कर्नाटक में मुस्लिमों को दिया गया पिछड़ा वर्ग का दर्जा।
25 April 2024
अब UK और US नहीं ‘भा’ दिलाएगा परफेक्ट शू साइज।
25 April 2024
वो कहते हैं न, बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। ये बात सब जगह लागू होती है, चाहे हास्य में, या गंभीरता में। जो Netflix सोचती थी कि ‘वोक संस्कृति’ के आधार पर वह अपना उद्योग चलाने में सफल रहेगी, अब उसी वोक संस्कृति को त्यागने पर उसे विवश ...
हेलोवीन क्या है?: ट्रिक एंड ट्रीट! बूझे? आढ़े तिरछे कपड़े पहन कर, कद्दू को और भयानक रूप देकर, लोग यह दिखाते हैं कि आखिर क्यों पाश्चात्य जगत केवल नाम का समृद्ध है, उनका वैज्ञानिकता और व्यावहारिकता से उतना ही नाता है जितना एडोल्फ़ हिटलर का धैर्य और संयम से था। ...
आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी कि प्रभु जब देते हैं तो छप्पर फाड़ कर देते हैं। यह कहावत साउथ फिल्म इंडस्ट्री पर एकदम सटीक बैठती है। यह वर्ष साउथ फिल्म इंडस्ट्री के लिए किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ है। एक तरफ जहां साउथ की फिल्में बॉलीवुड ...
लुक माई सन, यू शुड नॉट ग्रो लाइक दिस, बीकॉज़ द वर्ल्ड विल फॉल अपार्ट। वी नीड अ क्लीन एण्ड ग्रीन वर्ल्ड, इंडिया कैनोट ग्रो द वे इट वान्ट्स टू। अब आप भी सोचते होंगे कि ऐसे मखनचू वचन किस परिप्रेक्ष्य में, अंग्रेजी में एतना ज्ञान क्यों, तो बंधु मामला ...
एक फिल्म थी, बचपन में देखी थी, ‘चैन कुली की मैन कुली”। उसमें जब भारतीय क्रिकेट टीम निरंतर घटिया प्रदर्शन करती जा रही थी तो उसे उलाहना देते हुए उनके कोच कहते हैं, “मैं उस टीम को कोच करने वाला था जिसमें वर्ल्ड की बेस्ट टीम होने की काबिलियत है। ...
अपनी संस्कृति को हीन समझने और दूसरों की संस्कृति को अपनाने में हम भारतीयों का कोई सानी नहीं है। अंग्रेज़ तो चले गए लेकिन ‘अंग्रेज़’ छोड़ गए। इसके बाद गंगा-जमुनी तहजीब के नाम पर हिंदुत्व का एकतरफा मखौल उड़ाया गया। खान-पान की संस्कृति में ‘चीन’ और शिक्षा में हम ‘अंग्रेज़’ ...
पता है धूम्रपान से भी हानिकारक क्या होता है? जंक फूड? शायद, पर पूरी तरह नहीं। मदिरा? थोड़ा बहुत, पर वो भी नहीं! Wokeism या वोक संस्कृति? निस्संदेह। ये बीमारी कई संस्थानों को लग चुकी है, जो उन्हें अंदर से खोखला और निकृष्ट बना रही है और इसी कारण से ...
सोशल मीडिया का यदि कोई सबसे बड़ा लाभ है, तो वह यह कि चाहे कोई अपने आप को कितनी ही बड़ी तोप समझे, सोशल मीडिया उसकी हवा निकालने में तनिक भी समय नहीं लगाता। यह बात भारत के जागरूक सनातनियों ने शायद बहुत जल्द समझ ली है। इसीलिए जब इस ...
ये भारत है, यहां हर जीव जन्तु में हम ईश्वर को ढूंढते हैं और उनका वंदन भी करते हैं। हम माटी को, पक्षियों को एवं अन्य जीव जंतुओं को बड़ी ही श्रद्धा से पूजते हैं। कण-कण में भगवान हैं के विचार को हम सनातनी अपने हृदय में धारण करते हैं। ...
बॉलीवुड की वर्तमान अवस्था को देखकर जाने क्यों द डार्क नाइट का यह संवाद स्मरण हो आता है, जो आज एक नायिका पर शत प्रतिशत फिट बैठता है, “वो नायिका है जिसकी बॉलीवुड को आवश्यकता है पर वो नायिका जिसके योग्य बॉलीवुड है, उसे हम ढूँढेंगे क्योंकि वह भी यही ...
प्रेम माने निश्छल समर्पण, प्रेम माने त्याग प्रेम यह तो बिल्कुल नहीं है कि वो मेरी नहीं तो किसी की नहीं या प्रेम यह भी नहीं है कि किसी के पीछे आप स्वयं को नष्ट कर लो परंतु जहां गोस्वामी तुलसीदास जी तनिक रुक गए, उससे मीलों आगे एक लेखक ...
कुछ फिल्में अगर OTT पर प्रदर्शित हो रही हैं तो उसके दो ही कारण है या तो उसके भाग्य फूटे हैं या फिर वो फिल्म इतनी खराब है कि OTT के अतिरिक्त वह कहीं प्रदर्शित होने योग्य नहीं है। यह बात अक्षय कुमार के हाल ही में प्रदर्शित ‘कठपुतली’ पर ...