आखिर भाजपा और बसपा के अंदरखाने क्या खिचड़ी पक रही है?
राजनीतिक सुचिता को बरकरार रखना भारतीय लोकतंत्र की ख़ूबसूरती है, पर वहीं जब प्रतिद्वंद्वी दल एक दूसरे के प्रति मुखर न होकर उनके प्रति सौम्य हो जाएं, तो समझ लिया जाना चाहिए कि मामला कहीं न कहीं तो गड़बड़ ...