a Pakistani

00:07:16

What Really Happened To the Sabarimala Temple Gold Under Left Government?

00:07:21

How Stalin is planning to divide the nation through a poisonous agenda?

00:06:44
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited