पत्नी की संपत्ति में पति का कोई हक नहीं- सुप्रीम कोर्ट
26 April 2024
जो दर्द भारत ने झेला अब अमेरिका झेला रहा है।
26 April 2024
भारत, एक स्वतंत्र देश है जो विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश, जहां सबको इतनी आजादी है कि वह सरकार के किसी भी फैसले पर प्रश्न उठा सकते हैं, किसी भी केस के बारे में जानने या नीति को समझने के लिए रिपोर्ट दायर कर सकते हैं। इसी पारदर्शिता के ...
अपने देश में देशद्रोह को लेकर विद्रोह छिड़ा हुआ है। कुछ लोग देशद्रोह और राजद्रोह के बीच के भेद का निर्धारण करना चाहते हैं। उनका कहना है की इस विधि का उद्गम औपनिवेशिक काल में हुआ था ताकि स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध विद्रोह करने से रोका जा ...
किसी भी देश की कानून व्यवस्था में भाषा का भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत जैसा विशाल देश जहां हर क्षेत्र में अलग-अलग भाषाएं है इसलिए बड़े संस्थानों में अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता है ताकि एक भाषा संवाद करने के लिए हो। पर देश की आधे से ज्यादा ...
राजनीति शास्त्र में व्यवस्था संचालन के 3 अंग होते हैं- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। विधायिका केंद्र सरकार राज्य सरकार और पंचायती राज व्यवस्था को प्रदर्शित करती है तो वही कार्यपालिका पुलिस और प्रशासनिक तंत्र को, जबकि न्यायपालिका भारत के न्याय व्यवस्था को चिन्हित करती है। इन तीनों के बीच समन्वय, ...
भारत में जेल आम तौर पर भीड़भाड़ वाली, कठोर प्रबंधन वाली, अव्यवस्थित और निराशाजनक जगहें हैं, जो न सिर्फ कैदियों बल्कि कारा-प्रबन्धकों को भी नुकसान पहुंचाती हैं। वे सरकारी उपेक्षा और सार्वजनिक उदासीनता से पीड़ित हैं। हालांकि, कैदियों की दुर्दशा को कुछ लोग पापियों को दंडित करने के लिए परमेश्वर ...
बंगाल की राजनीति रक्तपात, प्रतिशोध और राजनीतिक मूल्यों में गिरावट से भरी हुई है। सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में बीरभूम में 8 लोगों को जिंदा जला देने के एक अमानवीय और बर्बर मामले पर बड़े ठंडे दिल से प्रतिक्रिया दी और इसे एक सामान्य दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया। इतना ...
मुख्य बिंदु मुंबई हाईकोर्ट ने 13 बच्चों की हत्या की आरोपी दो महिलाओं की मृत्युदण्ड की सजा को उम्र कैद में बदल दिया दोनों महिलाओं पर 1990 से 1996 के बीच 13 बच्चों को जान से मारने का था आरोप राजस्थान हाईकोर्ट ने भी ऐसे ही एक मामले में महिला ...
पिछले दो दशकों से न्यायिक व्यवस्था में प्रचलित लालफीताशाही को लेकर काफी शोर-शराबा हुआ है। सार्वजनिक मंचों से इस समस्या पर लगातार चर्चा की जाती है परंतु, अंतर्निहित कारणों को दूर करने के लिए बहुत कम ही प्रयास किए गए हैं। अब न्यायपालिका ने यह आकलन करके समाधान का द्वार ...
हाशिये पर आ चुकी किसी भी संस्था का इलाज क्या है? संभवतः आप गलत व्यक्तियों को उनके पद से हटाकर स्थिति को ठीक करने की कोशिश करते हैं, लेकिन तब क्या हो जब एक ही पद पर लंबे अरसे से लोग जड़वत हो गए हों। यहां से मामला गंभीर हो ...
भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षता की, छद्म आदर्शवाद की, छद्म पर्यावरण संरक्षण की वकालत करने वालों की सामने से आलोचना करना एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक कदम है। यही वो चीजें है, जिसके चलते एक लंबे समय तक भारत पीछे रहा है। ऐसे लोग जो भारतीय सहिष्णुता का लाभ उठाकर, नीतियों के ...
हमने ये अकसर देखा है कि सरकार द्वारा यदि कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट लाया जाता है, तो राजनीतिक विरोध के कारण कुछ लोगों द्वारा मामला देश की अदालतों में बेवजह तकनीकी रूप से फंसा दिया जाता है, या फिर उसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पेंच फंसा देती है। इसके बाद ...
आम तौर पर हमारे देश के उच्च संस्थान जानबूझकर सच्चाई से मुंह मोड़ना ही अपने लिए श्रेयस्कर मानते हैं। वे जानते-बूझते हुए भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देशवासियों को असामाजिक तत्वों के बढ़ते अत्याचारों पर मौन रहने को विवश कर देते हैं। कितनी ही बार समाज का कोई वर्ग अपनी ...