भारत-विरोधी विचारों वाला मेयर: Zohran Mamdani की राजनीति और पश्चिमी लोकतंत्र में फैलती हिंदू फोबिया

तीस वर्षीय Zohran Mamdani को न्यूयॉर्क शहर का नया मेयर चुना गया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करते हुए यह उपलब्धि हासिल की। भारत में कुछ मीडिया समूह इसे भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की सफलता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं और इसे गौरव का क्षण बता रहे हैं। लेकिन इस सफलता की परतों के नीचे छिपा सच कहीं अधिक जटिल और चिंताजनक है।

भारत-विरोधी विचारों वाला मेयर: Zohran Mamdani की राजनीति और पश्चिमी लोकतंत्र में फैलती हिंदू फोबिया

Zohran Mamdani ने अपने राजनीतिक जीवन में बार-बार हिंदू विरोधी और भारत विरोधी बयान दिए हैं।

अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य में हाल ही में एक घटना ने न केवल अमेरिकी नागरिकों बल्कि वैश्विक भारतीय समुदाय को भी चौंका दिया है। तीस वर्षीय Zohran Mamdani को न्यूयॉर्क शहर का नया मेयर चुना गया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त करते हुए यह उपलब्धि हासिल की। भारत में कुछ मीडिया समूह इसे भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की सफलता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं और इसे गौरव का क्षण बता रहे हैं। लेकिन इस सफलता की परतों के नीचे छिपा सच कहीं अधिक जटिल और चिंताजनक है।

Mamdani का राजनीतिक और सामाजिक इतिहास दर्शाता है कि उनकी सक्रियता केवल प्रशासनिक सेवा या लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं है। उनके हिंदू विरोधी और भारत विरोधी बयानों का लंबा इतिहास यह स्पष्ट करता है कि उनका एजेंडा भारत और उसकी सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ गहरा और व्यवस्थित रूप से केंद्रित है।

भारतीय समुदाय और वैश्विक पहचान के लिए गंभीर चिंता

Mamdani के विचार और उनकी पूर्व सक्रियता यह सवाल खड़ा करते हैं कि क्या यह विविधता की जीत है या यह पश्चिमी राजनीति में भारत-विरोधी विचारधारा को वैधता देने वाला संकेत है। उनका पद ग्रहण न्यूयॉर्क शहर में 1 जनवरी से होगा और वे शहर के सबसे युवा मेयर बनेंगे। लेकिन उनके एजेंडे और विचारधारा के कारण भारतीय समुदाय और वैश्विक भारतीय पहचान के लिए गंभीर चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।

Mamdani का जन्म युगांडा के कैंपाला में हुआ। उनके पिता एक प्रसिद्ध अकादमिक हैं और उनकी माता भारत की जानी-मानी फिल्म निर्माता हैं। उनका बचपन युगांडा और दक्षिण अफ्रीका में बीता और बाद में परिवार न्यूयॉर्क में स्थायी हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने Bronx High School of Science से शिक्षा प्राप्त की और Bowdoin College से अफ़्रीकाना अध्ययन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उनके इस बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी परिवेश ने उन्हें वैश्विक दृष्टिकोण दिया, लेकिन यही दृष्टिकोण उनके राजनीतिक करियर में भारत और हिंदू समुदाय के विरोधी एजेंडे का आधार बन गया।

भारत विरोधी एजेंडा

राजनीति में प्रवेश करने से पहले Mamdani ने थोड़े समय के लिए सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम किया और संगीत में भी सक्रिय रहे। उनका राजनीतिक करियर 2020 में तब शुरू हुआ जब उन्हें न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में चुना गया। इस पद ने उन्हें प्रगतिशील और दक्षिणपंथी विरोधी राजनीतिक सर्कल में पहचान दिलाई। लेकिन जल्द ही उनकी विचारधारा और भाषण ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनका एजेंडा केवल प्रशासनिक सेवा नहीं बल्कि पहचान-राजनीति और भारत विरोधी narrative को फैलाना है।

Mamdani ने अपने राजनीतिक जीवन में बार-बार हिंदू विरोधी और भारत विरोधी बयान दिए हैं। अगस्त 2020 में उन्होंने न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में राम मंदिर निर्माण के विरोध में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में उन्होंने अलगाववादी तत्वों के साथ खड़े होकर यह कहा कि वे भाजपा सरकार और बाबरी मस्जिद विध्वंस का विरोध करते हैं। यह कोई एकल घटना नहीं थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को युद्ध अपराधी कहा और उन्हें अन्य देशों के नेताओं के साथ तुलना करके उनके मानवाधिकार उल्लंघनों पर आरोप लगाए।

उनकी यह सक्रियता केवल राजनीतिक आलोचना नहीं है। यह स्पष्ट रूप से हिंदू विरोधी और भारत-विरोधी narrative को वैश्विक स्तर पर फैलाने की रणनीति है। उनके कुछ बयान अलगाववादी और पृथकतावादी आंदोलनों के प्रति सहानुभूति दिखाते हैं, जिससे भारतीय समुदाय में चिंता उत्पन्न हुई है। यह चिंताजनक है कि राजनीतिक मंच का उपयोग अपनी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान के खिलाफ किया जा रहा है।

उनकी विचारधारा आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी बेहद उटोपियन और अव्यावहारिक दिखाई देती है। उन्होंने अपने चुनावी अभियान में बड़े वादे किए, जिनमें शहर में किराया स्थिर रखने, सार्वजनिक आवास इकाइयों का निर्माण, बच्चों के लिए निःशुल्क देखभाल, शिक्षा शुल्क में राहत, सार्वजनिक परिवहन में शुल्क मुक्त सेवा और राज्य द्वारा संचालित राशन दुकानों की स्थापना शामिल थी। इन योजनाओं को लागू करने के लिए उन्होंने उच्च आय वर्ग और कॉर्पोरेशनों पर कर बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। यह व्यवहारिक और कानूनी रूप से विवादास्पद है। उनकी आर्थिक और सामाजिक नीति के प्रस्ताव शहर की वित्तीय स्थिति और कानूनी ढांचे के अनुरूप नहीं हैं।

उनकी पुलिस और सुरक्षा नीतियां भी विवादास्पद रही हैं। उन्होंने पुलिस बजट को सामुदायिक सेवाओं में लगाने का सुझाव दिया, जो अपराध दर में वृद्धि और शहर में सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में चिंताजनक है। उनकी selective outrage नीति स्पष्ट करती है कि उनकी सक्रियता केवल उन्हीं मुद्दों तक सीमित है जो उनके narrative को फिट करते हैं, जबकि अन्य गंभीर चुनौतियों की अनदेखी की जाती है।

वैश्विक राजनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में भी उनके विचार विवादों में रहे हैं। उन्होंने अमेरिकी विदेश नीति और कुछ सैन्य कार्रवाईयों की आलोचना की है, जबकि कुछ राष्ट्रों और आंदोलनों के प्रति पक्षपातपूर्ण रुख अपनाया। इससे स्पष्ट होता है कि diversity और मानवाधिकार के नाम पर Mamdani समुदायों और राष्ट्रों के प्रति असमान और पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण रखते हैं।

उनकी विदेश नीति की दृष्टि केवल भारत विरोधी नहीं है, बल्कि विश्व स्तर पर उनकी सोच में चरमपंथी और अलगाववादी प्रवृत्तियों का असर देखा जा सकता है। उनका झुकाव उन विचारों की ओर है जो वैश्विक मंच पर भारत और भारतीय संस्कृति को कमजोर करने की दिशा में काम करते हैं। उनके प्रयास अक्सर पहचान राजनीति के तहत वास्तविक समस्याओं और प्रशासनिक जिम्मेदारियों की अनदेखी करते हैं।

भारतीय मीडिया में Mamdani की जीत को भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की सफलता के रूप में प्रस्तुत किया गया। लेकिन यह narrative उनके हिंदू विरोधी और भारत-विरोधी रुख को नजरअंदाज करता है। राम मंदिर निर्माण के विरोध से लेकर भारतीय सरकार पर आरोप लगाने तक, उन्होंने बार-बार यह दिखाया कि वे अपने सांस्कृतिक और नागरिक मूल के खिलाफ हैं। इसके बावजूद उन्हें “प्रतिनिधित्व का प्रतीक” बताया जाना वास्तविकता से भटकाव है।

जैसा कि Mamdani 1 जनवरी को पद ग्रहण करेंगे, यह देखा जाना बाकी है कि उनके “न्याय और समावेशन” के वादे वास्तविक प्रशासनिक निर्णय और नीति निर्माण में कितने बदलते हैं। भारतीय समुदाय के लिए यह स्पष्ट हो गया है कि Mamdani का उठान केवल पहचान राजनीति का परिणाम है, जिसका उद्देश्य भारत और उसकी संस्कृति के खिलाफ narrative को वैश्विक स्तर पर वैध बनाना है।

वैश्विक राजनीति में पहचान के बहाने अब उन व्यक्तियों को भी समर्थन मिल रहा है जो अपनी मूल संस्कृति और पहचान को नकारते हैं। Mamdani के मामले में, यह केवल diversity नहीं बल्कि हिंदू विरोधी और भारत-विरोधी एजेंडे का समर्थन है। भारतीय मीडिया और समाज के विश्लेषकों को यह समझना चाहिए कि केवल जन्मस्थान या सांस्कृतिक मूल के आधार पर किसी की सफलता को गौरव बताना पर्याप्त नहीं है। वास्तविकता यह है कि उनके एजेंडे और बयान भारत और भारतीय संस्कृति के खिलाफ हैं और उन्हें केवल सांकेतिक प्रतिनिधित्व के रूप में देखना भ्रामक होगा।

Zohran Mamdani का उत्थान एक चेतावनी है कि पहचान राजनीति के बहाने भारत विरोधी नैरेटिव को वैश्विक मान्यता मिल सकती है। भारतीय-अमेरिकियों और भारत समर्थकों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी सांस्कृतिक और नागरिक जड़ों के खिलाफ फैल रही narrative के प्रति सतर्क रहें और उसका मुकाबला करें।

इस विस्तृत विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि Mamdani का उदय केवल एक राजनीतिक सफलता नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत और उसकी सांस्कृतिक पहचान के खिलाफ बढ़ते narrative का प्रतीक है। उनकी राजनीति और नीतियों का वास्तविक प्रभाव आने वाले समय में अमेरिकी समाज और भारतीय पहचान पर गहरा असर डाल सकता है। यह भारतीय समुदाय और वैश्विक भारतीय समाज के लिए चेतावनी है कि वे अपने मूल और संस्कृति की रक्षा के लिए सतर्क रहें।

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